नहीं रहे एमडीएच मसालों के स्वामी पदम भूषण से सम्मानित महाशय धर्मपाल गुलाटी, दिल्ली के माता चंदन देवी हॉस्पिटल में आज सुबह 6 बजे ली आखिरी सांस, भगवान उनकी आत्मा को शांति व परिवार को शांतनु प्रदान करें... (Vnita kasnia punjab)..महाशय धर्मपाल गुलाटी जी का जन्म (जन्म- 27 मार्च, 1923, सियालकोट, ब्रिटिश {अब पाकिस्तान} व मृत्यु- 3 दिसम्बर, 2020) को सियालकोट के मौहल्ला मियानापुर में हुआ था। सियालकोट अब पाकिस्तान में है। उनका परिवार बेहद सामान्य परिवार था। पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल और माता का नाम चनन देवी था जिनके नाम पर दिल्ली के जनकपुरी में चनन देवी हॉस्पिटल भी है। धर्मपाल जी का पढाई- लिखाई में बिलकुल भी मन नही लगता था जबकि उनके पिता जी चाहते थे कि वह खूब पढ़ें।लेकिन ये बात उनके पिता जी समझ चुके थे कि धर्मपाल जी का मन अब आगे पढने का नही है। जैसे तैसे उन्होंने चौथी कक्षा पास की और पांचवी में वह फेल हो गए और स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद उनके पिता जी ने उन्हें एक बढई की दुकान पर काम सिखने के लिए लगा दिया। लेकिन धर्मपाल जी का मन नही लगा और उन्होंने वो काम भी नही सीखा। 15 वर्ष की अपनी जिंदगी में वो 50 काम कर चुके थे। उन दिनों सियालकोट लाल मिर्च के बाज़ार के लिए जाना जाता था तो उनके पिता ने उन्हें एक मसाले की दुकान खुलवा दी, जिसका नाम रखा 'महाशय दी हट्टी' (इसी 'महाशय दी हट्टी' से आया है एमडीएच)। धीरे धीरे काम अच्छा हो गया और खुब चलने लगा लेकिन तब तक भारत अपनी आज़ादी के लड़ाई के करीब पहुँच गया था और भारत पाकिस्तान का विभाजन उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गया।भारत के बंटवारे के वक्त परिवार सियालकोट से दिल्ली के करोलबाग में आकर बसा था और धर्मपाल गुलाटी दिल्ली के कुतुब रोड़ पर तांगा चलाते थे। फिर मसालों को कूटकर बेचने लगे और वक्त के साथ उनका बिजनेस फैलता गया। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली। इसके बाद जब कारोबार बढ़ने लगा तो 1959 में कीर्ति नगर में एक प्लाट खरीदकर फैक्ट्री खोली।महाशय गुलाटी परिवार के मुखिया की भूमिका में रहते हैं। हरेक बड़ा फैसला उनकी जानकारी के बाद ही लिया जाता है। महाशय धर्मपाल पक्के आर्यसमाजी हैं। वे आर्य समाज, कीर्ति नगर के होने वाले चुनावों में लड़ते थे।करोलबाग में नहीं पहनते चप्पल-जूतेःधर्मपाल गुलाटी दिल्ली के करोलबाग में नंगे पांव घूमते हैं। इसकी वजह उन्होंने अपने एक दोस्त को बताते हुए कहा, काके, करोल बाग में जब भी आता हूं तो जूते-चप्पल पहनकर नहीं घूमता। मेरे लिए करोल बाग मंदिर से कम नहीं है। इसी करोल बाग में खाली हाथ आया था। यहां पर रहते हुये ही मैंने कारोबारी जिंदगी में इतनी बुलंदियों को छूआ। धर्मपाल गुलाटी भारत के सफल बिजनेसमैन हैं।महाशय धर्मपाल गुलाटी एक सफल उद्योगपति हैं तथा उन्होंने अपने जीवन में कडा संघर्ष किया है। 1959 में महाशय धर्मपाल ने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाला पीसने की फैक्ट्री लगाई और फिर कारवां चलता चला गया। आज एमडीएच की देशभर में 15 फैक्ट्री हैं।पद्मविभूषण से हो चुके हैं सम्मानितकारोबार और फूड प्रोसेसिंग में योगदान के लिए महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने पिछले साल महाशय धर्मपाल जी को पद्म भूषण से सम्मानित किया था।मृत्यु:3 दिसम्बर, 2020 को सुबह करीब 5 बजकर 38 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांसें लीं। पिछले दिनों उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, लेकिन वह कोरोना से ठीक हो गए थे। बताया जाता है कि महाशय धर्मपाल गुलाटी को गुरुवार सुबह हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उनका निधन हो गया।

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