बेसहारा को सहारा देना सबसे बड़ी मानव सेवा *बाल वनिता महिला आश्रम*अपनों की उपेक्षा के चलते दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर बेसहारा वृद्धों को सहारा देना सबसे बड़ी मानव सेवा है। इसी प्रकार का कार्य *बाल वनिता महिला आश्रम* में नि:स्वार्थभाव से सेवा की जाती है। उनके रहने खाने पीने के साथ स्वास्थ का विशेष ध्यान रख जाता है। उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर योग व प्राकृतिक ढंग से उनका इलाज किया जाता है।संस्था प्रमुख एवं *वनिता कासनियां पंजाब* ने कहा कि आज के आधुनिक युग में बुजुर्गो की उपेक्षा हो रही है। जिसके चलते संस्कार रूपी खजाने को प्राप्त करने से बच्चे वंचित हो रहे है। वे यह भूल रहे है की एक दिन उन्हें भी उस अवस्था से गुजरना है। जिस पड़ाव पर उनके माता पिता पहुच गए हैं। हम उनका सम्मान करेंगे तो हमारे बच्चे भी सम्मान की परिभाषा सीख सकेंगे उन्होंने कहा कि स्वार्थी लोग अपने माता-पिता को दर-दर की ठोंकरे खाने के लिए उन्हें सड़कों पर भटकने के लिए अकेला छोड़ देते हेै। उस समय उनके पास अपनी संतान को कोसने के अलावा कुछ नहीं बचता। हमारी *संस्था बाल वनिता महिला आश्रम* ऐसे ही वृद्धों और बाल को सहारा व सम्मान देने के लिए कार्य कर रही है। आश्रम में रहने वाले बचो और वृद्धों को परिवार जैसा माहौल देने के लिए योग प्रशिक्षण का कार्यक्रम किए जाते है। उनमें बच्चों के साथ सभी वर्ग के लोगों को आमंत्रित किया जाता है। जिन्हें योगा प्रशिक्षण के साथ बीमारियों के बचाव व उपवार किया जाता है। The wife was repeatedly accusing the mother and the husband was repeatedly asking her to stay within her limits, but the wife was not taking the name of being silent and was screaming loudly and saying that "she put the ring on the table." hee

👉पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी और पति बार बार उसको अपनी हद में रहने की कह रहा था लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि "उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी और तुम्हारे और मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।।
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
👉बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा दे मारा अभी तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी ।
👉पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ
वह घर छोड़कर जाने लगी और जाते जाते पति से एक सवाल पूछा कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है..??
👉तब पति ने जो जवाब दिया उस जवाब को सुनकर दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना तो उसका मन भर आया पति ने पत्नी को बताया कि👉"जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी उससे एक वक्त का खाना आता था
👉मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी और खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी और कहती थी मेरी रोटियां इस डिब्बे में है बेटा तू खा ले मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता था कि मां मेरा पेट भर गया है मुझे और नही खाना है मां ने मुझे मेरी झूठी आधी रोटी खाकर मुझे पाला पोसा और बड़ा किया है
👉आज मैं दो रोटी कमाने लायक हो गया हूं लेकिन यह कैसे भूल सकता हूं कि मां ने उम्र के उस पड़ाव पर अपनी इच्छाओं को मारा है,वह मां आज उम्र के इस पड़ाव पर किसी अंगूठी की भूखी होगी ....यह मैं सोच भी नही सकता
👉तुम तो तीन महीने से मेरे साथ हो
मैंने तो मां की तपस्या को पिछले पच्चीस वर्षों से देखा है...यह सुनकर मां की आंखों से छलक उठे वह समझ नही पा रही थी कि बेटा उसकी आधी रोटी का कर्ज चुका रहा है या वह बेटे की आधी रोटी का कर्ज,,,,,,
और तभी पत्नी आई भरे गले से बोली माफ करना मांजी मैंने आप पर शक किया,,, मैंने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी लेकिन फिर टेबल साफ करके सारा कचरा उठाकर डस्टबिन में डाल दी थी ,,, अभी ध्यान आया तो डस्टबिन से निकालकर लाई ऐसा कहकर वो अपनी सास से लिपटकर रोने लगी,सास ने प्रेम से उसे गले लगा लिया ❤️
इस तरह सारे गिले-शिकवे भुलाकर आप भी अपने परिवार के साथ प्रेम से रहिए ‌।
 इसी उम्मीद से ये पोस्ट किया है 🙏🏻
🏻आप ज़रूर पढें और अच्छा लगे तो अपने मित्रों को फॉरवर्ड करें

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