आज हम सब अपने बचपन की एक कथा को याद करते है।*मेहनत का फ़ल* लघुकथाप्रेषक: *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम*🌹🙏🙏🌹 *(ग्रुप एडमिन🌟)*पिंकी चिड़िया अपने घोंसले के पास एक खेत मे दाना चुगने जाती थी। कुछ दिनों से भोलू कौवा भी वहां दाना चुगने आने लगा । दोनों में दोस्ती हो गई। एक दिन कौवा बोला," हम कितने परेशान होते हैं यहां दाना चुनने में , कभी रखवाला आ जाता है वह हमें भगाता है तो कभी बड़े पक्षी आकर परेशान करते हैं ।क्यों ना हम एक खेत में अपना दाना बोये। चिड़िया भी खुशी से मान गई । दोनों ने जंगल के पास एक खेत ढूंढा और फैसला किया कि कल से इस पर खेती करनी शुरू कर देंगे। अगले दिन चिड़िया सुबह सवेरे उठी, बच्चों को दाना खिलाया और कौवे के घर पहुंचकर बोली," कौवे भैया चलो खेत में हल जोतते है।"कौवा बोला,चल चिड़िये , मैं आया, सोने चोंच बनवाया, पैरी मोजे पाया मैं ठुम ठुम करताआया ।" चिड़िया चली जाती है। पूरा खेत जोत लेती है। शाम हो जाती है पर कौवा नहीं आता । अगले दिन चिड़िया फिर कौवे को कहती है, "कौवा भैया चलो बीज बोते हैं।" कौवा फिर कहता है," चल चिड़िए मैं आया सोने चोंच बनवाया, पैरी मोजे पाया। मैं ठुम ठुम करता आया।" चिड़िया फिर चली जाती है। पूरे खेत में बीज बो देती है पर कौवा फिर नहीं आता। चिड़िया काम में लगी रहती है। हफ्ते बाद चिड़िया कौवे के पास जाती है और कहती है ,"कौवा भैया चलो ,खेत में पानी लगाना है।" कौवा फिर वही कहता है," चल चिड़िये , मैंआया । सोने की चोंच बनवाया , पैरी मोजे पाया। मैं ठुम ठुम करता आया।" चिड़िया फिर चली जाती है पूरे खेत को पानी लगाती है और शाम को घर आ जाती है । कुछ दिन बाद फसल पकनी शुरू हो जाती है चिड़िया कहती है," कौवे भैया चलो, खेत की रखवाली करें, नहीं तो सारी फसल उजड़ जाएगी। कौवा फिर वही कहता है, "चल चिड़िये .........। चिड़िया रोज फसल की निगरानी करती है अंत में फसल काटने का समय आ जाता है । चिड़िया कौवे को कहती है," चलो फसल काटते हैं। फसल पक कर पूरी तरह तैयार हो गई।" कौवे का फिर वही जवाब होता है। चिड़िया फसल काट लेती है। दाने और भूसा अलग अलग कर देती है।दोनों की अलग अलग ढेरियां लगा देती । फिर चिड़िया कौवे को बुलाने जाती है ।"कौवे भैया चलो फसल बांट लेते है"। कौवा उड़कर उससे आगे खेत में पहुंच जाता है और जाकर दानों की ढेरी पर बैठ जाता है कहता है," यह मेरी है और वह भूसे वाली तुम्हारी।" चिड़िया कुछ नहीं कहती चुप रहती है। इतने में बादल घुमड़ घुमड़ कर आ जाते है बहुत तेज बारिश होने लगती है। फिर ओले भी पड़ने शुरू हो जाते है। चिड़िया भूसे के अंदर घुस जाती है ।कौवा जितना दानों के अंदर घुसकर अपने को बचाने की कोशिश करता दाने उतने ही फिसलते जाते। ओलों से उसका शरीर बुरी तरह जख्मी हो गया और वह वही दानों की ढेरी पर ही दम तोड़ देता है । बारिश रुकने पर चिड़िया भूसे से बाहर निकलती है तो कौवे को मरा देखती है। उसे बहुत दुख होता है । चिड़िया आसमा की तरफ देखती है उसे लगता है भगवान कह रहे है सोच क्या रही है दाने भी तेरे और भूसा भी तेरा जो मेहनत करता है उसी को सब मिलता है। चिड़िया अब खुश खुश अपने घोंसले की तरफ उड़ चली।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

आज   हम सब अपने बचपन की एक कथा को याद करते है।

*मेहनत का फ़ल*   लघुकथा

प्रेषक: *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम*🌹🙏🙏🌹 *(ग्रुप एडमिन🌟)*

पिंकी चिड़िया अपने घोंसले के पास एक खेत मे दाना चुगने जाती थी। कुछ दिनों से भोलू  कौवा भी वहां दाना चुगने आने लगा । दोनों में दोस्ती हो गई। एक दिन कौवा बोला," हम कितने परेशान होते हैं यहां दाना चुनने में , कभी रखवाला आ जाता है वह हमें भगाता है तो कभी बड़े पक्षी आकर परेशान करते हैं ।क्यों ना हम एक खेत में अपना दाना बोये। चिड़िया भी खुशी से मान गई । दोनों ने जंगल के पास एक खेत ढूंढा और फैसला किया कि कल से इस पर खेती करनी शुरू कर देंगे। अगले दिन चिड़िया सुबह सवेरे उठी, बच्चों को दाना खिलाया और कौवे के घर पहुंचकर बोली," कौवे भैया चलो खेत में हल जोतते है।"
कौवा बोला,चल चिड़िये , मैं आया,  सोने  चोंच बनवाया, पैरी मोजे पाया  मैं ठुम ठुम करताआया ।"
        चिड़िया चली जाती है। पूरा खेत जोत लेती है। शाम हो जाती है पर कौवा नहीं आता । अगले दिन चिड़िया फिर कौवे को कहती है, "कौवा भैया चलो बीज बोते हैं।" कौवा फिर कहता है," चल चिड़िए मैं आया सोने चोंच बनवाया,   पैरी मोजे पाया। मैं ठुम ठुम करता आया।" चिड़िया फिर चली जाती है। पूरे खेत में बीज बो देती है पर कौवा फिर नहीं आता।  चिड़िया काम में लगी रहती है।
              हफ्ते बाद चिड़िया कौवे के पास जाती है और कहती है ,"कौवा भैया चलो ,खेत में पानी लगाना है।" कौवा फिर वही कहता है," चल चिड़िये , मैंआया । सोने की चोंच बनवाया , पैरी मोजे पाया। मैं ठुम ठुम करता आया।"
 चिड़िया फिर चली जाती है पूरे खेत को पानी लगाती है और  शाम को घर आ जाती है । कुछ दिन बाद फसल पकनी शुरू हो जाती है चिड़िया कहती है," कौवे भैया चलो, खेत की रखवाली करें, नहीं तो सारी फसल उजड़ जाएगी। कौवा फिर वही कहता है, "चल चिड़िये .........। चिड़िया रोज फसल की निगरानी करती है अंत में फसल काटने का समय आ जाता है । चिड़िया कौवे को कहती है," चलो फसल काटते हैं। फसल पक कर पूरी तरह तैयार हो गई।"
             कौवे का फिर वही जवाब होता है। चिड़िया फसल काट लेती है। दाने और भूसा अलग अलग कर देती है।दोनों की अलग अलग ढेरियां लगा देती । फिर चिड़िया कौवे को बुलाने जाती है ।"कौवे भैया चलो फसल बांट लेते है"। कौवा उड़कर उससे आगे खेत में पहुंच जाता है और जाकर दानों की ढेरी पर बैठ जाता है कहता है," यह मेरी है और वह भूसे वाली तुम्हारी।"
          चिड़िया कुछ नहीं कहती चुप रहती है। इतने में बादल घुमड़ घुमड़  कर आ जाते है बहुत तेज बारिश होने लगती है। फिर ओले भी पड़ने शुरू हो जाते है। चिड़िया भूसे के अंदर घुस जाती है ।कौवा जितना दानों के अंदर घुसकर अपने को बचाने की कोशिश करता 
दाने उतने ही फिसलते जाते। ओलों से उसका शरीर  बुरी तरह जख्मी हो गया और  वह वही  दानों की ढेरी पर ही दम तोड़ देता है । बारिश रुकने पर चिड़िया भूसे से बाहर निकलती है तो कौवे को मरा देखती है। उसे बहुत दुख होता है । चिड़िया आसमा की तरफ देखती है उसे लगता है भगवान कह रहे है सोच क्या रही है दाने भी तेरे और भूसा भी तेरा जो मेहनत करता है उसी को सब मिलता है। चिड़िया अब खुश खुश अपने घोंसले की तरफ उड़ चली।

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