हिंदुस्तान किन गंभीर सामाजिक समस्याओं से जूझ रहा रहा?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमआज भारत देश विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यबस्था बनने जा रहा है| प्रगति मार्ग पर इतनी तेजी से बढ़ने के बावजूद हम आस पास बुनियादी समस्याएं देखते हैं तो लगता है तारिख बदल रही है मगर देश वहीँ खड़ा है।भारत ही नहीं विश्व के प्रत्येक देश इसी आलम से गुजर रहे हैं, देश एक समस्या से मुक्त नहीं हो पाता की दूसरी समस्या घेर लेती है। इन्ही में से कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं जो विकासील देश के पैरों की बेड़ियाँ बन जाती है। चलिए कुछ ऐसे ही बेहद गंभीर मुद्दों और उनके समाधान पर नजर डाल लेते हैं।भारत दुनिया का सबसे बड़ा पूर्णतः लोकतंत्र और दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाली देश है। हमारी संस्कृति अत्यंत विविधता पूर्ण और समृद्ध है। आइये इसी विविधता के दुसरे पहलु को देखते हैं जिसको सभी अनदेखा कर गुजरते हैं।यौन अपराधएक तरफ भारतीय स्त्रियां सौंदर्य प्रतियोगिता में प्रथम दर्जा हासिल कर रही हैं, राजनीती में भी महिलों के निपुणता देखते ही बनती है, खेल प्रतियोगिताएं में भारत को सूची में आगे खड़ा कर रही हैं, देश की रक्षा में भी अपनी सक्रीय भूमिका निभा भी रही है, लड़को के साथ प्रत्येक क्षेत्र में हाथ मिला रही हैं, इसके विपरीत हज़ारों महिलाएं दहेज़ के नाम पर जलाकर मार डाली जा रही हैं, बाल शिशु के रूप में उनकी हत्या की जा रही हैं। संस्कृति और तहजीब की संरचना का जिम्मा भी महिलाओं को ही सौंप दिया गया है। हमारा समाज में प्रचलित अधिकाँश बुराइयाँ महिलाओं को ही अपना शिकार बनाती हैं। मैं इसे विविधता के रूप में ही देखते हूँ।यौन अपराध ज्यादा बढ़ने के पीछे मूल कारण कुछ इस तरह से देख सकते हैं।अति उच्च मात्रा में अश्लीन फिल्म देखना।आधयात्मिक शिक्षा का दुर्बल होते जाना।पुरुष के तुलना में नारी को समाज में निम्न स्थान प्रदान करना।2. शिक्षा का आभाव - समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओं, भ्रष्टाचार जैसी तमाम सामाजिक बुराइयों के पनपने का मूल कारण शिक्षा का अभाव है। शिक्षा मानव जीवन के अति तात्पर्यपूर्ण अंश है। बिना शिक्षा कोई भी व्यक्ति कभी भी प्रकृत मानव नहीं बन सकता है। शिक्षा ही मानव को जानवर जीवन शैली से भिन्न करता है। शिक्षा ही मनुष्य को इंसानियत रुपी लिबास को धारण करने में सहाई बनता है। जब तक देश में सीखने सिखाने की शिक्षा थी, देश में महापुरुषों का जन्म होता रहा। ऐसा लगता है की अब शिक्षा मात्र प्रमाणपात्र हासिल करने के लिए ही बची है।देश में शिक्षा प्रणाली के दुरावस्था होने का कुछ अति महत्वपूर्ण कारण -दुर्बल शिक्षा नितिमाणपत्र लाभ के प्रति आकर्षित होनाउच्च प्रशिक्षित शिक्षको का न होनापढाई केबल कर्रिएर के लिए ही है ज्ञान प्राप्ति के लिए नहीं।3. गरीबी - देश में स्थिति ये है की अमीर और अमीर बनता जा रहा और गरीब फंदे में झूलने की तयारी में रहता है। जैसा की मैं पहले ही बता चूका हूँ की भारत पूरी दुनिआ की अर्थव्यस्था का नतृत्व करने जा रहा है लकिन इतना इसके बावजूद भी आज ये देश दुनिआ की गरीबी के मामले में भारत 26वें स्थान पर आते है।दुखद तो ये है देश का अन्नदाता किसान, जिसकी चर्चा महज चुनाव के दिनों में ही होता है। बड़े बड़े कारोबारी को लोन दिया जाता है, माफ़ भी कर दिया जाता है और कई बार तो सरकार बाकायदा भगा भी देती है। लेकिन किसान की स्तिथि पर कोई खास चर्चा नहीं होती। यदि कोई रविश कुमार जैसा इस विषय पर बात कर भी ले तो विरोधी दल का चमचा बोल नजरअंदाज कर दिया जाता है। अरे भाई बात किसानो की थी, इसमें राजनीती कहा से आ गयी?भारत की गरीबी समस्याएँ और उनके मूल कारणअतिमात्रा में जनसंख्या बृद्धिआर्थिक असमानताएकरिकारी शिक्षा का न होना4. जनसंख्या बृद्धिबढ़ती जनसंख्या किसी देश में परेशानी नहीं हो सकती है बशर्ते जनसँख्या को देश हित में उपयोग करना आना चाहिए। चीन इस बात का मौजूदा गवाह है। दुर्भाग्य की बात ये है कि हमसे भी अधिक जनसंख्या वाले देश से हम कुछ नहीं सीख रहे। कैसे चीन ने अपनी जनसंख्या को ढाल बना प्रगति की राह पर बढ़ रहा है। हमारे पास तो इतने हाथ हैं कि किसी भी देश से दुगुना तीगना उत्पाद कर सकते हैं। सरकार समेत प्रतेके नागरिक को इसके बारे मे गंभीरता से सोचना होगा।जनसँख्या वृद्धि का मुख्य कारण शिक्षा आभाव ही हो सकता है।5. अफवाह एक गंभीर मुद्दाहमारे देश में भी अफवाहें आदिकाल से हमारे घरेलु जीवन पर पर असर डालती रही हैं। कथित पत्रकार के रूप में नारद मुनि तक इसके लिए पौराणिक आख्यानों में विख्यात रहे हैं। लेकिन कब कैसे अफवाह ने देश में सामाजिक या राजनितिक रुख अपना लिया अंदाजा लगाना मुश्किल है। यहां से प्रसारित हो रहीं बहुत सारी जानकारियां भ्रामक सिद्ध हो रही हैं। देश का प्रत्येक युवा चाहे खलिहर हो या पढ़ालिखा व्हाट्सप्प फेसबुक पर बैठा है। सबसे बड़ी चुनौती तो सोशल मीडिया पर तेजी से रोजाना फैलाई जा रहीं अफवाहों को रोकना है। अफवाहों को लगाम लगाना तत्कालीन हल हो सकता है सर्वदा के लिए नहीं। इसके लिए जागरूकता ही एक मात्र उपाय है। लेकिन सरकार कैसे रोक लगाएगी जो जान समझ कर किसी प्रचार प्रसार के रूप में कर रहे हैं। और इससे भी गंभीर बात ये है की खुद देश का बड़े से बड़ा दल अफवाह फैलता है। किसी का नाम लेके विषय को प्रासंगिक नहीं करूँगा। मैं अफवाह को देश का कैंसर समझता हूँ।अफवाह बढ़ने का मुख्य कारणनिजी रूप से राजनितिक दल का शामिल होनाप्रतिस्प्रधा को नष्ट करने की मंशासटीक जानकारी का आभाव होनासाइबर क्राइम कानून का कमजोर होनाईश्वर अलग कला/शक्ति बख्शने के साथ ही एक नई जिम्मेदारी भी देता है। अफवाह जैसी बेड़ियों को जागरूकता के मजबूर हथियार से ही तोडा जा सकता है। मैं क्वोरा पर तमाम लिखारियों समेत इन बेहद प्रसिद्ध कलमधारी बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब जिनका मैं बेहद प्रशंशक हूँ, से दोहरा निवेदन करता हूँ की अफवाह जैसे गंभीर मुद्दे पर नियमित लिखना शुरू करें। कलम एवं देश के प्रति निजी जिम्मेदारी निभाएं।धन्यवाद । भूल चूक माफ़

आज भारत देश विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यबस्था बनने जा रहा है| प्रगति मार्ग पर इतनी तेजी से बढ़ने के बावजूद हम आस पास बुनियादी समस्याएं देखते हैं तो लगता है तारिख बदल रही है मगर देश वहीँ खड़ा है

भारत ही नहीं विश्व के प्रत्येक देश इसी आलम से गुजर रहे हैं, देश एक समस्या से मुक्त नहीं हो पाता की दूसरी समस्या घेर लेती है। इन्ही में से कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं जो विकासील देश के पैरों की बेड़ियाँ बन जाती है। चलिए कुछ ऐसे ही बेहद गंभीर मुद्दों और उनके समाधान पर नजर डाल लेते हैं

भारत दुनिया का सबसे बड़ा पूर्णतः लोकतंत्र और दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाली देश है। हमारी संस्कृति अत्यंत विविधता पूर्ण और समृद्ध है। आइये इसी विविधता के दुसरे पहलु को देखते हैं जिसको सभी अनदेखा कर गुजरते हैं।

  1. यौन अपराध

एक तरफ भारतीय स्त्रियां सौंदर्य प्रतियोगिता में प्रथम दर्जा हासिल कर रही हैं, राजनीती में भी महिलों के निपुणता देखते ही बनती है, खेल प्रतियोगिताएं में भारत को सूची में आगे खड़ा कर रही हैं, देश की रक्षा में भी अपनी सक्रीय भूमिका निभा भी रही है, लड़को के साथ प्रत्येक क्षेत्र में हाथ मिला रही हैं, इसके विपरीत हज़ारों महिलाएं दहेज़ के नाम पर जलाकर मार डाली जा रही हैं, बाल शिशु के रूप में उनकी हत्या की जा रही हैं। संस्कृति और तहजीब की संरचना का जिम्मा भी महिलाओं को ही सौंप दिया गया है। हमारा समाज में प्रचलित अधिकाँश बुराइयाँ महिलाओं को ही अपना शिकार बनाती हैं। मैं इसे विविधता के रूप में ही देखते हूँ।

यौन अपराध ज्यादा बढ़ने के पीछे मूल कारण कुछ इस तरह से देख सकते हैं।

  1. अति उच्च मात्रा में अश्लीन फिल्म देखना।
  2. आधयात्मिक शिक्षा का दुर्बल होते जाना।
  3. पुरुष के तुलना में नारी को समाज में निम्न स्थान प्रदान करना।

2. शिक्षा का आभाव - समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओं, भ्रष्टाचार जैसी तमाम सामाजिक बुराइयों के पनपने का मूल कारण शिक्षा का अभाव है। शिक्षा मानव जीवन के अति तात्पर्यपूर्ण अंश है। बिना शिक्षा कोई भी व्यक्ति कभी भी प्रकृत मानव नहीं बन सकता है। शिक्षा ही मानव को जानवर जीवन शैली से भिन्न करता है। शिक्षा ही मनुष्य को इंसानियत रुपी लिबास को धारण करने में सहाई बनता है। जब तक देश में सीखने सिखाने की शिक्षा थी, देश में महापुरुषों का जन्म होता रहा। ऐसा लगता है की अब शिक्षा मात्र प्रमाणपात्र हासिल करने के लिए ही बची है।

देश में शिक्षा प्रणाली के दुरावस्था होने का कुछ अति महत्वपूर्ण कारण -

  1. दुर्बल शिक्षा निति
  2. माणपत्र लाभ के प्रति आकर्षित होना
  3. उच्च प्रशिक्षित शिक्षको का न होना
  4. पढाई केबल कर्रिएर के लिए ही है ज्ञान प्राप्ति के लिए नहीं।

3. गरीबी - देश में स्थिति ये है की अमीर और अमीर बनता जा रहा और गरीब फंदे में झूलने की तयारी में रहता है। जैसा की मैं पहले ही बता चूका हूँ की भारत पूरी दुनिआ की अर्थव्यस्था का नतृत्व करने जा रहा है लकिन इतना इसके बावजूद भी आज ये देश दुनिआ की गरीबी के मामले में भारत 26वें स्थान पर आते है।

दुखद तो ये है देश का अन्नदाता किसान, जिसकी चर्चा महज चुनाव के दिनों में ही होता है। बड़े बड़े कारोबारी को लोन दिया जाता है, माफ़ भी कर दिया जाता है और कई बार तो सरकार बाकायदा भगा भी देती है। लेकिन किसान की स्तिथि पर कोई खास चर्चा नहीं होती। यदि कोई रविश कुमार जैसा इस विषय पर बात कर भी ले तो विरोधी दल का चमचा बोल नजरअंदाज कर दिया जाता है। अरे भाई बात किसानो की थी, इसमें राजनीती कहा से आ गयी?

भारत की गरीबी समस्याएँ और उनके मूल कारण

  1. अतिमात्रा में जनसंख्या बृद्धि
  2. आर्थिक असमानताए
  3. करिकारी शिक्षा का न होना

4. जनसंख्या बृद्धि

बढ़ती जनसंख्या किसी देश में परेशानी नहीं हो सकती है बशर्ते जनसँख्या को देश हित में उपयोग करना आना चाहिए। चीन इस बात का मौजूदा गवाह है। दुर्भाग्य की बात ये है कि हमसे भी अधिक जनसंख्या वाले देश से हम कुछ नहीं सीख रहे। कैसे चीन ने अपनी जनसंख्या को ढाल बना प्रगति की राह पर बढ़ रहा है। हमारे पास तो इतने हाथ हैं कि किसी भी देश से दुगुना तीगना उत्पाद कर सकते हैं। सरकार समेत प्रतेके नागरिक को इसके बारे मे गंभीरता से सोचना होगा।

जनसँख्या वृद्धि का मुख्य कारण शिक्षा आभाव ही हो सकता है।


5. अफवाह एक गंभीर मुद्दा

हमारे देश में भी अफवाहें आदिकाल से हमारे घरेलु जीवन पर पर असर डालती रही हैं। कथित पत्रकार के रूप में नारद मुनि तक इसके लिए पौराणिक आख्यानों में विख्यात रहे हैं। लेकिन कब कैसे अफवाह ने देश में सामाजिक या राजनितिक रुख अपना लिया अंदाजा लगाना मुश्किल है। यहां से प्रसारित हो रहीं बहुत सारी जानकारियां भ्रामक सिद्ध हो रही हैं। देश का प्रत्येक युवा चाहे खलिहर हो या पढ़ालिखा व्हाट्सप्प फेसबुक पर बैठा है। सबसे बड़ी चुनौती तो सोशल मीडिया पर तेजी से रोजाना फैलाई जा रहीं अफवाहों को रोकना है। अफवाहों को लगाम लगाना तत्कालीन हल हो सकता है सर्वदा के लिए नहीं। इसके लिए जागरूकता ही एक मात्र उपाय है। लेकिन सरकार कैसे रोक लगाएगी जो जान समझ कर किसी प्रचार प्रसार के रूप में कर रहे हैं। और इससे भी गंभीर बात ये है की खुद देश का बड़े से बड़ा दल अफवाह फैलता है। किसी का नाम लेके विषय को प्रासंगिक नहीं करूँगा। मैं अफवाह को देश का कैंसर समझता हूँ।

अफवाह बढ़ने का मुख्य कारण

  • निजी रूप से राजनितिक दल का शामिल होना
  • प्रतिस्प्रधा को नष्ट करने की मंशा
  • सटीक जानकारी का आभाव होना
  • साइबर क्राइम कानून का कमजोर होना

ईश्वर अलग कला/शक्ति बख्शने के साथ ही एक नई जिम्मेदारी भी देता है। अफवाह जैसी बेड़ियों को जागरूकता के मजबूर हथियार से ही तोडा जा सकता है। मैं क्वोरा पर तमाम लिखारियों समेत इन बेहद प्रसिद्ध कलमधारी बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब  जिनका मैं बेहद प्रशंशक हूँ, से दोहरा निवेदन करता हूँ की अफवाह जैसे गंभीर मुद्दे पर नियमित लिखना शुरू करें। कलम एवं देश के प्रति निजी जिम्मेदारी निभाएं।


धन्यवाद । भूल चूक माफ़

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