मौसम वैज्ञानिक बारिश आंधी का अनुमान कैसे लगाते हैं? By वनिता कासनियां पंजाब आमतौर पर लोग बताते हैं कि सेटेलाइट से बारिश की भविष्यवाणी की जाती है। नहीं..तस्वीर उपग्रह से आती है लेकिन तीव्रता का पता नहीं कितनी बारिश होगी। सैटेलाइट ही बता सकता है कि यहां कोई बादल है या वह इस गति से घूम रहा है। यह इसका पता लगाता है, लेकिन तीव्रता का अनुमान लगाने के लिए भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा भारत के अंदर 32 रडार हैं। जल्द ही इसकी संख्या बढ़ाकर 55 की जाएगी। इस रडार को डॉप्लर रडार कहा जाता है।डॉपलर राडार को अधिक ऊंचाई पर लगाया जाता है और इसका एंटीना एक बड़े गुब्बारे की तरह दिखता है और यह रेडियो तरंगों या रडार बीम का उपयोग करके बारिश के साथ-साथ तूफान, ओलावृष्टि और चक्रवाती तूफान की जानकारी देता है।डॉपलर रडार मौसम की सबसे छोटी तरंगों को भी पकड़ लेता है। इसकी रेडियो तरंगें प्रकाश की गति से तेज गति से चलती हैं और जब वे बारिश या ओलावृष्टि जैसी किसी चीज से टकराती हैं, तो वे रडार पर लौट आती हैं। मौसम विज्ञानी इन तरंगों की गति और उनकी वापसी में लगने वाले समय का विश्लेषण करते हैं और उसके आधार पर मौसम संबंधी भविष्यवाणियां, करते हैं।चित्र स्रोत:– गूगल

आमतौर पर लोग बताते हैं कि सेटेलाइट से बारिश की भविष्यवाणी की जाती है। नहीं..तस्वीर उपग्रह से आती है लेकिन तीव्रता का पता नहीं कितनी बारिश होगी। सैटेलाइट ही बता सकता है कि यहां कोई बादल है या वह इस गति से घूम रहा है। यह इसका पता लगाता है, लेकिन तीव्रता का अनुमान लगाने के लिए भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा भारत के अंदर 32 रडार हैं। जल्द ही इसकी संख्या बढ़ाकर 55 की जाएगी। इस रडार को डॉप्लर रडार कहा जाता है।

डॉपलर राडार को अधिक ऊंचाई पर लगाया जाता है और इसका एंटीना एक बड़े गुब्बारे की तरह दिखता है और यह रेडियो तरंगों या रडार बीम का उपयोग करके बारिश के साथ-साथ तूफान, ओलावृष्टि और चक्रवाती तूफान की जानकारी देता है।

डॉपलर रडार मौसम की सबसे छोटी तरंगों को भी पकड़ लेता है। इसकी रेडियो तरंगें प्रकाश की गति से तेज गति से चलती हैं और जब वे बारिश या ओलावृष्टि जैसी किसी चीज से टकराती हैं, तो वे रडार पर लौट आती हैं। मौसम विज्ञानी इन तरंगों की गति और उनकी वापसी में लगने वाले समय का विश्लेषण करते हैं और उसके आधार पर मौसम संबंधी भविष्यवाणियां, करते हैं।

चित्र स्रोत:– गूगल

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