ऐसा कौन सा रहस्यमयी मंदिर है जहां रात को रुकने वाला हर इंसान पत्थर बन जाता है? Harshit kasnia , चूंकि आपने मुझे ये प्रश्न नहीं पूछा है किंतु मुझे बहुत अच्छा लगा ये प्रश्न इसलिए मैं उत्तर दे रही हूँ। By वनिता कासनियां पंजाब, ऐसा कौन सा रहस्यमयी मंदिर है जहां रात को रुकने वाला हर इंसान पर पत्थर बन जाता है?.क्या आप कभी रात्रि में मंदिर में रुके हैं? नहीं ना। तो चलिए एक मंदिर की यात्रा में जहां कुछ गहरे रहस्य हैं।यह मंदिर अत्यंत सुंदर है, उसकी सुंदरता से अधिक वहां का रहस्य लोगों के आकर्षण का केंद्र है।इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है की जो भी रात्रि के समय यहां विश्राम करते हैं, वह पाषाण अर्थात पत्थर के बन जाते हैं। राजस्थान के बाड़मेर का किराडू शहर ऐसे ही किसी रहस्य को अपने अंदर दबाए हुए है।किराडू शहर अपने मंदिरों की शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। किराडू को 'राजस्थान का खजुराहो' भी कहा जाता है,इन मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। माना जाता है कि किराडू शहर प्राचीन समय में सुख-सुविधाओं से युक्त एक विकसित प्रदेश हुआ करता था। दूसरे प्रदेशों के लोग यहां पर व्यापार करने आते थे, किंतु 12वीं शताब्दी में, जब किराडू पर परमार वंश का राज था, उसके बाद यह नगर उजड़ गया।चित्र अमर उजाला से लिया गया है।एक बहुप्रचलित कहानी है -बात तब की है जबलगभग 900 वर्ष पूर्व जब परमार राजवंश का शासन था। उन समय इस नगर में एक ज्ञानी साधु भी रहने आए थे।यहां पर कुछ समय व्यतीत करने के पश्चात साधु कुछ साधना करने चले गए। वहां के लोगों के द्वारा साधु का बहुत सेवा किया गया था तो उन्होंने गांव वालों पर विश्वास कर अपने शिष्य को स्थानीय लोगों के सहारे छोड़ दिया और कहा कि आप सभी इनके भोजन इत्यादि एवं सुरक्षा का ध्यान रखना।किंतु गांव वाले उसके शिष्य की भोजन आदि तो दूर सुध लेने भी नहीं आए। केवल एकमात्र कुम्हारन ही शिष्य की जैसे बन पड़ा ध्यान रखती। जब साधू लौटे और अपने शिष्य और मंदिर का हाल देखा तो वो क्रोधित हो गए। उसने श्राप दिया कि जहां के लोगों का हृदय पाषाण का है वह थोड़ी सी भी दया की भावना नहीं हो वहां जीवन का क्या मतलब, इसलिए यहां के सभी लोग पत्थर के हो जाएं और इस प्रकार पूरा नगर पत्थर का बन गया।साधू नेयइस श्राप से कुम्हारन को बचने के लिए वहां से भागने एवं पीछे ना मुड़ने को कहा। सवयं अपने शिष्य को लेकर वहां से चले गए। कुछ दूर जाने के बाद कुम्हारन को शंका हुई। तो उसने पीछे मुड़कर देख लिया और खुद भी पत्थर की मूर्ति में परिवर्तित हो गई।सिहाणी गांव के नजदीक कुम्हारन की वह पत्थर मूर्ति आज भी उस भय को दर्शाती है।इस श्राप के कारण ही आस-पास के गांव के लोगों में दहशत फैल गई जिसके चलते आज भी लोगों में यह मान्यता है कि जो भी इस शहर में शाम को रुकेगा वह भी पत्थर का बन जाएगा। यही कारण है कि यह नगर सूरज ढलने के साथ ही वीरान हो जाता है।स्थापत्य कला के लिए मशहूर इन प्राचीन मंदिरों के पत्थरों पर बनी कलाकृतियां अपनी अद्भुत और शानदार अतीत की कहानियां कहती नजर आती हैं। खंडहरों में चारों ओर बने वास्तुशिल्प प्राचीन काल के कारीगरों की कुशलता को प्रस्तुत करती हैं। रहस्यमय समूह भारत-वर्ष की केंद्र सरकार और राजस्थान की राज्य सरकार से ये निवेदन करता है कि वो भारत-वर्ष के ऐसे गौरव-शाली धरोहरों का निरंतर संरक्षण एवं संवर्धन करे |

Harshit kasnia ,

चूंकि आपने मुझे ये प्रश्न नहीं पूछा है किंतु मुझे बहुत अच्छा लगा ये प्रश्न इसलिए मैं उत्तर दे रही हूँ।

By वनिता कासनियां पंजाब,

ऐसा कौन सा रहस्यमयी मंदिर है जहां रात को रुकने वाला हर इंसान पर पत्थर बन जाता है?.

क्या आप कभी रात्रि में मंदिर में रुके हैं? नहीं ना। तो चलिए एक मंदिर की यात्रा में जहां कुछ गहरे रहस्य हैं।

यह मंदिर अत्यंत सुंदर है, उसकी सुंदरता से अधिक वहां का रहस्य लोगों के आकर्षण का केंद्र है।

इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है की जो भी रात्रि के समय यहां विश्राम करते हैं, वह पाषाण अर्थात पत्थर के बन जाते हैं। राजस्थान के बाड़मेर का किराडू शहर ऐसे ही किसी रहस्य को अपने अंदर दबाए हुए है।

किराडू शहर अपने मंदिरों की शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। किराडू को 'राजस्थान का खजुराहो' भी कहा जाता है,इन मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। माना जाता है कि किराडू शहर प्राचीन समय में सुख-सुविधाओं से युक्त एक विकसित प्रदेश हुआ करता था। दूसरे प्रदेशों के लोग यहां पर व्यापार करने आते थे, किंतु 12वीं शताब्दी में, जब किराडू पर परमार वंश का राज था, उसके बाद यह नगर उजड़ गया।

चित्र अमर उजाला से लिया गया है।

एक बहुप्रचलित कहानी है -

बात तब की है जब

लगभग 900 वर्ष पूर्व जब परमार राजवंश का शासन था। उन समय इस नगर में एक ज्ञानी साधु भी रहने आए थे।

यहां पर कुछ समय व्यतीत करने के पश्चात साधु कुछ साधना करने चले गए। वहां के लोगों के द्वारा साधु का बहुत सेवा किया गया था तो उन्होंने गांव वालों पर विश्वास कर अपने शिष्य को स्थानीय लोगों के सहारे छोड़ दिया और कहा कि आप सभी इनके भोजन इत्यादि एवं सुरक्षा का ध्यान रखना।

किंतु गांव वाले उसके शिष्य की भोजन आदि तो दूर सुध लेने भी नहीं आए। केवल एकमात्र कुम्हारन ही शिष्य की जैसे बन पड़ा ध्यान रखती। जब साधू लौटे और अपने शिष्य और मंदिर का हाल देखा तो वो क्रोधित हो गए। उसने श्राप दिया कि जहां के लोगों का हृदय पाषाण का है वह थोड़ी सी भी दया की भावना नहीं हो वहां जीवन का क्या मतलब, इसलिए यहां के सभी लोग पत्थर के हो जाएं और इस प्रकार पूरा नगर पत्थर का बन गया।

साधू नेयइस श्राप से कुम्हारन को बचने के लिए वहां से भागने एवं पीछे ना मुड़ने को कहा। सवयं अपने शिष्य को लेकर वहां से चले गए। कुछ दूर जाने के बाद कुम्हारन को शंका हुई। तो उसने पीछे मुड़कर देख लिया और खुद भी पत्थर की मूर्ति में परिवर्तित हो गई।

सिहाणी गांव के नजदीक कुम्हारन की वह पत्थर मूर्ति आज भी उस भय को दर्शाती है।

इस श्राप के कारण ही आस-पास के गांव के लोगों में दहशत फैल गई जिसके चलते आज भी लोगों में यह मान्यता है कि जो भी इस शहर में शाम को रुकेगा वह भी पत्थर का बन जाएगा। यही कारण है कि यह नगर सूरज ढलने के साथ ही वीरान हो जाता है।

स्थापत्य कला के लिए मशहूर इन प्राचीन मंदिरों के पत्थरों पर बनी कलाकृतियां अपनी अद्भुत और शानदार अतीत की कहानियां कहती नजर आती हैं। खंडहरों में चारों ओर बने वास्तुशिल्प प्राचीन काल के कारीगरों की कुशलता को प्रस्तुत करती हैं।

रहस्यमय समूह भारत-वर्ष की केंद्र सरकार और राजस्थान की राज्य सरकार से ये निवेदन करता है कि वो भारत-वर्ष के ऐसे गौरव-शाली धरोहरों का निरंतर संरक्षण एवं संवर्धन करे |


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