#बागड़ी #जाट #जमींदार #घराणा #किसान :- हांडी का #दूध व मलाई , हांडी की छाछ व बिलोनी और मटके का पानी का स्वाद ही न्यारा है ,👌👌जिसने पिया है वोही जाने इस देसी खान पान के फायदे ❤ जय #पंजाब #हरियाणा कितना भी बाहर शहर में #रेस्टोरेंट कैफे में #पिज़्ज़ा #बर्गर #खालो गांव में मां के हाथ का देसी खाने जैसे #स्वादिष्ट नहीं होंगे।#गांव में मां के हाथ का देसी खाने के आगे सब खाने #फीके है।💝🤗 बुजुर्ग लोग इसलिए ताकतवर है 70 साल की उम्र में भी खेती कर रहे हैं 💪 सब्जी में नहीं समझते थे सुबह और दोपहर को दूध दही घी और शाम को गेहूं की थूली में छाछ डालकर खाने में ली🙏❤️ जय जय राजस्थान जय जवान जय किसान#किसान के #खेतों में बहुत सारे #मतीरे होते हैं उसको ईकटा करते हैं और उसके बाद में उसके अंदर का जो गिर होता है उसको निकाल कर फेंक देते हैं और उसके के अंदर बीज होता है वह मार्केट में बिकता है 😥 लेकिन कई लोगों को खाने को नहीं मिलता और हमारे यहां खेतों में बीज निकालते निकालते थक जाते हैं 👉 मतीरा लगभग एक महीना खराब नहीं होता मतीरा_खाने_से_पेशाब_की_तकलीफ_या_पेट_के_अंदर_जलन_पानी_की_कमी_ऐसे_कई_फायदे_होते_हैं छाना थेपड़ी और छाछ राबड़ी फेर याद दीरानी है, होकड़ो आव होकड़ों आव बा रीत फेर चलानी है,गर्व हूं केव आपना टाबरिया के मेह ठेठ बागड़ी हां इसी मान्यता मावड़ी न दिरानी है बागड़ी दिवस गी मोकली मोकली बधाई #बागड़ी #बागड़ी_पर_गर्व_करो_शर्म नही#जय_बागड़ीवनिता कासनियां पंजाब द्वारा#सदुपयोग किसी #गांव में #धर्मदास नामक एक #महाकंजूस व्यक्ति रहता था जिसके सन्दर्भ में सभी यही कहते थे कि धर्मदास बातें तो बहुत अच्छी-अच्छी करता है मगर है एकदम महाकंजूस, #मक्खीचूस। गांव और आसपास के लोग जानते थे कि चाय की बात तो अलग है वह किसी को एक घूंट #पानी तक के लिए नहीं पूछता था।साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांग न बैठे। उसके पास धन-दौलत की कोई कमी न थी ; उसके पुरखे इतना कमाकर रख गए थे कि जीवन में उसे किसी बात की कमी महसूस हो ही न सकती थी।एक दिन उसके दरवाजे पर #एक_महात्मा आये और उन्होंने धर्मदास से सिर्फ एक #रोटी मांगी।पहले तो धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया लेकिन महात्मा वहीं खड़ा रहा तो वह #आधी_रोटी देने लगा। धर्मदास द्वारा आधी रोटी देता देखकर महात्मा ने कहा- "अब तो मैं एक रोटी, नहीं पेट भरकर खाना खाऊंगा।" महात्मा की बढ़ती मांग देखकर बिफर उठा धर्मदास-"मैंने आपको आधी रोटी दी, आपने नहीं ली।अब मैं आपको कुछ नहीं दूंगा।" कहकर धर्मदास ने घर का दरवाजा बंद कर लिया।महात्मा रातभर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के #दरवाजे पर खड़ा रहा।सुबह धर्मदास ने महात्मा को अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो सोचा कि अगर मैंने इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूख-प्यास से यहीं पर मर गया तो व्यर्थ में ही साधु की हत्या का दोषी बनकर मेरी बदनामी होगी।यह सब सोचकर धर्मदास ने महात्मा से कहा-"बाबा, तुम भी क्या याद करोगे, आओ पेट भरकर खाना खा लो।"महात्मा भी सम्भवतः धर्मदास की परीक्षा लेकर उसे सबक सिखाने के उद्देश्य से ही आए थे। धर्मदास की बात सुनकर महात्मा ने कहा- "अब मुझे खाना नहीं खाना, मुझे तो एक #कुआं खुदवा दो।"महात्मा की बात सुनकर झुंझलाकर धर्मदास बोल पड़ा- "लो महाराज, अब कुआं बीच में कहां से आ गया?"धर्मदास ने कुआं खुदवाने से साफ इन्कार कर दिया तो साधु महाराज अगले दिन फिर रातभर चुपचाप भूखे-प्यासे धर्मदास के दरवाजे पर खड़े रहे।सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को भूखा-प्यासा अपने दरवाजे पर ही खड़ा पाया तो सोचा कि अगर मैने कुआं नहीं खुदवाया तो यह महात्मा इस बार जरूर भूखा-प्यास मर जायेगा ; और मैं कलंक का भागी बन जाऊंगा।'काफी सोच- विचार कर धर्मदास ने महात्मा से हाथ जोड़कर कहा- "बाबा, मैं तुम्हारे लिए एक कुआं खुदवा देता हूं और इससे आगे अब कुछ मत बोलना।"नहीं, एक नहीं अब तो दो कुएं खुदवाने पड़ेंगे।" बिना एक पल की देरी किए महात्मा ने कह ही दिया।धर्मदास कंजूस जरूर था बेवकूफ नहीं। उसने सोचा कि यदि मैंने दो कुएं खुदवाने से मनाकर दिया तो यह चार कुएं खुदवाने की बात करने लगेगा इसलिए धर्मदास ने चुपचाप दो कुएं खुदवाने में ही अपनी भलाई समझी।कुएं खुदकर तैयार हुए तो उनमें पानी भरने लगा। जब कुओं में पानी भर गया तो महात्मा ने धर्मदास से कहा- " इन दो कुओं में से एक कुआं तुम्हारा है और एक मेरा।मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं, लेकिन ध्यान रहे मेरे कुएं में से तुम्हें एक बूंद पानी भी नहीं निकालना है।साथ ही अपने कुएं में से सब गांव वालों को रोज पानी निकालने देना है।मैं वापस आकर अपने कुएं से पानी पीकर प्यास बुझाऊंगा।"धर्मदास ने महात्मा वाले कुएं के मुंह पर एक मजबूत ढक्कन लगवा दिया।सब गांव वाले रोज धर्मदास वाले कुएं से पानी भरने लगे। लोग खूब पानी निकालते पर कुएं में पानी कम न होता।शुद्ध शीतल जल पाकर गांव वाले निहाल हो गये और महात्मा जी का गुणगान करने लगे।एक वर्ष के बाद महात्मा पुनः उस गांव में आये और धर्मदास से कहा कि उसका कुआं खोल दिया जाये।धर्मदास ने कुएं का ढक्कन हटवा दिया।लोग लोग यह देखकर हैरान रह गये कि महात्मा जी वाले कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं था।महात्मा ने कहा- "कुएं से कितना भी पानी क्यों न निकाला जाए वह कभी खत्म नहीं होता अपितु बढ़ता जाता है।कुएं का पानी न निकालने पर कुआं सूख जाता है इसका स्पष्ट प्रमाण तुम्हारे सामने है और यदि किसी कारण से कुएं का पानी न निकालने पर पानी नहीं भी सुखेगा तो वह सड़ अवश्य जायेगा और किसी काम में नहीं आयेगा।"महात्मा ने आगे कहा-"कुएं के पानी की तरह ही धन-दौलत की भी तीन गतियां होती हैं- उपयोग, दुर्पयोग और नाश।धन-दौलत का जितना इस्तेमाल करोगे वह उतना ही बढ़ती जायेगी।धन-दौलत का इस्तेमाल न करने पर कुएं के पानी की तरह वह निरर्थक पड़ी रहेगी।अतः अर्जित धन-दौलत का समय रहते सदुपयोग करना अनिवार्य है। इसी प्रकार ज्ञान की भी यही स्थिति है।धन-दौलत से दूसरों की सहायता करने की तरह ही ज्ञान भी बांटते चलो।"कुछ पल ठहर कर महात्मा ने आगे कहना आरम्भ किया- "हमारा समाज जितना अधिक ज्ञानवान, जितना अधिक शिक्षित व सुसंस्कृत होगा उतनी ही देश में सुख- शांति और समृध्दि आयेगी फिर ज्ञान बांटने वाले अथवा शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाले का भी कुएं के जल की तरह ही कुछ नहीं घटेगा अपितु बढ़ता ही जाएगा।"धर्मदास को अब पूर्णतः #ज्ञान मिल चुका था तो उसने महात्मा जी के समक्ष नतमस्तक होते हुए कहा- ‘हां गुरुजी, आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं और मैं अब इसे समझ चुका हूं और #सदुपयोग का #अर्थ #महिमा और #महत्व समझ गया हूं।मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है।"इस एक घटना ने धर्मदास को सही ज्ञान और सही दिशा प्रदान कर दी थी।🏹🔱🏹दशरथनंदन श्री राम की जय🏹🔱🏹💢🔥☀️जय श्री सीताराम ☀️🔥💢🔴‼️🔴पवनपुत्र हनुमान की जय🔴‼️🔴#जय_किसान_ #जय_जवान 🙏🙏❤️

#बागड़ी #जाट #जमींदार #घराणा #किसान :- हांडी का #दूध व मलाई , हांडी की छाछ व बिलोनी और मटके का पानी का स्वाद ही न्यारा है ,👌👌

जिसने पिया है वोही जाने इस देसी खान पान के फायदे ❤ जय #पंजाब #हरियाणा

 कितना भी बाहर शहर में #रेस्टोरेंट कैफे में #पिज़्ज़ा #बर्गर #खालो गांव में मां के हाथ का देसी खाने जैसे #स्वादिष्ट नहीं होंगे।

#गांव में मां के हाथ का देसी खाने के आगे सब खाने #फीके है।

💝🤗 बुजुर्ग लोग इसलिए ताकतवर है 70 साल की उम्र में भी खेती कर रहे हैं 💪 सब्जी में नहीं समझते थे सुबह और दोपहर को दूध दही घी और शाम को गेहूं की थूली में छाछ डालकर खाने में ली🙏❤️ जय जय राजस्थान जय जवान जय किसान

#किसान के #खेतों में बहुत सारे #मतीरे होते हैं उसको ईकटा करते हैं और उसके बाद में उसके अंदर का जो गिर होता है उसको निकाल कर फेंक देते हैं और उसके के अंदर बीज होता है वह मार्केट में बिकता है 😥 लेकिन कई लोगों को खाने को नहीं मिलता और हमारे यहां खेतों में बीज निकालते निकालते थक जाते हैं 👉 मतीरा लगभग एक महीना खराब नहीं होता मतीरा_खाने_से_पेशाब_की_तकलीफ_या_पेट_के_अंदर_जलन_पानी_की_कमी_ऐसे_कई_फायदे_होते_हैं 

छाना थेपड़ी और छाछ राबड़ी फेर याद दीरानी है, 
होकड़ो आव होकड़ों आव बा रीत फेर चलानी है,

गर्व हूं केव आपना टाबरिया के मेह ठेठ बागड़ी हां 
इसी मान्यता मावड़ी न दिरानी है 
बागड़ी दिवस गी मोकली मोकली बधाई 

#बागड़ी #बागड़ी_पर_गर्व_करो_शर्म नही

#जय_बागड़ी


#सदुपयोग  

किसी #गांव में #धर्मदास नामक एक #महाकंजूस व्यक्ति रहता था जिसके सन्दर्भ में सभी यही कहते थे कि धर्मदास बातें तो बहुत अच्छी-अच्छी करता है मगर है एकदम महाकंजूस, #मक्खीचूस। गांव और आसपास के लोग जानते थे कि चाय की बात तो अलग है वह किसी को एक घूंट #पानी तक के लिए नहीं पूछता था।साधु-संतों और भिखारियों को देखकर तो उसके प्राण ही सूख जाते थे कि कहीं कोई कुछ मांग न बैठे। उसके पास धन-दौलत की कोई कमी न थी ; उसके पुरखे इतना कमाकर रख गए थे कि जीवन में उसे किसी बात की कमी महसूस हो ही न सकती थी।

एक दिन उसके दरवाजे पर #एक_महात्मा आये और उन्होंने धर्मदास से सिर्फ एक #रोटी मांगी।पहले तो धर्मदास ने महात्मा को कुछ भी देने से मना कर दिया लेकिन महात्मा वहीं खड़ा रहा तो वह #आधी_रोटी देने लगा। धर्मदास द्वारा आधी रोटी देता देखकर महात्मा ने कहा- "अब तो मैं एक रोटी, नहीं पेट भरकर खाना खाऊंगा।" 

महात्मा की बढ़ती मांग देखकर बिफर उठा धर्मदास-"मैंने आपको आधी रोटी दी, आपने नहीं ली।अब मैं आपको कुछ नहीं दूंगा।" कहकर धर्मदास ने घर का दरवाजा बंद कर लिया।

महात्मा रातभर चुपचाप भूखा-प्यासा धर्मदास के #दरवाजे पर खड़ा रहा।सुबह धर्मदास ने महात्मा को अपने दरवाजे पर खड़ा देखा तो सोचा कि अगर मैंने इसे भरपेट खाना नहीं खिलाया और यह भूख-प्यास से यहीं पर मर गया तो व्यर्थ में ही साधु की हत्या का दोषी बनकर मेरी बदनामी होगी।यह सब सोचकर धर्मदास ने महात्मा से कहा-"बाबा, तुम भी क्या याद करोगे, आओ पेट भरकर खाना खा लो।"

महात्मा भी सम्भवतः धर्मदास की परीक्षा लेकर उसे सबक सिखाने के उद्देश्य से ही आए थे। धर्मदास की बात सुनकर महात्मा ने कहा- "अब मुझे खाना नहीं खाना, मुझे तो एक #कुआं खुदवा दो।"

महात्मा की बात सुनकर झुंझलाकर धर्मदास बोल पड़ा- "लो महाराज, अब कुआं बीच में कहां से आ गया?"

धर्मदास ने कुआं खुदवाने से साफ इन्कार कर दिया तो साधु महाराज अगले दिन फिर रातभर चुपचाप भूखे-प्यासे धर्मदास के दरवाजे पर खड़े रहे।सुबह जब धर्मदास ने महात्मा को भूखा-प्यासा अपने दरवाजे पर ही खड़ा पाया तो सोचा कि अगर मैने कुआं नहीं खुदवाया तो यह महात्मा इस बार जरूर भूखा-प्यास मर जायेगा ; और मैं कलंक का भागी बन जाऊंगा।'

काफी सोच- विचार कर धर्मदास ने महात्मा से हाथ जोड़कर कहा- "बाबा, मैं तुम्हारे लिए एक कुआं खुदवा देता हूं और इससे आगे अब कुछ मत बोलना।

"नहीं, एक नहीं अब तो दो कुएं खुदवाने पड़ेंगे।" बिना एक पल की देरी किए महात्मा ने कह ही दिया।

धर्मदास कंजूस जरूर था बेवकूफ नहीं। उसने सोचा कि यदि मैंने दो कुएं खुदवाने से मनाकर दिया तो यह चार कुएं खुदवाने की बात करने लगेगा इसलिए धर्मदास ने चुपचाप दो कुएं खुदवाने में ही अपनी भलाई समझी।कुएं खुदकर तैयार हुए तो उनमें पानी भरने लगा। 

जब कुओं में पानी भर गया तो महात्मा ने धर्मदास से कहा- " इन दो कुओं में से एक कुआं तुम्हारा है और एक मेरा।मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं, लेकिन ध्यान रहे मेरे कुएं में से तुम्हें एक बूंद पानी भी नहीं निकालना है।साथ ही अपने कुएं में से सब गांव वालों को रोज पानी निकालने देना है।मैं वापस आकर अपने कुएं से पानी पीकर प्यास बुझाऊंगा।"

धर्मदास ने महात्मा वाले कुएं के मुंह पर एक मजबूत ढक्कन लगवा दिया।सब गांव वाले रोज धर्मदास वाले कुएं से पानी भरने लगे। लोग खूब पानी निकालते पर कुएं में पानी कम न होता।शुद्ध शीतल जल पाकर गांव वाले निहाल हो गये और महात्मा जी का गुणगान करने लगे।

एक वर्ष के बाद महात्मा पुनः उस गांव में आये और धर्मदास से कहा कि उसका कुआं खोल दिया जाये।धर्मदास ने कुएं का ढक्कन हटवा दिया।लोग लोग यह देखकर हैरान रह गये कि महात्मा जी वाले कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं था।महात्मा ने कहा- "कुएं से कितना भी पानी क्यों न निकाला जाए वह कभी खत्म नहीं होता अपितु बढ़ता जाता है।कुएं का पानी न निकालने पर कुआं सूख जाता है इसका स्पष्ट प्रमाण तुम्हारे सामने है और यदि किसी कारण से कुएं का पानी न निकालने पर पानी नहीं भी सुखेगा तो वह सड़ अवश्य जायेगा और किसी काम में नहीं आयेगा।"

महात्मा ने आगे कहा-"कुएं के पानी की तरह ही धन-दौलत की भी तीन गतियां होती हैं- उपयोग, दुर्पयोग और नाश।धन-दौलत का जितना इस्तेमाल करोगे वह उतना ही बढ़ती जायेगी।धन-दौलत का इस्तेमाल न करने पर कुएं के पानी की तरह वह निरर्थक पड़ी रहेगी।अतः अर्जित धन-दौलत का समय रहते सदुपयोग करना अनिवार्य है। इसी प्रकार ज्ञान की भी यही स्थिति है।धन-दौलत से दूसरों की सहायता करने की तरह ही ज्ञान भी बांटते चलो।"

कुछ पल ठहर कर महात्मा ने आगे कहना आरम्भ किया- "हमारा समाज जितना अधिक ज्ञानवान, जितना अधिक शिक्षित व सुसंस्कृत होगा उतनी ही देश में सुख- शांति और समृध्दि आयेगी फिर ज्ञान बांटने वाले अथवा शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने वाले का भी कुएं के जल की तरह ही कुछ नहीं घटेगा अपितु बढ़ता ही जाएगा।"

धर्मदास को अब पूर्णतः #ज्ञान मिल चुका था तो उसने महात्मा जी के समक्ष नतमस्तक होते हुए कहा- ‘हां गुरुजी, आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं और मैं अब इसे समझ चुका हूं और #सदुपयोग का #अर्थ #महिमा और #महत्व समझ गया हूं।मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है।"

इस एक घटना ने धर्मदास को सही ज्ञान और सही दिशा प्रदान कर दी थी।

🏹🔱🏹दशरथनंदन श्री राम की जय🏹🔱🏹
💢🔥☀️जय श्री सीताराम ☀️🔥💢
🔴‼️🔴पवनपुत्र हनुमान की जय🔴‼️🔴
#जय_किसान_ #जय_जवान 🙏🙏❤️

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