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*अजीब खेल है उस परमात्मा का* *लिखता भी वही है* *मिटाता भी वही है**भटकाता है राह तो**दिखाता भी वही है* *उलझाता भी वही है* *सुलझाता भी वही है**जिंदगी की मुश्किल घड़ी में**दिखता भी नहीं मगर* *साथ देता भी वही हैं* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
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