◆◆माटी का लाल◆◆(Vnita Punjab) माटी में सना ,माटी से बनामाटी में रंगा, माटी में बसावो किसान क्यों बेबस हुआ?जीवन उगाकर जिसने जीवन दियामोल उसका मिट्टी क्यों हुआ?सुनो !ज़रा मोल दाने का लगाने वालोंकुछ भाव इनका भी हमें बतलाओ नाधरती की धानी ओढ़नी का मोल क्या होगा ज़रा समझाओ ना?उन पैरों की ख़ूनी बिवाइयों कातोड़ कोई ले आओ ना जाड़े की ठिठुरती अधसोई रातों काहिसाब ठीक ठीक लगाओ नामसलना निरीह को सदा हीशौक सत्ताधीशों का रहा हैनहीं सुन पाते हैं अब वोअर्ज़ियाँ बेबस और लाचारों कीदोष इसमें उनका है ही नहींसब दोष सिंहासन का हैउदर हैं सन्तुष्ट जिनकेवो अधखाये की पीर कैसे जान पाएंगे?सुनाकर फ़रमान अपनातुझे खेतों में ही फेंक आएंगे

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