सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं
8. कुछ औरतें अचरज से देखती चलती है सड़कों पर, महफिलों में by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब खिलखिलाती दूसरी औरतों को .....। उनकी बेफिक्र हँसी देख चुप सोचती है क्या कोई मर्द नही इनके जीवन में जिसके खौफ़ , दर्द की छाया नही इनके खुशनुमा चेहरों पर....। कुछ उदास औरतें बाज़ार , चौराहों , जलसों में हँसती औरतें देख भीतर से खाली हो जाती है सोचती है कि ये खुशहाल औरतें कैसे चारदीवारी से बाहर निकल कर लेती है हँसी ठिठोली सहेलियों से ? ... कैसे खरीदकर चंद उपहार छोटे भाई बहनों से मिल आती है पीहर । क्या कोई मर्द नही इनके जीवन में जो चिरौरियाँ करवाए कौड़ी कौड़ी की खातिर??वे नाउम्मीद औरतें देखती है हँसती औरतों कोऔर सोचती है कि इनकी ये रंगीनी बरकरार कैसे पुरुष के साथ होकर भी ?क्या कोई मर्द नही इनके जीवन में जोजहालत के चाबुक से, तंज के खंजर से , चीर दे इनकी ये महकती जिंदादिली ?क्या कोई मर्द नही जो लानत भेजे इनसे जुड़े तमाम रिश्तों को और खारिज कर दे छोटी छोटी अर्जियाँ....।क्या कोई नही इनके जीवन में जो वक्त बेवक्त औकात बताए ताकिकाबू में रहे घर की मान, मर्यादा ,आबरू और जोरू...।सड़को पर दिखती ये रौशन औरतें कैसे इत्मीनान से जिंदगी के फैसले खुद लेती हैबिना कहे " हमारे यहाँ ये किसी की नही सुनते "।..उदास औरतें हैरान है जानकरकि कुछ घर है इसी दुनिया मेंजहाँ औरतों को घर के कहकशों में शामिल किया जाता है..।जहाँ वे भी शरीक होती है जश्न में ..जहाँ वे सिर्फ जूठी थालियाँ उठाने रसोई से नही झाँकतीजहाँ खाना जल जाने परचोटी खींच थालियाँ नही मारी जाती है..।है कुछ घर जहाँ औरत शामिल है इंसानों की गिनती में ..।जहाँ कदम कदम मोहताज़ नही मर्द के रहमो करम पर...।व्रत त्यौहार ,रिश्तेदारी,रसोई के बीच अपने लिये निकाले वक़्तको तवज्जो दी जाती है ..।बुझी औरतें हैरान है जानकरक्या इन आफ़ताब सी औरतों को मुँहजोर नही कहा जाता है ??क्या इनकी नामंजूरी को भी मंजूरी है ?? मुरझाई औरतें यकीन नही कर पाती कि कई घर है इसी जमी पर जहाँ औरत सिर्फ खानसामा , चाकर और चादर नही ।खुशनुमा औरते अपने सीने में जमी ख़लिशकिसके सिरहाने बहाकर मन हलका करती है ?आख़िरकार इस सवाल का जवाब तलाश लेती है डूबे मन की औरतें ...।इनके घर पर मर्द नही है शायद...।कुछ उदास औरतें बाज़ार , चौराहों , सड़कों पर हँसती औरतों को देख चुप भीतर रीती हो जाती है,. Some women look at the streets with surprise, In the courts The other women blossoming…. He thinks silent after seeing his careless laughter Are there any men in their lives Whose fear, shadow of pain,
टिप्पणियाँ