कभी साइकिल पर सवार होकर हरियाणा की गलियों में दवाई बेचने वाला एक बाबा आज भारत का सबसे बड़ा योग गुरू है, ये एक ऐसी हैरतंगेज सच्चाई है जिसे जानकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है. शायद मेहनत और कुछ कर गुजरने की ललक ही है जो इंसान को क्या से क्या बना देती है और यही वजह है कि कल तक साइकिल पर दवाई बेचने वाले रामदेव (Ramdev) को आज लोग बाबा रामदेव (Ramdev) के नाम से जानते हैं.
समीपवर्ती गांव शहजादपुर के सरकारी स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढाई पूरी करने के बाद बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने खानपुर गांव के एक गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न व योगाचार्य बल्देवजी से संस्कृत व योग की शिक्षा ली. लेकिन बाबा रामदेव (Ramdev) के मन में कुछ कर गुजरने की चाह थी और इसी चाह को पूरा करने के लिए स्वामी रामतीर्थ की भांति अपने माता-पिता व बन्धु-बान्धवों को सदा-सर्वदा के लिये छोड़ दिया. उन्होंने युवावस्था में ही सन्यास लेने का संकल्प किया और पहले वाला रामकृष्ण, स्वामी रामदेव (Swami Ramdev) के नये रूप में अवतरित हुआ.
हर समस्या का समाधान योग व प्राणायाम बताने वाले बाबा रामदेव (Ramdev) ने सन् 1995 से योग को लोकप्रिय और सर्वसुलभ बनाने के लिये अथक परिश्रम करना प्रारम्भ किया. कुछ समय तक कालवा गुरुकुल, जींद जाकर नि:शुल्क योग सिखाया उसके बाद हिमालय में ध्यान और धारणा का अभ्यास करने निकल गए. वहां से सिद्धि प्राप्त कर प्राचीन पुस्तकों व पाण्डुलिपियों का अध्ययन करने हरिद्वार आकर कनखल के कृपालु बाग आश्रम में रहने लगे. यहीं उन्हें अपने जीवन का निर्णायक मोड़ मिला.
आस्था चैनल (Aastha TV) पर योग का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिये माधवकान्त मिश्र को किसी योगाचार्य की आवश्यकता थी. और उनकी जरुरत बाबा रामदेव (Ramdev) के रुप में खत्म हुई. बाबा ने टीवी के माध्यम से जनता तक योग की शक्ति को पहुंचाया और यहीं से वह प्रसिद्ध हो गए. आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बाबा के अनेक भक्त हैं.
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भारतीय योग पद्धति को आज के समय में विश्व में पहचान दिलाने में बाबा रामदेव (Ramdev) का अतुल्य सहयोग रहा है. बाबा ने पंतजलि योगपीठ की स्थापना कर योग को मानव-कल्याण की दिशा में कार्यरत किया है. बाबा ने योग के साथ आयुर्वेद में भी भारत को नई पहचान दिलाई है. खुद बाबा ने दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) की स्थापना की है जहां आयुर्वैदिक औषधियों का निर्माण कार्य किया जाता है और माना जाता है कि इस फार्मेसी की बनी हुई अधिकतर दवाइयां सफल होती हैं. जनता में भी इन दवाइयों की लोकप्रियता सर चढ़कर बोलती है.
बाबा रामदेव (Ramdev) ने योग को दुनियाभर में प्रसिद्धि जरुर दिलाई है पर उनके ऊपर आरोपों की झड़ी भी लगती रही है. कुछ साल पहले बाबा के दिव्य फार्मेसी में बनी दवाइयों पर यह आरोप लगा था कि इनमें जीव अस्थियों का प्रयोग होता है हालांकि लैब टेस्ट में यह साबित नहीं हो सका पर बाबा के आश्रम से कई जीवों के कंकाल और जीवित कछुए मिले थे जिससे उन पर संदेह गहरा गया था.
इसी तरह बाबा की आमदनी भी हमेशा से चर्चा का विषय रही है. कहा जा रहा है कि साल 2009-2010 में बाबा रामदेव (Ramdev) के ट्रस्ट का टर्नओवर 1100 करोड़ रु. था. बाबा द्वारा आयोजित शिविरों में पंजीकरण के लिए 5000 रुपए लगते हैं और हर शिविर में कम से कम 50 हजार लोग पहुंचते हैं. इस तरह बाबा रामदेव (Ramdev) को एक ही शिविर से लाखों का फायदा होता है. ऊपर से उनकी फार्मेसी की कमाई अलग होती है. बाबा के पास एक हेलीकॉप्टर भी है, जिसे वे अपने एक शिष्य की भेंट बताते हैं और इतना ही नहीं, बाबा रामदेव (Ramdev) ने 2009 में स्कॉटलैंड में लगभग 14.7 करोड़ का एक टापू खरीदा था जिसे बाबा रामदेव (Ramdev) भारतीय मूल्यों को एक पहचान दिलाने वाली जगह बनाने की सोच रहे हैं. बाबा की इस अथाह संपत्ति को देखते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने उसने उनकी संपत्ति का हवाला भी मांगा था जिसपर रामदेव (Yoga Guru Ramdev) ने सफाई भी दी थी.
अकसर विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय देने वाले बाबा रामदेव (Yoga Guru Ramdev) आज भारत में एक ऐसी हस्ती बन चुके हैं जो हमेशा लाइमटाइट में रहते हैं और हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखते हैं और उनकी बेबाक राय ही जनता को सबसे ज्यादा पसंद आतीी)
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