👉 This post will make you cry today 👈A poet stood on the banks of the river!Just then, the body of a girl was floating in the river.Then the poet asked the dead body ----bal vanita Mahila AshramWho are you? O suk

👉 आज तो रूला देगी ये पोस्ट 👈
एक कवि नदी के किनारे खड़ा था ! 
तभी वहाँ से एक लड़की का शव नदी में तैरता हुआ जा रहा था।
तो तभी कवि ने उस शव से पूछा ----
    कौन हो तुम ओ सुकुमारी,
बह रही नदियां के जल में ?

    कोई तो होगा तेरा अपना,
मानव निर्मित इस भू-तल मे !

    किस घर की तुम बेटी हो,
किस क्यारी की कली हो तुम 

     किसने तुमको छला है बोलो, 
क्यों दुनिया छोड़ चली हो तुम ?

    किसके नाम की मेंहदी बोलो, 
हांथो पर रची है तेरे ?

     बोलो किसके नाम की बिंदिया, 
मांथे पर लगी है तेरे ?

     लगती हो तुम राजकुमारी, 
या देव लोक से आई हो ?

      उपमा रहित ये रूप तुम्हारा, 
ये रूप कहाँ से लायी हो?

""दूसरा दृश्य----""

    ✳कवि की बाते सुनकर,, लड़की की आत्मा बोलती है..

    कवी राज मुझ को क्षमा करो, 
गरीब पिता की बेटी हूँ !

    इसलिये मृत मीन की भांती, 
जल धारा पर लेटी हूँ !

    रूप रंग और सुन्दरता ही, 
मेरी पहचान बताते है !

    कंगन, चूड़ी, बिंदी, मेंहदी, 
सुहागन मुझे बनाते है !

    पिता के सुख को सुख समझा, 
पिता के दुख में दुखी थी मैं !

    जीवन के इस तन्हा पथ पर, 
पति के संग चली थी मैं !

    पति को मेने दीपक समझा, 
उसकी लौ में जली थी मैं !

     माता-पिता का साथ छोड, 
उसके रंग में ढली थी मैं !

      पर वो निकला सौदागर, 
लगा दिया मेरा भी मोल !

     दौलत और दहेज़ की खातिर, 
पिला दिया जल में विष घोल !

     दुनिया रुपी इस उपवन में, 
छोटी सी एक कली थी मैं !

     जिस को माली समझा, 
उसी के द्वारा छली थी मैं !

     इश्वर से अब न्याय मांगने, 
शव शैय्या पर पड़ी हूँ मैं ! 

     दहेज़ की लोभी इस संसार में, 
दहेज़ की भेंट चढी हूँ मैं !

दहेज़ की भेंट चढ़ी हूँ मैं !!
😢😢😢😢😢😢😢

मे दहेज लेने वाले ओर देने वाले का खुला वीरोद करता हूँ


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मेरा पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद! .

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