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. गरीब का झोंपड़ागरीब आदमी की झोपड़ी पर…एक रात बहुत जोर की वर्षा हो रही थी। साधु था; छोटी—सी झोपड़ी थी। स्वयं और उसकी पत्नी, दोनों सोए थे। आधी रात किसी ने द्वार पर दस्तक दी। साधु ने अपनी पत्नी से कहा: उठ, द्वार खोल दे। पत्नी द्वार के करीब सो रही थी। पत्नी ने कहा: इस आधी रात में जगह कहां है? कोई अगर शरण मांगेगा तो तुम मना न कर सकोगे। वर्षा जोर की हो रही है। कोई शरण मांगने के लिए ही द्वार आया होगा। जगह कहां है? उस साधु ने कहा: जगह? दो के सोने के लायक काफी है, तीन के बैठने के लायक काफी होगी। तू दरवाजा खोल! लेकिन द्वार आए आदमी को वापिस तो नहीं लौटाना है। दरवाजा खोला। कोई शरण ही मांग रहा था; भटक गया था और वर्षा मूसलाधार थी। तीनों बैठकर गपशप करने लगे। सोने लायक तो जगह न थी।थोड़ी देर बाद किसी और आदमी ने दस्तक दी। फिर साधु ने अपनी पत्नी से कहा: खोल। पत्नी ने कहा: अब करोगे क्या, जगह कहां है? अगर किसी ने शरण मांगी? उस साधु ने कहा: अभी बैठने लायक जगह है, फिर खड़े रहेंगे; मगर दरवाजा खोल। फिर दरवाजा खोला। फिर कोई आ गया। अब वे खड़े होकर बातचीत करने लगे। इतना छोटा झोपड़ा!और तब अंततः एक गधे ने आकर जोर से आवाज की, दरवाजे को हिलाया। साधु ने कहा: दरवाजा खोलो। पत्नी ने कहा: अब तुम पागल हुए हो, यह गधा है, आदमी भी नहीं! साधु ने कहा: हमने आदमियों के कारण दरवाजा नहीं खोला था, अपने हृदय के कारण खोला था। हमें गधे और आदमी में क्या फर्क? हमने मेहमानों के लिए दरवाजा खोला था। उसने भी आवाज दी है। उसने भी द्वार हिलाया है। उसने अपना काम पूरा कर दिया, अब हमें अपना काम पूरा करना है। दरवाजा खोलो! उसकी औरत ने कहा: अब तो खड़े होने की भी जगह नहीं है! उसने कहा: अभी हम जरा आराम से खड़े हैं, फिर सटकर खड़े होंगे। और याद रख एक बात कि यह कोई अमीर का महल नहीं है कि जिसमें जगह की कमी हो! यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है!यह कहानी मैंने पढ़ी, तो मैं हैरान हुआ। उसने कहा: यह कोई अमीर का महल नहीं है जिसमें जगह न हो। यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है। जगह महलों में और झोपड़ों में नहीं होती, जगह हृदयों में होती है। अक्सर तुम पाओगे, गरीब कंजूस नहीं होता। कंजूस होने योग्य उसके पास कुछ है ही नहीं। पकड़े तो पकड़े क्या? जैसे—जैसे आदमी अमीर होता है, वैसे वैसे कंजूस होने लगता है; क्योंकि जैसे—जैसे पकड़ने को होता है, वैसे—वैसे पकड़ने का मोह बढ़ता है, लोभ बढ़ता है।.................................ऐसी ही और अच्छी कहानियों के लिए फेसबुक ऐप पर ग्रुप ज्वाइन करें *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम*🙏🙏❤️Telegram link👇🏻बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया राजस्थान भावनात्मक, प्रेरणादायक व धार्मिक पोस्टों से संबंधित है। पोस्ट को आगे भी शेयर करें जी।आप सभी का दिन शुभ हो 🙏🏻😊

जादुई नुस्खा बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबअपने पैरों के तलवों में तेल लगाएं*_विभिन्न लोगों के अपने अपने अनुभव_1. एक महिला ने लिखा कि मेरे दादा का 87 साल की उम्र में निधन हो गया, पीठ में दर्द नहीं, जोड़ों का दर्द नहीं, सिर दर्द नहीं, दांतों का नुकसान नहीं। उन्होंने बताया कि उन्हें कलकत्ता में एक बूढ़े व्यक्ति ने, जो कि रेलवे लाइन पर पत्थर बिछाने का काम करता था, सलाह दी कि सोते समय अपने पैरों के तलवों पर तेल लगाये। यह मेरे उपचार और फिटनेस का एकमात्र स्रोत है।2. एक छात्रा ने कहा कि मेरी मां ने उसी तरह तेल लगाने पर जोर दिया। एक बच्चे के रूप में, उसकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। जब उसने इस प्रक्रिया को जारी रखा, तो आंखों की रोशनी धीरे-धीरे पूरी तरह से स्वस्थ हो गई।3. एक व्यापारी अवकाश के लिए चित्राल गया था। वहाँ एक होटल में सो नही पा रहा था तो बाहर घूमने लगा। बाहर बैठे पुराने चौकीदार ने पूछा कि, "क्या बात है?" उसने कहा नींद नहीं आ रही है! वह मुस्कुराया और कहा, "क्या आपके पास कोई तेल है?" उसने कहा, नहीं, वह गया और तेल लाया और कहा, "कि कुछ मिनट के लिए अपने पैरों के तलवों की मालिश करें।" उसने वैसा ही किया फिर वह खर्राटे लेना शुरू कर दिया।4. मैंने रात में सोने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की कोशिश की। इससे मुझे बेहतर नींद आती है और थकान दूर होती है।5. मुझे पेट की समस्या थी। अपने तलवों पर तेल से मालिश करने के बाद, 2 दिनों में मेरे पेट की समस्या ठीक हो गई।6. वास्तव में! इस प्रक्रिया का एक जादुई प्रभाव है। रात को पैरों के तलवों की तेल से मालिश ने मुझे बहुत सुकून की नींद दी।7. मैं इस ट्रिक को पिछले 15 सालों से कर रहा हूं। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद आती है। मैं अपने छोटे बच्चों के पैरों के तलवों की भी तेल से मालिश करता हूं, जिससे वे बहुत खुश और स्वस्थ रहते हैं। 8. मेरे पैरों में दर्द हुआ करता था। मैंने रात को अपने पैरों के तलवों को 2 मिनट तक रोजाना जैतून के तेल से मालिश करना शुरू किया। इस प्रक्रिया से मेरे पैरों में दर्द से राहत मिली।9. मेरे पैरों में हमेशा सूजन रहती थी और जब मैं चलता था, मैं थक जाता था। अपने पैरों के तलवों पर तेल मालिश की इस प्रक्रिया को शुरू किया। सिर्फ 2 दिनों में, मेरे पैरों की सूजन गायब हो गई।10. रात में, बिस्तर पर जाने से पहले, मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का एक टिप देखा और उसे करना शुरू कर दिया। इससे मुझे बहुत ही चैन की नींद मिली।11. बड़ी अदभुत बात है। यह टिप आरामदायक नींद के लिए नींद की गोलियों से बेहतर है। मैं अब हर रात अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश करके सोता हूं।12. मुझे थायरॉइड की बीमारी थी। मेरे पैर में हर समय दर्द हो रहा था। पिछले साल किसी ने मुझे रात में पैरों के तलवों पर तेल की मालिश का यह सुझाव दिया था। मैं इसे स्थायी रूप से कर रहा हूं। अब मैं आम तौर पर शांत हूं।13. मेरे पैर सुन्न हो रहे थे। मैं रात को बिस्तर पर जाने से पहले चार दिनों तक अपने पैरों के तलवों की तेल से मालिश कर रहा हूं। अब एक बड़ा अंतर है।14. बारह या तेरह साल पहले मुझे बवासीर हुआ था। मेरा दोस्त मुझे एक ऋषि के पास ले गया जो 90 साल का था। उन्होंने हाथ की हथेलियों पर, उँगलियों के बीच, नाखूनों के बीच और नाखूनों पर तेल रगड़ने का सुझाव दिया और कहा: नाभि में चार-पाँच बूँद तेल डालें और सो जाएँ। मैं हकीम साहब की सलाह मानने लगा। मुझे बहुत राहत मिली। इस टिप ने मेरी कब्ज की समस्या को भी हल कर दिया। मेरे शरीर की थकान भी दूर हो जाती है और मुझे चैन की नींद आती है। खर्राटों को रोकता है।15. पैरों के तलवों पर तेल की मालिश एक आजमाई हुई और परखी हुई टिप है। 16. तेल से मेरे पैरों के तलवों की मालिश करने से मुझे चैन की नींद मिली।17. मेरे पैरों और घुटनों में दर्द था। जब से मैंने अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश की टिप पढ़ी है, अब मैं इसे रोजाना करता हूं, इससे मुझे चैन की नींद आती है।18. जब से मैंने रात को बिस्तर पर जाने से पहले अपने पैरों के तलवों पर तेल की मालिश के इस नुस्खे का उपयोग करना शुरू किया है, तब से मुझे कमर दर्द ठीक हो गया है। मेरी पीठ का दर्द कम हो गया है और भगवान का शुक्र है कि मुझे बहुत अच्छी नींद आई है।*रहस्य इस प्रकार है:* रहस्य बहुत ही सरल, बहुत छोटा, हर जगह और हर किसी के लिए बहुत आसान है।*किसी भी तेल, सरसों या जैतून, आदि को पैरों के तलवों और पूरे पैर पर लगायें, विशेषकर दोनो तलवों पर तीन मिनट के लिए।* रात को सोते समय पैरों के तलवों की मालिश करना कभी न भूलें, और बच्चों की मालिश भी इसी तरह करें। इसे अपने जीवन के बाकी हिस्सों के लिए एक दिनचर्या बना लें। फिर प्रकृति की पूर्णता को देखें। आप अपने पूरे जीवन में कंघी करते हैं। क्यों न पैरों के तलवों पर तेल लगाया जाए। *प्राचीन चिकित्सा के अनुसार, पैरों के नीचे लगभग 100 एक्यूप्रेशर बिंदु हैं। उन्हें दबाने और मालिश करने से मानव अंगों को भी ठीक किया जाता है। उसे फुट रिफ्लेक्सोलॉजी कहा जाता है। दुनिया भर में पैरों की मालिश चिकित्सा का उपयोग किया जाता है।*शेयर न करें बिल्कुल भीपर स्वयम पर इस्तेमाल करके अवश्य देखें। जो महसूस होगा वही असल है।

आज हम सब अपने बचपन की एक कथा को याद करते है।*मेहनत का फ़ल* लघुकथाप्रेषक: *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम*🌹🙏🙏🌹 *(ग्रुप एडमिन🌟)*पिंकी चिड़िया अपने घोंसले के पास एक खेत मे दाना चुगने जाती थी। कुछ दिनों से भोलू कौवा भी वहां दाना चुगने आने लगा । दोनों में दोस्ती हो गई। एक दिन कौवा बोला," हम कितने परेशान होते हैं यहां दाना चुनने में , कभी रखवाला आ जाता है वह हमें भगाता है तो कभी बड़े पक्षी आकर परेशान करते हैं ।क्यों ना हम एक खेत में अपना दाना बोये। चिड़िया भी खुशी से मान गई । दोनों ने जंगल के पास एक खेत ढूंढा और फैसला किया कि कल से इस पर खेती करनी शुरू कर देंगे। अगले दिन चिड़िया सुबह सवेरे उठी, बच्चों को दाना खिलाया और कौवे के घर पहुंचकर बोली," कौवे भैया चलो खेत में हल जोतते है।"कौवा बोला,चल चिड़िये , मैं आया, सोने चोंच बनवाया, पैरी मोजे पाया मैं ठुम ठुम करताआया ।" चिड़िया चली जाती है। पूरा खेत जोत लेती है। शाम हो जाती है पर कौवा नहीं आता । अगले दिन चिड़िया फिर कौवे को कहती है, "कौवा भैया चलो बीज बोते हैं।" कौवा फिर कहता है," चल चिड़िए मैं आया सोने चोंच बनवाया, पैरी मोजे पाया। मैं ठुम ठुम करता आया।" चिड़िया फिर चली जाती है। पूरे खेत में बीज बो देती है पर कौवा फिर नहीं आता। चिड़िया काम में लगी रहती है। हफ्ते बाद चिड़िया कौवे के पास जाती है और कहती है ,"कौवा भैया चलो ,खेत में पानी लगाना है।" कौवा फिर वही कहता है," चल चिड़िये , मैंआया । सोने की चोंच बनवाया , पैरी मोजे पाया। मैं ठुम ठुम करता आया।" चिड़िया फिर चली जाती है पूरे खेत को पानी लगाती है और शाम को घर आ जाती है । कुछ दिन बाद फसल पकनी शुरू हो जाती है चिड़िया कहती है," कौवे भैया चलो, खेत की रखवाली करें, नहीं तो सारी फसल उजड़ जाएगी। कौवा फिर वही कहता है, "चल चिड़िये .........। चिड़िया रोज फसल की निगरानी करती है अंत में फसल काटने का समय आ जाता है । चिड़िया कौवे को कहती है," चलो फसल काटते हैं। फसल पक कर पूरी तरह तैयार हो गई।" कौवे का फिर वही जवाब होता है। चिड़िया फसल काट लेती है। दाने और भूसा अलग अलग कर देती है।दोनों की अलग अलग ढेरियां लगा देती । फिर चिड़िया कौवे को बुलाने जाती है ।"कौवे भैया चलो फसल बांट लेते है"। कौवा उड़कर उससे आगे खेत में पहुंच जाता है और जाकर दानों की ढेरी पर बैठ जाता है कहता है," यह मेरी है और वह भूसे वाली तुम्हारी।" चिड़िया कुछ नहीं कहती चुप रहती है। इतने में बादल घुमड़ घुमड़ कर आ जाते है बहुत तेज बारिश होने लगती है। फिर ओले भी पड़ने शुरू हो जाते है। चिड़िया भूसे के अंदर घुस जाती है ।कौवा जितना दानों के अंदर घुसकर अपने को बचाने की कोशिश करता दाने उतने ही फिसलते जाते। ओलों से उसका शरीर बुरी तरह जख्मी हो गया और वह वही दानों की ढेरी पर ही दम तोड़ देता है । बारिश रुकने पर चिड़िया भूसे से बाहर निकलती है तो कौवे को मरा देखती है। उसे बहुत दुख होता है । चिड़िया आसमा की तरफ देखती है उसे लगता है भगवान कह रहे है सोच क्या रही है दाने भी तेरे और भूसा भी तेरा जो मेहनत करता है उसी को सब मिलता है। चिड़िया अब खुश खुश अपने घोंसले की तरफ उड़ चली।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏