सात सुख मानव के हैं? By वनिता कासनियां पंजाब ? 1. पहला सुख निरोगी काया अर्थात हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का कोई भी रोग नहीं होना चाहिए कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए कोई कष्ट नहीं होना चाहिए किसी भी प्रकार की पीड़ा से मुक्त शरीर ही पहला सुख है। 2. दूसरा सुख घर में माया अर्थात जीवन जीने के लिए, दान पुण्य करने के लिए, और आनंद से जीवन व्यतीत करने के लिए हमारे घर में पर्याप्त माया हो।माया अर्थात धन होना चाहिए। 3. तीसरा सुख पुत्र आज्ञाकारी यदि किसी के पास अपार धन-दौलत हो रूप हो गुण हो ऐश्वर्या हो इज्जत हो लेकिन यदि उसका पुत्र उसकी ही आज्ञा नहीं मानता है तो वे तमाम सुख सुविधाएं उसके लिए नर्क के समान है पुत्र का आज्ञाकारी होना अति आवश्यक है। 4. चौथा सुख सुलक्षणा नारी सभी प्रकार के सुख सुविधाएं होते हुए रूप सौंदर्य होते हुए विभिन्न प्रकार के विलासिता के साधन होते हुए भी यदि पत्नी अच्छे लक्षणों वाली नहीं है तो जीवन में सुख नहीं हो सकता इसलिए एक पत्नी का सुलक्षणा होना अति आवश्यक है। 5. पांचवा सुख राज में पाया अर्थात यदि घर में मुख्य पुरुष के सरकारी नौकरी हो या वह राज्य कार्यों से जुड़ा हुआ हो राज्य से उसको आमदनी प्राप्त होती हो और राजकाज आसानी से हो जाते हो। 6. छठा सुख पड़ोसी "भाया" अर्थात हमारे पड़ोस में रहने वाले लोग इस प्रकार के होने चाहिए कि हमारे विचार उनसे मिलते हो और उनके विचार हमसे मिलते हैं वह हमारे साथ हमेशा अच्छा सोचते हो और हमारे सुख-दुख में सहयोगी होने चाहिए अन्यथा यदि सभी प्रकार की सुख सुविधाएं होने के बावजूद भी यदि पड़ोसी कुटिल है और हमारी हानि करने वाला है तो वह भी एक प्रकार का दुख है इसलिए पड़ोसी का अच्छा होना सुख माना गया है। 7. सातवा सुख मात पिता का साया जिस व्यक्ति के माता और पिता जीवित होते हैं वह व्यक्ति सभी सुखों को पा लेता है माता पिता की सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है और माता-पिता का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है तो माता-पिता का जीवित रहना भी एक प्रकार का सुख है। 8. आठवां सुख पुत्री का साया वैसे तो सुख सात ही प्रकार के माने गए हैं किंतु घर में पुत्री का होना आठवां सुख माना गया है इसलिए घर में यदि पुत्री हो और उपरोक्त सभी सुख उपलब्ध हो तो ये आठों सुख माने गए हैं।
सात सुख मानव के हैं? By वनिता कासनियां पंजाब ? 1. पहला सुख निरोगी काया अर्थात हमारे शरीर में किसी भी प्रकार का कोई भी रोग नहीं होना चाहिए कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए कोई कष्ट नहीं होना चाहिए किसी भी प्रकार की पीड़ा से मुक्त शरीर ही पहला सुख है। 2. दूसरा सुख घर में माया अर्थात जीवन जीने के लिए, दान पुण्य करने के लिए, और आनंद से जीवन व्यतीत करने के लिए हमारे घर में पर्याप्त माया हो।माया अर्थात धन होना चाहिए। 3. तीसरा सुख पुत्र आज्ञाकारी यदि किसी के पास अपार धन-दौलत हो रूप हो गुण हो ऐश्वर्या हो इज्जत हो लेकिन यदि उसका पुत्र उसकी ही आज्ञा नहीं मानता है तो वे तमाम सुख सुविधाएं उसके लिए नर्क के समान है पुत्र का आज्ञाकारी होना अति आवश्यक है। 4. चौथा सुख सुलक्षणा नारी सभी प्रकार के सुख सुविधाएं होते हुए रूप सौंदर्य होते हुए विभिन्न प्रकार के विलासिता के साधन होते हुए भी यदि पत्नी अच्छे लक्षणों वाली नहीं है तो जीवन में सुख नहीं हो सकता इसलिए एक पत्नी का सुलक्षणा होना अति आवश्यक है। 5. पांचवा सुख राज में पाया अर्थात यदि घर में मुख्य पुरुष के सरकारी नौकरी हो या वह राज्य कार्यों से जुड़ा हुआ हो राज्य से उसको आमदनी प्राप्त होती हो और राजकाज आसानी से हो जाते हो। 6. छठा सुख पड़ोसी "भाया" अर्थात हमारे पड़ोस में रहने वाले लोग इस प्रकार के होने चाहिए कि हमारे विचार उनसे मिलते हो और उनके विचार हमसे मिलते हैं वह हमारे साथ हमेशा अच्छा सोचते हो और हमारे सुख-दुख में सहयोगी होने चाहिए अन्यथा यदि सभी प्रकार की सुख सुविधाएं होने के बावजूद भी यदि पड़ोसी कुटिल है और हमारी हानि करने वाला है तो वह भी एक प्रकार का दुख है इसलिए पड़ोसी का अच्छा होना सुख माना गया है। 7. सातवा सुख मात पिता का साया जिस व्यक्ति के माता और पिता जीवित होते हैं वह व्यक्ति सभी सुखों को पा लेता है माता पिता की सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है और माता-पिता का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है तो माता-पिता का जीवित रहना भी एक प्रकार का सुख है। 8. आठवां सुख पुत्री का साया वैसे तो सुख सात ही प्रकार के माने गए हैं किंतु घर में पुत्री का होना आठवां सुख माना गया है इसलिए घर में यदि पुत्री हो और उपरोक्त सभी सुख उपलब्ध हो तो ये आठों सुख माने गए हैं।