क्या ब्रह्मचर्य पालन करने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबधर्म के साथ हमेशा एक दिक्कत होती है चाहे मामला भक्ति का हो या फिर कोई और उसने हमेशा उस रास्ते को अहमियत दी है जिसमें शारीरिक सुख(Physical pleasure) कम से कम हो। धर्म को लगता है कि शारीरिक सुख कोई अपवित्र चीज है। लिहाजा उसने एक ऐसी नैतिकता को जन्म दिया जिसका विकृत होना लाजिमी है। 'ब्रह्मचर्य ' शब्द विकृत नैतिकता का हिस्सा है।क्या ब्रह्मचर्य और दिमाग की मजबूती में कोई संबंध है?बिल्कुल दोनों में गहरा संबंध है । कोई भी अप्राकृतिक कार्य दिमाग के स्वास्थ्य पर असर डालता है। यौवन आकर्षण स्वभाविक होता है। अगर आप इसको Suppress करोगे तो ये विकृत रूप में सामने आएगा। तथाकथित धार्मिक लोगों में ये विकार आमतौर पर अपनी शक्ति दिखाता है।ब्रह्मचर्य एक sexist अवधारणा है। कैसे?धार्मिक लोग कहते है कि ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन करने पर वीर्य की गति ऊर्ध्वाधर हो जाती है। चलो पुरुषों की तो हो गई और महिलाओं की? मतलब पुरुषों की चिंता महिलाओं से ज्यादा। फिर महिलाएं अपने दिमाग को कैसे मजबूत बनाएंगी। महान वैज्ञानिक न्यूटन को भी शायद इस ऊर्ध्वाधर गति के बारे में नही पता था।अगर किसी पुरुष के किसी बीमारी की वजह से अंडकोष निकाल दिए जाते हैं तो फिर वो तो ब्रह्मचर्य से अपने दिमाग को कभी मजबूत नहीं बना पाएगा। क्योंकि शुक्राणु तो अंडकोष में ही बनते है।विज्ञान क्या कहता है?अपनी हाँकनी है तो विज्ञान की सुनता कौन है। फिर भी देख लेते हैं —Source: Googleपुरुष के टेस्टिकल्स में शुक्राणुओं का निर्माण होता है।एक सेकंड में करीब 1500 शुक्राणु बनते है।[1]पुरुष के शरीर मे एक शुक्राणु की लाइफ साईकल 74 दिनों की होती है। इसके बाद वो मर जाता है और शरीर मे अवशोषित हो जाता है। [2]चूहों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि उनमें सेक्सुअल एक्टिविटी उनके दिमाग की परफॉरमेंस बढ़ा देती है—Researchers in Maryland and South Korea recently found that sexual activity in mice and rats improves mental performance and increases neurogenesis (the production of new neurons) in the hippocampus, where long-term memories are formed.[3]लिहाजा हम कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य और दिमाग की मजबूती में कोई पॉजिटिव संबंध नहीं है बल्कि इसका उल्टा होने की संभावना ज्यादा है।

धर्म के साथ हमेशा एक दिक्कत होती है चाहे मामला भक्ति का हो या फिर कोई और उसने हमेशा उस रास्ते को अहमियत दी है जिसमें शारीरिक सुख(Physical pleasure) कम से कम हो। धर्म को लगता है कि शारीरिक सुख कोई अपवित्र चीज है। लिहाजा उसने एक ऐसी नैतिकता को जन्म दिया जिसका विकृत होना लाजिमी है। 'ब्रह्मचर्य ' शब्द विकृत नैतिकता का हिस्सा है।

क्या ब्रह्मचर्य और दिमाग की मजबूती में कोई संबंध है?

बिल्कुल दोनों में गहरा संबंध है । कोई भी अप्राकृतिक कार्य दिमाग के स्वास्थ्य पर असर डालता है। यौवन आकर्षण स्वभाविक होता है। अगर आप इसको Suppress करोगे तो ये विकृत रूप में सामने आएगा। तथाकथित धार्मिक लोगों में ये विकार आमतौर पर अपनी शक्ति दिखाता है।

ब्रह्मचर्य एक sexist अवधारणा है। कैसे?

धार्मिक लोग कहते है कि ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन करने पर वीर्य की गति ऊर्ध्वाधर हो जाती है। चलो पुरुषों की तो हो गई और महिलाओं की? मतलब पुरुषों की चिंता महिलाओं से ज्यादा। फिर महिलाएं अपने दिमाग को कैसे मजबूत बनाएंगी। महान वैज्ञानिक न्यूटन को भी शायद इस ऊर्ध्वाधर गति के बारे में नही पता था।

अगर किसी पुरुष के किसी बीमारी की वजह से अंडकोष निकाल दिए जाते हैं तो फिर वो तो ब्रह्मचर्य से अपने दिमाग को कभी मजबूत नहीं बना पाएगा। क्योंकि शुक्राणु तो अंडकोष में ही बनते है।

विज्ञान क्या कहता है?

अपनी हाँकनी है तो विज्ञान की सुनता कौन है। फिर भी देख लेते हैं —

Source: Google

  1. पुरुष के टेस्टिकल्स में शुक्राणुओं का निर्माण होता है।
  2. एक सेकंड में करीब 1500 शुक्राणु बनते है।[1]
  3. पुरुष के शरीर मे एक शुक्राणु की लाइफ साईकल 74 दिनों की होती है। इसके बाद वो मर जाता है और शरीर मे अवशोषित हो जाता है। [2]

चूहों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि उनमें सेक्सुअल एक्टिविटी उनके दिमाग की परफॉरमेंस बढ़ा देती है—

Researchers in Maryland and South Korea recently found that sexual activity in mice and rats improves mental performance and increases neurogenesis (the production of new neurons) in the hippocampus, where long-term memories are formed.[3]

लिहाजा हम कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य और दिमाग की मजबूती में कोई पॉजिटिव संबंध नहीं है बल्कि इसका उल्टा होने की संभावना ज्यादा है।

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