अपने ध्यान से मष्तिष्क की शक्ति कैसे बढ़ती है? बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब · फॉलो कर रहे हैं ध्यान साधक सबसे पहले जवाब दिया गया: ध्यान से मष्तिष्क की शक्ति कैसे बढ़ती है ?ध्यान मस्तिष्क के लिए व्यायाम का कार्य करता है। ध्यान साधना के दौरान विचारों की गति को शुन्यता के स्तर तक पहुँचाने का अभ्यास किया जाता है। इस अभ्यास के दौरान विचार उत्पन्न होने की गति बहुत कम होने लगती है। जिससे मस्तिष्क शाँत होने लगता है। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षति का क्रम नियंत्रित होने में मदद मिलती है।इसके अतिरिक्त ध्यान से पहले प्राणायाम करने के दौरान बाएं नासिका छिद्र से श्वाँस लेने पर दाहिना मस्तिष्क सक्रीय होता है और दाहिने नासिका छिद्र से श्वांस लेने पर बायाँ मस्तिष्क सक्रीय होता है। इस प्रकार निरंतर ध्यान का अभ्यास करने से व्यक्ति में रचनात्मक और तार्किक दोनों प्रकार की मानसिक शक्तियों का विकास हो जाता है।इस बात के प्रमाण का मेरा अनुभव यहाँ शेयर कर रही हूँ - ध्यान साधना के लगभग चार महीने पुरे हुए होंगे। मैं अपने प्रतिदिन के नियमानुसार सुबह रात में भिगाए हुए बादाम के छिलके उतार रही थी। तभी मेरा ध्यान गया कि मैं बादाम के छिलके बाएँ हाथ से उतार रही हूँ। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं बायें और दाहिने दोनों हाथों से कार्य सामान क्षमता से करने मैं समर्थ हो गयी हूँ। ध्यान करने से पहले मुझे बाएं हाथ से कार्य करने में विशेष ध्यान देना पड़ता था।हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच) के शोध में सत्यापित किया है कि "प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट ध्यान के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क संरचना के हिप्पोकैम्पस में ग्रे मैटर वाले आकार में वृद्धि होती है।" जो कि भावनाओं को नियंत्रित करने, यदादाश्त बढ़ाने और सीखने की क्षमता, सजगता और एकाग्रता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।शोधकर्ताओं ने लगातार आठ सप्ताह तक ध्यान का अभ्यास करने के बाद टीम के सभी सदस्यों के मस्तिष्क का एमआरआई ( Magnetic resonance imaging) करवाने पर पाया कि ध्यान करने से पहले के मुकाबले ध्यान करने के बाद उनके मस्तिष्क की संरचना के हिप्पोकैम्पस में ग्रे मैटर वाले आकार में वृद्धि हो चुकी है। ध्यान से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ने का प्रमाण प्रस्तुत करने वाले शोध का लिंक [1]चित्र स्तोत्र गूगल

ध्यान मस्तिष्क के लिए व्यायाम का कार्य करता है। ध्यान साधना के दौरान विचारों की गति को शुन्यता के स्तर तक पहुँचाने का अभ्यास किया जाता है। इस अभ्यास के दौरान विचार उत्पन्न होने की गति बहुत कम होने लगती है। जिससे मस्तिष्क शाँत होने लगता है। जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षति का क्रम नियंत्रित होने में मदद मिलती है।

इसके अतिरिक्त ध्यान से पहले प्राणायाम करने के दौरान बाएं नासिका छिद्र से श्वाँस लेने पर दाहिना मस्तिष्क सक्रीय होता है और दाहिने नासिका छिद्र से श्वांस लेने पर बायाँ मस्तिष्क सक्रीय होता है। इस प्रकार निरंतर ध्यान का अभ्यास करने से व्यक्ति में रचनात्मक और तार्किक दोनों प्रकार की मानसिक शक्तियों का विकास हो जाता है।

इस बात के प्रमाण का मेरा अनुभव यहाँ शेयर कर रही हूँ - ध्यान साधना के लगभग चार महीने पुरे हुए होंगे। मैं अपने प्रतिदिन के नियमानुसार सुबह रात में भिगाए हुए बादाम के छिलके उतार रही थी। तभी मेरा ध्यान गया कि मैं बादाम के छिलके बाएँ हाथ से उतार रही हूँ। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं बायें और दाहिने दोनों हाथों से कार्य सामान क्षमता से करने मैं समर्थ हो गयी हूँ। ध्यान करने से पहले मुझे बाएं हाथ से कार्य करने में विशेष ध्यान देना पड़ता था।

हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच) के शोध में सत्यापित किया है कि "प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट ध्यान के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क संरचना के हिप्पोकैम्पस में ग्रे मैटर वाले आकार में वृद्धि होती है।" जो कि भावनाओं को नियंत्रित करने, यदादाश्त बढ़ाने और सीखने की क्षमता, सजगता और एकाग्रता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।

शोधकर्ताओं ने लगातार आठ सप्ताह तक ध्यान का अभ्यास करने के बाद टीम के सभी सदस्यों के मस्तिष्क का एमआरआई ( Magnetic resonance imaging) करवाने पर पाया कि ध्यान करने से पहले के मुकाबले ध्यान करने के बाद उनके मस्तिष्क की संरचना के हिप्पोकैम्पस में ग्रे मैटर वाले आकार में वृद्धि हो चुकी है।

ध्यान से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ने का प्रमाण प्रस्तुत करने वाले शोध का लिंक [1]

चित्र स्तोत्र गूगल

टिप्पणियाँ