संदेश

24=8=21 #आज #संगरिया में #बाल_वनिता_महिला_आश्रम का #शुभ_महुरत #स्थापना करते हुए Vnita Choudhrey Punjab #बेटी - #बेची जा रही हैएक #फटे #दुपट्टे में, वो सिमटती जा रही है।फैशन नहीं है साहेब, बेबसी छुपा रही है।मालूम है उसे,क्या है उसके #इज़्ज़त की कीमत,पैसों की #झंकार की ख़ातिर, बेची जा रही है।Emotional Poem सिसकियाँ लबों पर, खौफ़ है उसकी आँखों में,न जाने किस वहशत के आगे,उतारी जा रही है।तलाश रही है निगाहें, एक उम्मीद की तरफ,ये कैसी मौत है, ज़िंदा लाश सजाई जा रही है।मुक़द्दर की लकीरों ने, खींची है ग़रीबी जब से,हर #दौलतवालों की, रखैल बताई जा रही है।तमाशा बन जायेगा एक दिन, ज़रा मरने तो दो,हर दिन अख़बार में, यही सुर्खियाँ आ रही है।ऐ शीशे के महलवालों, परदे ज़रा ढ़क लिया करो,आईने में, एक तस्वीर तुम्हारी भी नज़र आ रही है।Vnita Kasnia Punjab इस बात में कोई दो राय नहीं कि जिस घर में बेटियां रहती हैं वहां रौकन अपने आप आ जाती है। तीज-त्योहार पर बेटियां ही तो घर में रंग जमाती हैं, मां का हाथ बंटाती हैं, #पापा और भाई का ख्याल रखती है। ऐसे में हमारा भी तो फर्ज बनता है कि हम बेटी पर सुविचार (beti par suvichar) और बेटी पर #स्टेट्स लिखें और उनको सुनाए ताकि उनकी भावना, प्यार और आगे बढ़ने की सोच में कभी कमी न आये। बेटियां भले शारीरिक रूप से कमज़ोर कहलाती हों पर उनकी आत्मशक्ति जितनी मजबूत होती है वो किसी से छुपी नहीं है। हम आपके लिए बेटी दिवस के मौके पर लाए हैं हैप्पी डॉटर्स डे कोट्स या बेटी के लिए प्रेरणादायक संदेश, जिसे आप अपनी बेटी और दूसरों के साथ भी शेयर कर ये बता सकते हैं कि बेटियां वास्तव में कितनी खास होती हैं ……खिलती हुईं #कलियां हैं बेटियां, मां-बाप का दर्द समझतीं हैं बेटियां, घर को रौशन करती हैं बेटियां, लड़के आज हैं तो आने वाला कल हैं बेटियां।लक्ष्मी का #वरदान हैं बेटियां, सरस्वती का मान हैं बेटियां, धरती पर #भगवान हैं बेटियां#खुशनसीब होते हैं वे मां बाप, जिनकी बेटियां हों उनके पास, वे जिंदगी की आस हैं, वे हैं तभी जिंदगी बहुत ही खास है।बेटियों को #धरती पर सिर्फ और सिर्फ प्यार बांटने के लिए ही भेजा गया है, वे परी हैं, वे अप्सरा हैं।एक बेटा तब तक आपका बेटा है, जब तक वह अविवाहित है पर एक बेटी जीवन भर एक बेटी होती है।एक बेटी इतनी बड़ी हो सकती है कि वह आपकी गोद में न समाए लेकिन वह इतनी बड़ी कभी नहीं हो सकती कि आपके दिल में न समा सके।बेटे भाग्य से होते हैं लेकिन बेटियां #सौभाग्य से होती हैं।(Daughters Quotes जिनके घर में बेटियां होती हैं, उनके घरों को चिरागों की जरूरत नहीं पड़ती है।बेटा भले ही भूल जाए, माता-पिता को तब तक नहीं भूलती हैं बेटियां, जब तक है दुनिया।बेटियों को जैसे संस्कार मिलेंगे, वैसे ही समाज का निर्माण होगा।चिड़िया देख कर बेटी मेरी बोली, मां मुझे भी पंख ला दो। मां मन ही मन बोली, पंख न होते हुए भी, उड़ जाएगी तू एक दिन।मेरी बाकी उंगलियां उस उंगली से बहुत जलती हैं, जिस उंगली को पकड़ कर मेरी बेटी चलती है।बेटियां होती हैं जिंदगी में बेहद खास, उनके साथ अनोखा होता है एहसास, हर किसी को होना चाहिए बेटियों पर नाज फूलों की कली मेरी लाडली, नन्ही सी परी मेरी लाडली, तू हमेशा जुग-जुग जिए, यही कामना है मेरी।एक मां और बेटी का प्यार कभी अलग नहीं हो सकता है।#बिटिया मेरी कहती बाहें पसार, उसको चाहिए बस प्यार-दुलार, उसकी अनदेखी करते हैं सब, क्यों इतना निष्ठुर है ये संसार।टी को चांद जैसा मत बनाओ कि हर कोई घूर घूर के देखे, उसे सूरज जैसा बनाओ ताकि घूरने से पहले नजर झुक जाए।ख्वाबों के पंख के सहारे उड़ने को तैयार हूं, मैं हूं एक बेटी, आसमान की बुलंदियों को छूने के लिए तैयार हूं।देवी का रूप, देवों का मान हैं बेटियां, परिवार के कुल को जो रोशन करें, वो चिराग हैं बेटियां।मेरी बेटी के लिए मैं हार्ड डिस्क और मेमोरी चिप हूं क्योंकि जब वह कोई सामान रख कर भूल जाती है तो उसे मेरी याद आती है और उसके सारे राज मेरी हार्डडिस्क में सेव रहते हैं।जब मेरी बेटी मुझे कहती है कि उसे मेरी जरूरत है, दरअसल उसको पता ही नहीं कि उससे अधिक मुझे उसकी जरूरत है।एक लड़की अपनी लिपस्टिक के शेड्स से और अपने मां-बाप के सम्मान के साथ कभी भी समझौता नहीं कर सकती।ये बेटियां तो बाबुल की रानियां हैं, मीठी-मीठी प्यारी-प्यारी ये कहानियां हैं।आ री निंदिया मेरी बिटिया की पलकों में आजा, आकर उसकी पलकों में कोई, प्यारा सा गीत गुनगुना।मेरी प्यारी बेटी हमेशा याद रखना, आप बहादुर हैं, आप सक्षम हैं, आप बहुत सुंदर हैं और आप अपनी दिल की सभी इच्छाओं को पूरा करने का हक़ रखती हैं।मेरी बेटी ही मेरा जुनून, मेरी जिंदगी है।मैं अपनी बेटी से बस यही चाहती हूं कि जिंदगी में वह जो कुछ भी करे, पूरे आत्मविश्वास के साथ करे।मैंने अब तक जो सबसे अच्छा संगीत सुना है, वह मेरी बेटी की आवाज है।Vnita Vnita Punjab Daughters spread happiness in the family even after bearing the pain of sorrows themselves. Daughters remain satisfied even in quietness. They just want respect and respect, daughters do not make any greed for money.a good manखुद दुखों के दर्द को सह कर भी परिवार में खुशियां बिखेरती हैं बेटियां। चुपचाप कम में भी संतुष्ट रहती हैं बेटियां। उन्हें बस चाहिए मान-सम्मान, धन का कोई लालच नहीं करती हैं बेटियां।एक अच्छा पुरुष अपनी जिंदगी में औरत का सम्मान करना सीख जाता है क्योंकि उसकी जिंदगी में बेटी होती है।बेटे पिता की ज़मीन बांटते हैं और बेटियां पिता का #दुख बांटती हैं।बेटी कुछ भी मांगे तो बिना सोचे लाकर दे देना क्योंकि शादी के बाद आप कुछ भी देंगे तो उसके शब्द यहीं होंगे कि इसकी क्या जरूरत थी पापा।एक बेटी को जन्म देने से एक औरत की गोद में अचानक केवल एक मासूम ही नहीं आती, बल्कि एक छोटी लड़की, आने वाले कल की औरत और अपने अतीत के द्वंद्व और भविष्य के सपने और उम्मीदें भी लाती हैं।विज्ञान भी मानता है कि बेटियों में बेटों से एक गुण ज्यादा होता है।बेटे तो एक घर चलाते हैं, बेटियां दो-दो घरों को स्वर्ग बनाती हैं।बेटी वो होती है, जिसके साथ आप हंसते हैं, सपने देखते हैं और पूरे दिल से प्यार करते हैं।एक पिता तब तक अधूरा है, जब तक वह अपनी सबसे महत्वपूर्ण रचना यानि अपनी बेटी को सफल होते न देख ले।जहां मानवता मर जाती है, वहीं तो बेटियों का गला गर्भ में ही घोंट दिया जाता है।बाल वनिता महिला आश्रमबेटी के जन्म पर रोक न लगाओ, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, उसके #जन्म होने पर #खुशियां मनाओ।यदि समाज को शिक्षित करना है तो सबसे पहले बेटियों को शिक्षित करो।

आप नष्ट हो गईं।रणकपुर त्रैलोक्य-दीपक जैन मंदिर अपने अलंकरण के साथ, चित्तौड़ के कुंभस्वामी और आदिवर्ष मंदिर और शांतिनाथ जैन मंदिर राणा कुंभा के शासन के दौरान निर्मित कई अन्य संरचनाएं हैं।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकला और संगीत में योगदान संपादित करेंकुम्भा स्वयं वीणा वादन में पारंगत थे और अपने दरबार में संगीतकारों के साथ-साथ कलाकारों को भी संरक्षण देते थे। उन्होंने स्वयं जयदेव के गीता गोविंदा पर एक भाष्य और चंडीसत्कम पर स्पष्टीकरण लिखा था । उन्होंने " सगीत राज ", " संगीत मीमांसा " नामक संगीत पर ग्रंथ भी लिखा ; " संगीत रत्नाकर " और " शुद्रबंध "। वे चार नाटकों के लेखक थे जिनमें उन्होंने संस्कृत , प्राकृत और स्थानीय राजस्थानी बोलियों का प्रयोग किया। उनके शासनकाल में विद्वानों अत्रि और उनके पुत्र महेसा ने कीर्ति स्तम्भ पर प्रशस्ति लिखी। वे वेद , उपनिषद और व्याकरण के अच्छे जानकार थे।मृत्यु और उसके बाद संपादित करेंबिरला मंदिर में राणा कुंभा की बास राहतराजपुताना में एक ब्रिटिश प्रशासक जेम्स टॉड , जिसकी अभी भी राजपूतों द्वारा बहुत प्रशंसा की जाती है, लेकिन आमतौर पर आधुनिक इतिहासकारों द्वारा अविश्वसनीय माना जाता है, गलती से राणा कुंभा ने मीरा बाई से शादी कर ली थी । लेकिन 1468 में कुम्भा की हत्या कर दी गई और मीराबाई का जन्म 1498 में हुआ। इस प्रकार, टॉड की ओर से ऐसा सोचना एक त्रुटि थी। [९] कुम्भा को उसके पुत्र उदयसिंह ( उदय सिंह प्रथम ) ने मार डाला , जो उसके बाद हत्यारा (हत्यारा) के रूप में जाना जाने लगा । 1473 में उदय की स्वयं मृत्यु हो गई, मृत्यु का कारण कभी-कभी बिजली गिरने के परिणामस्वरूप बताया जाता है, लेकिन अधिक संभावना यह भी है कि हत्या भी हुई हो। [6]बिजली गिरने का दावा कथित तौर पर तब हुआ जब उदय दिल्ली में था, जहां से वह मेवाड़ को फिर से हासिल करने के लिए अपने समर्थन के बदले दिल्ली सुल्तान से अपनी बेटी की शादी की पेशकश करने गया था, जिसे उसके भाई रायमल ने कब्जा कर लिया था। अपने शासन के पांच वर्षों में, उसने मेवाड़ क्षेत्र का बहुत कुछ खो दिया और अबू देवड़ा प्रमुख को स्वतंत्र बना दिया और अजमेर, शाकंभरी को मारवाड़ के राठौर राजा जोधा को दोस्ती के प्रतीक के रूप में दिया (वे चचेरे भाई थे)। उदय सिंह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र नहीं बल्कि मेवाड़ का एक अन्य भाई रायमल था। रायमल ने दिल्ली के सुल्तान की मदद मांगी और घासा में एक लड़ाई शुरू हुई जिसमें सहस्माल और सूरजमल, विद्रोही भाई, रायमल के दूसरे बेटे पृथ्वीराज से हार गए। [१०]हालाँकि, पृथ्वीराज तुरंत सिंहासन पर नहीं चढ़ सके क्योंकि रायमल अभी भी जीवित थे। फिर भी, उन्हें क्राउन प्रिंस के रूप में चुना गया, क्योंकि उनके छोटे भाई जयमल पहले मारे गए थे, और उनके बड़े भाई संग्राम सिंह तीन भाइयों के बीच लड़ाई के बाद से फरार थे। [ उद्धरण वांछित ]पृथ्वीराज को अंततः उसके बहनोई ने जहर देकर मार दिया था, जिसे पृथ्वीराज ने अपनी बहन के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए पीटा था। कुछ दिनों बाद शोक के कारण रायमल की मृत्यु हो गई, इस प्रकार संग्राम सिंह के सिंहासन पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। संग्राम सिंह, जो इस बीच, स्व-निर्वासन से लौटे थे, मेवाड़ के सिंहासन पर चढ़े और राणा सांगा के रूप में प्रसिद्ध हुए। [ उद्धरण वांछित ]यह सभी देखेंबाल वनिता महिला आश्रमसंपादित करेंराजपूतों की सूचीसंदर्भ संपादित करें^ शर्मा १९७० , पृ. 5.^ ए बी सी सेन, शैलेंद्र (2013)। मध्यकालीन भारतीय इतिहास की पाठ्यपुस्तक । प्राइमस बुक्स। पीपी 116-117। आईएसबीएन 978-9-38060-734-4.^ सारदा, हर बिलास (1917)। महाराणा कुम्भा । अजमेर , राजपुताना एजेंसी , ब्रिटिश भारत : अजमेर; 1917. पीपी. 14-18। आईएसबीएन 978-9-38060-734-4.^ राजस्थान थ्रू द एज वॉल्यूम 5, पृष्ठ 5-30^ मध्यकालीन भारत: सल्तनत से मुगलों तक- दिल्ली सल्तनत (1206-1526) सतीश चंद्र द्वारा पृष्ठ 223 - कुंभ ने सांभर, नागौर, अजमेर, रणथंभौर आदि को अपने अधीन कर लिया और सीमावर्ती राज्यों बूंदी, कोटा और डूंगरपुर आदि को अपने अधीन कर लिया। नियंत्रण।

*देवशयनी एकादशी व्रत कथा*By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें ।भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ । वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है । आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया । ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए । जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए । ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।राजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है । जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए । सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए । जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है । राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए । कभी भूलना नहीं चाहिए । ‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं, गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं - अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए ।*देवशयनी एकादशी व्रत कथा* युधिष्ठिर ने पूछा : भगवन् ! आषाढ़ के शुक्लपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है? यह बतलाने की कृपा करें ।भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम ‘शयनी’ है। मैं उसका वर्णन करता हूँ । वह महान पुण्यमयी, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करनेवाली, सब पापों को हरनेवाली तथा उत्तम व्रत है । आषाढ़ शुक्लपक्ष में ‘शयनी एकादशी’ के दिन जिन्होंने कमल पुष्प से कमललोचन भगवान विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है, उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया । ‘हरिशयनी एकादशी’ के दिन मेरा एक स्वरुप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर तब तक शयन करता है, जब तक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती, अत: आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक मनुष्य को भलीभाँति धर्म का आचरण करना चाहिए । जो मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है, इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । एकादशी की रात में जागरण करके शंख, चक्र और गदा धारण करनेवाले भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए । ऐसा करनेवाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।बाल वनिता महिला आश्रमराजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाले सर्वपापहारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है, वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय रहनेवाला है । जो मनुष्य दीपदान, पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं, वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान विष्णु सोये रहते हैं, इसलिए मनुष्य को भूमि पर शयन करना चाहिए । सावन में साग, भादों में दही, क्वार में दूध और कार्तिक में दाल का त्याग कर देना चाहिए । जो चौमसे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वह परम गति को प्राप्त होता है । राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है, अत: सदा इसका व्रत करना चाहिए । कभी भूलना नहीं चाहिए । ‘शयनी’ और ‘बोधिनी’ के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशीयाँ होती हैं, गृहस्थ के लिए वे ही व्रत रखने योग्य हैं - अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । शुक्लपक्ष की सभी एकादशी करनी चाहिए ।

श्री गणेशाय नमःBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबश्री जानकी वल्लभो विजयतेकलयुग के समस्त पापो का नाश करने वाले श्री रामचरितमानस के प्रथम सौपान बालकांड का 217 वा दोहा सहित छंद मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी॥दौहा -: रिषय संग रघुबंस मनि करि भोजनु बिश्रामु।बैठे प्रभु भ्राता सहित दिवसु रहा भरि जामु॥217॥भावार्थ -: रघुकुल के शिरोमणि प्रभु श्री रामचन्द्रजी ऋषियों के साथ भोजन और विश्राम करके भाई लक्ष्मण समेत बैठे। उस समय पहरभर दिन रह गया था॥217॥चौपाई -: लखन हृदयँ लालसा बिसेषी।जाइ जनकपुर आइअ देखी॥प्रभु भय बहुरि मुनिहि सकुचाहीं।प्रगट न कहहिं मनहिं मुसुकाहीं॥1॥भावार्थ -: लक्ष्मणजी के हृदय में विशेष लालसा है कि जाकर जनकपुर देख आवें, परन्तु प्रभु श्री रामचन्द्रजी का डर है और फिर मुनि से भी सकुचाते हैं, इसलिए प्रकट में कुछ नहीं कहते, मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं॥1॥राम अनुज मन की गति जानी।भगत बछलता हियँ हुलसानी॥परम बिनीत सकुचि मुसुकाई।बोले गुर अनुसासन पाई॥2॥भावार्थ -: (अन्तर्यामी) श्री रामचन्द्रजी ने छोटे भाई के मन की दशा जान ली, (तब) उनके हृदय में भक्तवत्सलता उमड़ आई। वे गुरु की आज्ञा पाकर बहुत ही विनय के साथ सकुचाते हुए मुस्कुराकर बोले॥2॥नाथ लखनु पुरु देखन चहहीं।प्रभु सकोच डर प्रगट न कहहीं॥जौं राउर आयसु मैं पावौं।नगर देखाइ तुरत लै आवौं॥3॥भावार्थ -: हे नाथ! लक्ष्मण नगर देखना चाहते हैं, किन्तु प्रभु (आप) के डर और संकोच के कारण स्पष्ट नहीं कहते। यदि आपकी आज्ञा पाऊँ, तो मैं इनको नगर दिखलाकर तुरंत ही (वापस) ले आऊँ॥3॥सुनि मुनीसु कह बचन सप्रीती।कस न राम तुम्ह राखहु नीती॥धरम सेतु पालक तुम्ह ताता।प्रेम बिबस सेवक सुखदाता॥4॥भावार्थ -: यह सुनकर मुनीश्वर विश्वामित्रजी ने प्रेम सहित वचन कहे- हे राम! तुम नीति की रक्षा कैसे न करोगे, हे तात! तुम धर्म की मर्यादा का पालन करने वाले और प्रेम के वशीभूत होकर सेवकों को सुख देने वाले हो॥4॥

. "गुरु की कृपा"By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब गुरु-कृपा अथवा सन्त-कृपा का बहुत विशेष माहात्म्य है। भगवान् की कृपा से जीव को मानव शरीर मिलता है और गुरु-कृपा से भगवान् मिलते हैं। लोग समझते हैं कि हम गुरु बनायेंगे, तब वे कृपा करेंगे। परन्तु यह कोई महत्त्व की बात नहीं है। अपने-अपने बालकों का सब पालन करते हैं। कुतिया भी अपने बच्चों का पालन करती है। परन्तु सन्त-कृपा बहुत विलक्षण होती है। दूसरा शिष्य बने या न बने, उनसे प्रेम करे या वैर करे-इसको सन्त नहीं देखते। दीन-दु:खी को देखकर सन्त का हृदय द्रवित हो जाता हैं। तो इससे उसका काम हो जाता है। जगाई-मधाई प्रसिद्ध पापी थे और साधुओं से वैर रखते थे, पर चैतन्य महाप्रभु ने उन पर भी दया करके उनका उद्धार कर दिया। सन्त सब पर कृपा करते हैं, पर परमात्मतत्त्व का जिज्ञासु ही उस कृपा को ग्रहण करता है; जैसे-प्यासा आदमी ही जल को ग्रहण करता है। वास्तव में अपने उद्धार की लगन जितनी तेज होती हैं, सत्य तत्त्व की जिज्ञासा जितनी अधिक होती है, उतना ही वह उस कृपा को अधिक ग्रहण करता है। सच्चे जिज्ञासु पर सन्त-कृपा अथवा गुरु-कृपा अपने-आप होती है। गुरु कृपा होने पर फिर कुछ बाकी नहीं रहता। परन्तु ऐसे गुरु बहुत दुर्लभ होते हैं। पारस से लोहा सोना बन जाता है, पर उस सोने में यह ताकत नहीं होती कि दूसरे लोहे को भी सोना बना दे। परन्तु असली गुरु मिल जाय तो उसकी कृपा से चेला भी गुरु बन जाता है, महात्मा बन जाता है- पारस में अरु संत में, बहुत अंतरौ जान। वह लोहा कंचन करे, वह करै आपु समान॥ यह गुरुकृपा की ही विलक्षणता है! यह गुरुकृपा चार प्रकार से होती है-स्मरण से, दृष्टि से, शब्द से और स्पर्श से। जैसे कछवी रेत के भीतर अण्डा देती है, पर खुद पानी के भीतर रहती हुई उस अण्डे को याद करती रहती है तो उसके स्मरण से अण्डा पक जाता है, ऐसे ही गुरु के याद करने मात्र से शिष्य को ज्ञान हो जाता है-यह ‘स्मरण-दीक्षा' है। जैसे मछली जल में अपने अण्डे को थोड़ी-थोड़ी देर में देखती रहती है तो देखने मात्र से अण्डा पक जाता है, ऐसे ही गुरु की कृपा-दृष्टि से शिष्य को ज्ञान हो जाता है-यह 'दृष्टि-दीक्षा' है। जैसे कुररी पृथ्वी पर अण्डा देती है और आकाश में शब्द करती हुई घूमती रहती है तो उसके शब्द से अण्डा पक जाता है, ऐसे ही गुरु अपने शब्दों से शिष्य को ज्ञान करा देता है-यह 'शब्द-दीक्षा' है। जैसे मयूरी अपने अण्डे पर बैठी रहती है तो उसके स्पर्श से अण्डा पक जाता है, ऐसे ही गुरु के हाथ के स्पर्श से शिष्य को ज्ञान हो जाता है—यह 'स्पर्श-दीक्षा' है। ईश्वर की कृपा से मानव-शरीर मिलता है, जिसको पाकर जीव स्वर्ग अथवा नरक में भी जा सकता है तथा मुक्त भी हो सकता हैं। परन्तु गुरुकृपा या सन्तकृपा से मनुष्य को स्वर्ग अथवा नरक नहीं मिलते, केवल मुक्ति ही मिलती है। गुरु बनाने से ही गुरुकृपा होती है-ऐसा नहीं है। बनावटी गुरु से कल्याण नहीं होता। जो अच्छे सन्त-महात्मा होते हैं, वे चेला बनाने से ही कृपा करते हों-ऐसी बात नहीं है। वे स्वत: और स्वाभाविक कृपा करते हैं। सूर्य को कोई इष्ट मानेगा, तभी वह प्रकाश करेगा यह बात नहीं है। सूर्य तो स्वत: और स्वाभाविक प्रकाश करता है, उस प्रकाश को चाहे कोई काम में ले ले। ऐसे ही गुरु की, सन्त-महात्मा की कृपा स्वतः स्वाभाविक होती है। जो उनके सम्मुख हो जाता है, वह लाभ ले लेता है। जो सम्मुख नहीं होता, वह लाभ नहीं लेता। जैसे, वर्षा बरसती है तो उसके सामने पात्र रखने से वह जल से भर जाता है। परन्तु पात्र उलटा रख दें तो वह जल से नहीं भरता और सूखा रह जाता है। सन्तकृपा को ग्रहण करने वाला पात्र जैसा होता है, वैसा ही उसको लाभ होता है। सतगुरु भूठा इन्द्र सम, कमी न राखी कोय। वैसा ही फल नीपजै, जैसी भूमिका होय॥ वर्षा सब पर समान रूप से होती है, पर बीज जैसा होता है, वैसा ही फल पैदा होता है। इसी तरह भगवान् की और सन्त-महात्माओं की कृपा सब पर सदा समान रूप से रहती है। जो जैसा चाहे, लाभ उठा सकता है। ----------:::×:::---------- रचना: स्वामी "श्रीरामसुखदासजी" महाराज पुस्तक: "बाल वनिता महिला आश्रम क्या गुरु बिना मुक्ति नहीं" कोड: 1072 प्रकाशक: गीताप्रेस "जय जय श्री राधे"******************************************* "श्रीजी की चरण सेवा" की सभी धार्मिक, आध्यात्मिक एवं धारावाहिक पोस्टों के लिये हमारे पेज से जुड़े रहें👇बाल वनिता महिला आश्रम

पिप्पलाद ऋषि कौन थे ? पिप्पलाद ऋषि का शनिदेव से क्या संबंध है ?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबश्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा-नारद- बालक तुम कौन हो ?बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।तब नारद ने ध्यान धर देखा।नारद ने आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की आयु में ही हो गयी थी।बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?नारद- शनिदेव की महादशा।इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी।ब्रह्मा जी से वर मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया।शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए।ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर मांगने की बात कही। तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे-1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया।तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया । जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।अतः तभी से शनि "शनै:चरति य: शनैश्चर:" अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए। सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है।आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है ।

Sangaria school list Children Academy Sangria Hanumangarh Rajasthan Posted by By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब School Rajasthan बाल वनिता महिला आश्रम Sangria School Name in Sangria Mobile School Email in Sangria 1 ADARSH BAL VIDHYA NIKETAN NATH 9461295511 ABVN8NTW@GMAIL.COM2 ADARSH HAPPY BABY SEC. SCHOOL 9460319682 care@emitra.org3 ADARSH VIDHYA MANDIR 9667855631 info@emitra.org4 AMARDEEP MODEL SCHOOL 9460645071 saharanvedparkash@gmail.com5 B.S. PUBLIC SCHOOL SANGRIA 9636160457 bsschoolsangaria@gmail.com6 BABA MANGALPURI PUBLIC UPS 9414889294 babamangalpuri@gmail.com7 BABA SANGU SING MPS BHAGATPURA 9414504448 care@emitra.org8 BAL BHARTI PUBLIC SCHOOL 9950177126 rajendersrathore@gmail.com9 BAL NAV JIVAN MODEL SEC. SCHOO 9413382176 skgodara.bn@gmail.com10 BAL NIKETAN UPS DHABAN 9413777359 balniketandhaban@yahoo.in11 BAL VIKAS UPS 9414630784 calibacy@yahoo.com12 BALOTHAN ADARSH UPS 9460690231 info@emitra.org13 BHAVYA ANGEL 15 BGP DEENGARH 9413129000 bhavyaangelconventschool@gmail.com14 BLUE BELLS CHILDREN ACADEMY 9414091040 info@bbcasangaria.org15 D.C.MODEL SEC SCH WN 5 SNG 9414091451 d.c.model.school.551@gmail.com16 D.R. PUBLIC SCHOOL 9602111779 drschoolsangaria@gmail.com17 D.R. SR.SEC. SCHOOL 9829302076 drschoolsangaria@gmail.com18 DASMESH MODEL UPS 7MJD MORJAND SIKAN 9828222964 dmupsikhan@gmail.com19 DAYANAND ARYA VED VIDYAL SM W21 SNG 9414091401 DAVSANGARIA@YAHOO.COM20 DAYANAND VIDHYA MANDIR UPS RAS 9928335346 shridayanandvidyamandir7idg@gmail.com21 DESHMESH PUBLIC SCHOOL 9413514875 care@emitra.org22 DESHMESH UPS NATHWANA 9414629977 dupsnathwana@gmail.com23 DIVINE LITE PUBLIC SCHOOL 9414482265 divinelightsangaria@yahoo.com24 G.G.S. KHALSA PUBLIC SCHOOL 9460267193 subhashchoudharu743@gmail.com25 GURU HARGOVIND KHALSA SAMITI 9414954208 ghkschoolmanaksar@gmail.com26 GURU TEG BAHDUR KHALSA UPS 9610064071 maninderdhaliwal306@gmail.com27 JAI DURGA MATA UPS MALARAMPURA 9460488140 info@emitra.org28 K.R. CONVENT SCH WN 4 SANG 9414481347 KRSANSTHAN@YAHOO.COM29 KHALSA PS MORJANDSIKHAN 9983404871 care@emitra.org30 KISAN SAHID SMARAK KHALSA P.S. 9828629784 ajaybishnoi37@gmail.com31 KR ADARSH PS SCHOOL SANGRIA 9414481347 KRSANSTHAN@YAHOO.COM32 KRISHNA ADARSH VIDHYALA 9799268506 krishanaschool09@gmail.com33 LBS MEMORIAL UPS 9413612522 chodharyj03@gmail.com34 LITIL HEART CH. AC. SANGRIA 9636160457 littleheartsangaria@gmail.com35 M R EDUCATION AC WN 9 SANGRIA 9413516005 mreduacademy@gmail.com36 MANSURIYA V NI UPS 2 BGP DHABAN 9413235950 mansuriyaschool@gmail.com37 MAYA BH.N WN 5 HARIPURA 9024501278 lakhveersgra@gmail.com38 MODERN PUBLIC UPS 6 KSD 9660525427 info@emitra.org39 MOHANI DAVI MEM SIK SANS MANAKSAR 9785719116 MOHANI.DEVI007@GMAIL.COM40 MORNING GLORY SCH BHAGATPURA 9460621200 pawanmidha77@gmail.com41 MOTHERS PRIDE ACADEMY WN 14 SANG 9414577798 MOTHERSPRIDEACADEMY@GMAIL.COM42 NAMDEV VIDHYA NIKETAN 9783528031 NDVNS90@gmail.com43 NAVNIKETAN UPS 19 AMP SAHAPINI 9983494154 navniketanups@gmail.com44 NEW GYAN JYOTI MODEL UPS SANGR 8952040624 vk.renugupta@gmail.com45 NEW JYOTI PUBLIC SCHOOL 9413602003 newjyotipublicschool@gmail.com46 PANCHSHEEL VIDYA NIKETAN SEC SCH SANGRIA 9461122234 pvnschool@yahoo.com47 R.K. AJAD HIND PUBLIC SCHOOL 9828222964 rkahpup@gmail.com48 S B S PUB SCH BUGLANWALI 21 MJD 9413778838 rktak101@gmail.com49 S.D.UPS RATANPURA 9460785756 pkhati73@gmail.com50 S.G.N. KHALSA PUBLIC SCHOOL DHALIA 9828891646 SKPSSF@GMAIL.COM51 S.L. MODEL SCHOOL 9784683430 slmodelschool2ptpnukera@gmail.com52 S.L. SEC. SCHOOL 9414578225 bishnoi29bablu@gmail.com53 S.L.PUBLIC UPS 9549528000 mukeshbhadu64@gmail.com54 SARDAR PATEL SS WN 5 SNG 9414535897 premdivya897@gmail.com55 SARSVATI VIDHYA NIKATAN NAGRAN 9784332710 svnschoolngr@gmail.com56 SARSWATI BAL MANDIR SR SCHOOL HARIPURA 9413931840 sandeepkingra9@gmail.com57 SARSWATI MODEL SCHOOL 9414439599 calibacy@gmail.com58 SARSWATI SHIKSHA SADAN UPS DHA 9462914732 sssupsdhaban@gmail.com59 SARSWATI VIDHYA MANDIR KISHAN UTTAR 9414512442 sitaram.kpu@gmail.com60 SARSWATI VIDHYA NIKETAN 9784712101 info@emitra.org61 SARVODYA PUBLIC UPS 9785425988 UPS.RATANPURA@GMAIL.COM62 SECRET HEART SCHOOL SANGRIA 9416921438 sacredheartsang@gmail.com63 SGN KHALASA SCH DHALIA 9799535258 saharanvedparkash@gmail.com64 SGTB KHALSA NUKERA 8058598808 sgtbs743@gmail.com65 SH RAMCHANDER MEM PUB S LEELANWALI 9166987993 info@emitra.org66 SHREE BALAJI UPS AMARPURA JALU 9928764465 shribalajeesec.school@yahoo.in67 SHREE GURUNANAK DEV KHALSA PUBLIC 9001361226 calibacy@gmail.com68 SHREE SHYAM SUNDAR VIDHA NIKET 9413624197 care@emitra.org69 SUN RISE PUB SCH 6 BGP DHABAN 9461041345 care@emitra.org70 SWAMI KESWANAND MEMORIAL PUBLI 9414630199 sk_murari@rediffmail.com71 SWAMI V. NAND UPS INDERPURA 17MJD 8764373193 svupinr3@gmail.com72 TAGORE PUBLIC SCHOOL 9928457421 tagorepublicschool11ptp@gmail.com73 TINNY TOYS SCHOOL 9414431812 tinnytoysschool@gmail.com74 TRIVENI BAL PRIMARY SCHOOL NAGRANA -5NGR 8946844976 ,triveni5ngr@gmail.comबाल वनिता महिला आश्रम