🚩🪴बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम🪴🚩 🚩🪴 कहानिया🪴🚩 "आये हैं समझाने लोग " By वनिता कासनियां पंजाब लोग आएंगे आपको समझाने मगर वो न समझेंगे की दुःख के अलग अलग लेवल्स होतें है। किसी को थोड़ा किसी को ज्यादा और कई लोगों का गम ऐसा होता है की दिखाना बंद हो जाता है , चेतना सुन्न हो जाती है। समझने और सोचने की शक्ति ही ख़तम हो जाती है पर समझना तो पड़ेगा ही इसीलिए ये टाइटल "आये हैं समझने लोग " । दिल को सँभालने के लिए हम तीन लेवल्स पर बात करेंगे । कुछ लोग पहले लेवल से ठीक होना शुरू हो जाएंगे । कुछ को दूसरे की भी ज़रूरत पड़ेगी और कुछ ऐसे इश्क के मारे होंगे जिन्हें तीसरे की भी जरूरत पड़ेगी। । शारीरिक स्तर पर (Physical level ) मानसिक स्तर पर (Psychological level ) आध्यात्मिक स्तर पर (Spiritual level ) 1. शारीरिक स्तर (Physical level ) रोना- धोना टूटे हुए दिल में बसा होता है ढेर सारा गुस्सा, कुंठायें और न ख़तम होने वाला रोना।। शरीर का नियम है की नकारात्मक को अपने आप बाहर फेंकता है। रोना शरीर का एक्सप्रेशन है दिल में बसे नेगेटिव को बाहर फेंकने का। रुलाई अपने आप आती है उसे न रोकें उसे आने दें। लड़कियां रो लेतीं है पर लड़के उस रुलाई को रोक लेते हैं। लड़के गलत करतें हैं। न रोना बहादुरी नहीं है दिल टूटने पर। न रोने पर जिन धागों से आप दोनों के मन जुड़े थे उन में गुंजल पड़ जाती है और वो हमेशा दर्द देते रहतें हैं। लड़कियां और लड़कों, दोनों के लिए, रो लो। जी भर के रो लो। कोई कन्धा हो किसी दोस्त का या फिर अकेले तकिये में मुँह छुपा कर। जैसे भी चाहो पर रो लो। दुःख आंसू बन कर बाहर निकलना शुरू करता है। अपने अहं को अपनी ego को ताक पर रख दें । अगर अहंकार आड़े आ रहा है तो अकेले में रो लें। इस रोने पर कोई अंकुश न बांधें। रोना जब ख़तम हो तो चुपचाप बैठ जायें और साँस को पांच मिनिट देखें की आ रही है और जा रही है । दिल का टूटना भूचाल लाता है और आपको बार बार रोना आएगा। दुःख होगा सबसे प्यारी चीज़ खो जाने का। रो लो यार। तुम बहुत रोये बहुत दुःख हुआ ये उसे न बतायें जिसने दिल तोड़ा है। उसे जरा सा भी असर न होगा। न होगी उसे तुमसे सहानभूति न ही होगी गिल्ट फीलिंग। सब बेकार है इसलिए उसे तो बिलकुल न बताना। अगर ये दोनों बातें होतीं तो वो जाता ही क्यों ? उसे जब बताओगे तो वो और भाव खा जायेगा। "जब वी मेट" दिल बेवफाई से तिलमिला जाता है। गुस्सा ऐसा भरता है की सारे जहाँ में आग लगा दें। अपने प्रेमी को गोली मार दें। याद रहे की आपका उससे दिल का कनेक्शन था और दिल में ही हो रहा है दुःख। इस दुःख का अंत आपके दिल में ही है। इसका सलूशन बाहर नहीं अपने अंदर ही है। तो चलाइये गोली अपने मन में और उसका क़त्ल कर दें उसी दिल में जो कभी उसका था । दीजिये जी भर के गाली। जला दें उसकी तस्वीर और उसकी यादें । बन जायें "जब वी मेट" की करीना कपूर । अपने आप को न रोकें। मन आपका है और खयाल भी आपके हैं। कमरा बंद करें और अच्छी तरह मारें थप्पड़ और घूंसे तकियों को ये समझ कर की उसको मार रहे हैं । मारें जब तक दिल को तसल्ली न हो । फाड़ दें तस्वीरों को, जला दें यादों को। यदि यादों के सहारे बैठे रहे तो इसका मतलब है की उम्मीद के सहारे बैठे हैं और आप को समझना पड़ेगा की उम्मीद को ही ख़तम करना है वार्ना उम्मीद दुःख देती रहेगी। इस तकिये की मार पीट से आपका metabolism बढ़ जायेगा। एक मिनट रुकें और फिर पांच मिनट करैं सहज प्राणायाम। "सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाये" दिल का टूटना असल में एक तनाव (Stress) है, मन का, जो मस्तिष्क को और सारे शरीर पर असर करता है। हिंदुस्तानी चम्पी तेल मालिश एक अचूक इलाज है तनाव को कम करने का। हर रोज मालिश करें सर की और सारे बदन की। इससे खून का प्रवाह तेज़ होता है और शरीर की ऊर्जा का सकारात्मक तरीके से उपयोग होता है। जैसे बिल्ली अपना मुँह फाड़ती है वैसे ही उबासी लें। मुँह फाड़ें और गिनती गिनें दस तक और छोड़ दें। उबासी अपने आप आएगी। सारे दिन बार बार करें। इससे तनाव ग्रस्त मस्तिष्क की नसें ढीली होतीं हैं। एक बार में कम से कम दस उबासी लें। "दिल पर `पत्थर रख कर मैंने मेकअप कर लिया। संया जी से आज मैंने ब्रेकअप कर लिया।" अपने दुःख को अपने पर हावी न होने दें । आगे बढ़ें। ये है बिंदास लोगों के लिए की अपने दोस्तों से मिले , पार्लर जायें और नए हेयर स्टाइल बनायें, नयी दोस्ती बनायें। घर की चार दीवारों में कैद बार बार अपने पर तरस न खाते रहें । व्हिस्की की बोतल से देवदास की तरह दोस्ती न करैं । अगर ये किया तो आप इस गम में और डूबते जायेंगे । चॉइस या चुनना आपके हाथ है । कई बार देवदास बनने में मज़ा भी है। मज़ा लेने के लिए थोड़ी देर देवदास भी बन लें पर ये आपकी मंज़िल नहीं है । ज़रूरी है गम से बाहर निकलना। शराब, पॉट और ड्रग्स गम को और गहरा कर देते हैं। इससे जितना दूर रह सकतें हैं दूर हो जायें । पतझड़ के बाद जैसे बसंत आती है वैसे ही जिंदगी भी अपने रंग बदलती है । थोड़ा प्रक्टिकली (व्यहवारिक ) सोचें । आप की ज़िन्दगी में फिर बहार आएगी । कहीं किसी मोड़ पर कोई आपका इंतज़ार कर रहा है !!! धैर्य रखें थोड़ा। हंसो और मुस्कुराओ वाह भाई क्या सुझाव दिया है ? ठीक सोच रहें हैं। यहां तो रोना आ रहा है हमेशा और आप कह रहें हैं की "हंसो और मुस्कुराओ " "कैसे भाई???" एक पेंसिल लें और उसे होंठों के बीच हॉरिजॉन्टल रखें। (Make a photo) जब आप हँसते हैं तो अपने आप होंठ फैलते हैं। हम अब अपने होटों को जबरदस्ती फहला रहे हैं। ऐसा करने से मस्तिष्क की शिरायें टेंशन को मुक्त करती हैं। दो से पांच मिनट इस एक्सरसाइज़ को करैं। मन शांत होने लगेगा। हंसी,ख़ुशी को व्यक्त करती है और इसके पीछे हैं शरीर के केमिकल्स और मस्तिष्क के स्नायु। आप बिना पेंसिल के भी अपने होंठ फहला सकतें हैं करीब दस सेकण्ड्स के लिए। आपको उबासी भी आएगी। ये सबसे अच्छी चीज़ है इसका मतलब है की आप रिलैक्स हो रहे हैं । दुःख का आधार मन और शरीर मे है। इस प्रक्रिया को कहतें हैं reverse engineering . मन जैसे शरीर को प्रभावित करता है ऐसे ही हम शरीर का उपयोग कर रहें हैं मन को प्रभावित करने को। प्रकृति का सहारा लें। रोज़ सुबह नंगे पाऊं घांस, रेत, मट्टी पर चलें। हम ये कभी भी नहीं करते हैं। ऐसा करने से शरीर की अर्थिंग होती है जो मन और शरीर को ऊर्जा देती है। बगीचे मे टहलें। देखें हरी घास, फूलों के गहरे रंग, भँवरे, तितलिआं और कहैं "WOW" वाह वाह । सूर्यास्त और सूर्योदय देखें और कहैं "शुक्रिया भगवान्" रात मे चाँद सितारे देखें और फिर कहैं "शक्रिया भगवन इस ख़ूबसूरत संसार के लिए " बहती हुई हवा पेड़ों के पत्तों से बात करती है। उसकी सरसराहट सुने, चिड़ियों का कलरव सुने। आप का मन अशांत है पर सारा संसार भगवान् ने परफेक्ट बनाया है। इस संसार को, चाहे मन न भी चाहे पर फिर भी मन से सराहना करें। मन को इस परफेक्ट संसार से जोड़ें। प्रकृति या भगवान् कुछ भी ऐसा नहीं करता है जिससे आप खुश या दुखी होऐं। दुःख और सुख आपके कनेक्शन हैं दूसरों से।