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*#किन्नू के भावों में #जबरदस्त उछाल से किसानों के चेहरे खिले*#बलुवाना #न्यूज #पंजाब #अबोहर किन्नू मंडी में आज किन्नू के भावों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। देश विदेश में अबोहर को किन्नू का हब माना जाता है। किन्नू में रंगत आने से इनके भाव भी बढ़ गए हैं, आज अबोहर में किन्नू ऊंचे भाव में 37:50 #रुपए प्रति किलो तक बिका। इस बार किन्नू की फसल कम होने के कारण किन्नू उत्पादक किसानों के #चेहरों पर उदासी छाई हुई थी, लेकिन आज के भावों से उनकी भरपाई होनी तय है।बाल वनिता महिला आश्रम

Mangalwar ke Upay: अगर आपके जीवन में समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं या​ बहुत मेहनत के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो रही तो हनुमान जी का पूजन अवश्य करें. #धार्मिक मान्यताओं के अनुसार #मंगलवार का दिन राम भक्त हनुमान को समर्पित है और जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ इस दिन उनका पूजन करता है उसके सभी संकट दूर होते हैं. साथ ही हनुमान अपने भक्तों की सभी #मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. यहां त​क यदि आपके #जीवन में धन संबंधी #समस्या चल रही है और कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन ये विशेष उपाय जरूर अपनाएं.मंगलवार के उपायअगर आप धन संबंधी #समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो इनसे छुटकारा पाने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाएं और वहां सरसों के तेल में #मिट्टी का दीपक जलाएं. फिर वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.इसके अलावा मंगलवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद ओम हनुमते नम: मंत्र का 108 बार जाप करे. इस उपाय को करने से भी हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और कर्ज से मुक्ति प्राप्त होती है.कई लोग हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार के दिन व्रत भी रखते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन भूलकर भी नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. बल्कि रात्रि के समय व्रत खोलते समय कुछ मीठा खाना चाहिए.मंगलवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले गाय की एक रोटी अवश्य निकालें. इसके साथ ही एक नारियल लेकर अपने सिर के ऊपर से पैर तक घुमाएं और उसे हनुमान मंदिर में रख दें. इससे धन प्राप्ति के नए रास्ते खुलेंगे.#बाल #वनिता #महिला #वृद्ध #आश्रम #संगरिया #राजस्थानयदि आप जीवन में धन की कमी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन 11 पीपल के पत्ते लें और उन्हें साफ कर लें. इसके बाद इन पत्तों पर चंदन से श्री राम लिखें और इनकी माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित करें. इससे आर्थिक #संकट दूर होगा

#हिंदुस्तान के पहले #प्रधानमंत्री #पंडित #जवाहरलाल_नेहरू के #जन्मदिन पर हर साल 14 #नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. बाल दिवस पर #स्कूलों में प्रोग्राम कराए जाते हैं. खेल-कूद, वाद विवाद गोष्ठियां, अन्त्याक्षरी, नृत्य संगीत, निबंध, भाषण, #चित्रकला जैसे प्रतियोगिता कराई जाती है. स्टूडेंट्स भी इस दिन इन प्रोग्राम में भाग लेते हैं. अगर आप इस बाल दिवस पर अपने #स्कूलों में शॉर्ट स्पीच देकर #तालियां #बजवाना चाहते हैं तो यहां आपको सबसे शानदार और शॉर्ट #स्पीच के कैसे लिखे इसके बारे में बताया जा रहा है. स्पीच की शुरुआत कहां से करें कैसे स्पीच लिखें? इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है.By. #वनिता #कासनियां #पंजाब#आदरणीय #प्रधानाचार्य, #शिक्षकगण और ##मेरे #प्यारे #भाईयो.. आप सब को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....आज हम सब यहां भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की 131वीं जयंती और बाल दिवस को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं. भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर हर साल बाल दिवस मनाया जाता है. नेहरू जी को बच्चों से काफी लगाव, प्यार था. बच्चे भी नेहरु जी को प्यार से चाचा नेहरु कहकर पुकारते थे. वह बच्‍चों को एक राष्ट्र की असली ताकत और समाज का भविष्य मानते थे. यह वजह है कि उनके जन्मदिन 14 नवंबर को देश भर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.चाचा नेहरू ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण #योगदान दिया है. वह महान स्वतंत्रता सेनानी थे.उन्होंने मुश्किल #परिस्थितियों में #देश की बागडोर को #संभाली और एक नए #हिंदुस्तान के निर्माण में साथ दिया. आज उनके #जयंती पर हम उन्हें #नमन करते हैं.#Vnitaराधे राधे ढूॅड रही हैअपने प्रितम श्याम को ।भूले ना वो एक पल भीअपने प्यारे श्याम को ।।हर पन्ने पर श्याम दिखेकैसै छोड़े उसको ।जन्म जनम का साथी वो मन से निहारे उसको ।हृदय मंदिरमे उसे बिठाये सहज जपे उसके नाम को ।। 《#राधे_राधे_》 🙏

🚩🪴पाक विधि🪴🚩 तली हुई चना दाल बिल्कुल मार्केट जैसी कुरकुरी बनाएं Extra Crispy Chana Dal Fry By वनिता कासनियां पंजाब Fried chana dal recipe तली हुई चना दाल फ्राई का स्वाद तो आपको पता ही होगा अगर आपको इसका स्वाद पता नहीं है तो घर के बच्चों को तो पता ही है और घर के बच्चे ऐसी तली हुई नमकीन चीजें खाना ज्यादा पसंद करते हैं। वैसे इस चना दाल को आप मार्केट से भी खरीद सकते हैं लेकिन इस चना दाल फ्राई को घर पर बनाना सीख लेते हैं तो इसके फायदे बहुत हैं। आप अपने स्वाद के अनुसार इसे तैयार कर सकते हैं। अगर बच्चों को तीखा खाना पसंद नहीं है तो आप थोड़ा फीका भी इसे बना सकते हैं। ज्यादा नमकीन और अपने स्वाद के अनुसार मसाले भी डाल सकते हैं। इतना सब कुछ आपको मार्केट से खरीदी हुई चना दाल में नहीं मिलेंगा और एक बार आप इस दल को बना लेते हैं तो काफी दिनों तक इस तली हुई चना दाल को स्टोर करके रख सकते हैं। तो चलिए अब बच्चों की मनपसंद और स्वादिष्ट तली हुई चना दाल बिल्कुल मार्केट जैसी कुरकुरी तैयार कर लेते हैं। आवश्यक सामग्री चना दाल 250 ग्राम तेल तलने के लिए दो कप लाल मिर्च पाउडर 1 चम्मच आमचूर पाउडर एक चम्मच नमक स्वादानुसार काला नमक एक चम्मच बारीक पिसा हुआ चाट मसाला 1 छोटी चम्मच चना दाल बनाने की विधि: चना दाल को हम बस कुछ स्टेप में बनाएंगे आप स्टेप बाय स्टेप पढ़े। सबसे पहले आप दाल को 3-4 पानी से अच्छी तरह धो लें और फिर चना दाल को 6-7 घंटे के लिए पानी में भिगोने के लिए रख दें या फिर आप दाल को भिगोने के लिए पूरी रात भी रख सकते हैं। अगर आप दाल सुबह बनाना चाहते हैं तो आप दाल को रात में भिगोने के लिए रख दें। दाल में पानी 2 इंच ऊपर तक डालें जिससे चना दाल पानी में पूरी डूब सकें और अच्छी तरह फूलकर तैयार हो जाए। तले हुए आलू की आसान विधि . 1. स्टेप भिगोए दाल को आप हल्का सा सुखा लें आप चाहे तो कुकर या पंखे के नीचे भी रख सकते हैं। हमें दाल का पानी सुखाना है इसलिए 10-15 मिनट हवा में सुखा लें। तले हुए बैगन फ्राई कैसे बनाये 2. स्टेप अब कढ़ाई में तेल डालकर अच्छा कड़क गरम करें, जब तेल कड़क हो जाए तब दाल को तेल में डाल दें और तीन-चार मिनट के लिए फ्राई करले और फिर जब दाल का कलर हल्का सा बदल जाए तब दाल को तेल में से निकालले और 10 मिनट के लिए पेपर पर ठंडा होने के लिए रख दें। मछली फ्राई कैसे बनाये 3. स्टेप 10 मिनट बाद कढ़ाई का तेल ठंडा हो चुका होगा। अब कढ़ाई के तेल को फिर से गर्म करें और कड़क गरम तेल में दाल को एक बार फिर से डालें और चार-पांच मिनट के लिए फ्राई करले जब दाल फ्राई हो जाए और क्रिस्पी हो जाए तब दाल को तेल से बाहर निकाले। होटल जैसे चिकन फ्राई कैसे बनाये। 4. स्टेप दाल में नमक, लाल मिर्च पाउडर, आमचूर पाउडर, चाट मसाला और काला नमक डालें और अच्छी तरह दाल में मसालों को मिक्स कर दे ताकि सभी दाल को मसाले चिपक जाए और दाल स्वादिष्ट मार्केट जैसी चना दाल फ्राई तल कर तैयार है। आप इसे कांच की बरनी में भरकर रख सकते हैं। दाल तड़का कैसे बनाये। सुझाव 1. सुझाव आप दाल का कलर हल्का पीला आने के लिए हल्दी पाउडर भी डाल सकते हैं। 2. सुझाव आप दाल को फ्राई करने के लिए कढ़ाई में मोटे तार की छलनी रख दे और फिर इसमें दाल डालकर फ्राई कर लें, इससे तेल अलग और दाल अलग हो जाएंगे। 3. सुझाव पानी में भिगोइ हुई दाल को आप अच्छा सुखा ले वरना तेल में डालने पर तेल उछल सकता है। 4. सुझाव आप दाल को 6-7 घंटे तक भी भिगोए

🚩🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे🪴🚩 खांसी की दवा क्या है?खांसी की अचूक दवा (Cough Medicine) हर कोई जानना चाहता है. अक्सर लोग खांसी से परेशान हो जाते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते कि सूखी खांसी के लक्षण (cough syrup) कैसे पहचानें. इसके लिए लोग खांसी की टेबलेट या सूखी खांसी का बढ़िया घरेलू उपचार (Cough Home Remedies) या कफ खांसी की दवा को तलाशते हैं. लेकिन इससे पहले खांसी के लक्षणों को पहचानने की जरूरत होती है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं खांसी में रामबाण घरेलू नुस्खे और खांसी की अंग्रेजी दवा को भी पीछे छोड़ देने वाले उपाय, जो आपको दिलाएंगी हर तरह की खांसी से राहत मिलती है. By वनिता कासनियां पंजाब अगर आप भी खांसी से परेशान हैं,तो कोई भी दवा या कफ स‍िरप (cough syrup) लेने से पहले कुछ प्राकृतिक घरेलू उपचार (Effective all-natural home remedy) की तलाश कर रहे हैं, तो हम कर सकते हैं आपकी मदद. जी हां, हम बताने जा रहे हैं आपको एक ऐसा कारगर घरेलू नुस्खा (Natural Cough Remedies) जो खांसी से न‍िजाद द‍िलाने में करेगा आपकी मदद और साब‍ित होगा खांसी की दवा या खांसी का रामबाण इलाज- 1.खांसी की असरकारी दवा के तौर पर आप गर्म पानी और नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप गर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर उससे गरारे कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको खांसी से हुए गले के दर्द से राहत मिलेगी.2. आंवला खांसी के लिए काफी असरकारी माना जाता है. आंवला में विटामिन-सी होता है, जो ब्लड सरकुलेश को बेहतर बनाता है. अपने खाने में आंवला शामिल कर आप एंटी-ऑक्सीडेंट्स का सोर्स बढ़ा सकते हैं. यह आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करेगा.3. वो कहते हैं न कि एक सुनार की सौ लोहार की. तो बस, पानी भी खांसी में कुछ ऐसा ही कमाल करता है. आप खांसी से परेशान हैं तो काली मिर्च चार दाने के गर्म पानी पिएं. यह गले में जमे कफ को कम करने में मदद करेगा.4. आधा चम्मच शहद में एक चुटकी इलायची और कुछ नीबू का जूस डालें. इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें. यह घरेलू नुस्खा खांसी की रामबाण दवा साबित हो सकता है.5. खांसी की अंग्रेजी दवा तो बहुत से लोग लेते हैं, लेकिन उसे लेने से नींद आने लगती है और उसके साइड इफेक्ट भी बहुत हैं. इसकी जगह आप हल्दी वाला दूध ले सकते हैं. हल्दी वाले दूध एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. इसके अलावा हल्दी में एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मददगार होते हैं. तो खांसी की दवा के तौर पर आप हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं.

🚩🪴स्वास्थ्य घरेलू नुस्खे🪴🚩 कमर दर्द कैसे दूर करें? By वनिता कासनियां पंजाब कारण जो भी हो, ये घरेलू नुस्खे कमर दर्द को दूर कर देंगे।चाहे वह कमर दर्द हो या पीठ के निचले हिस्से में दर्द (रीढ़ के निचले हिस्से में दर्द) या कमर के ऊपरी हिस्से में दर्द। इस दर्द से लोग काफी परेशान हैं. बहुत से लोग सोचते हैं कि कमर दर्द या पीठ दर्द केवल बुढ़ापे के साथ होता है, लेकिन यह सच नहीं है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। आज की बदलती जीवनशैली कमर दर्द का कारण बन रही है। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कमर दर्द अधिक आम है।१. गेहूं की चपाती और तिल का तेल। कमर दर्द के इलाज के लिए बस एक तरफ गेहूं की चपाती बेक कर लें। दूसरी तरफ कच्चा छोड़ दें। अब रात को सोते समय चपाती के कच्चे हिस्से पर तिल का तेल लगाएं। इस चपाती को कमर के दर्द वाले हिस्से पर बांधकर सो जाएं.सुबह उठेंगे तो पाएंगे कि कमर का दर्द दूर हो गया है. इस क्रिया को तब तक करें जब तक कि कमर दर्द हमेशा के लिए ठीक न हो जाए।२. सरसों का तेल और लहसुन। एक लोहे की कड़ाही में 2 से 3 बड़े चम्मच सरसों का तेल ओर लहसुन की 2-3 कलियों के साथ गरम करें। तेल और लहसुन को तब तक गर्म करें जब तक कि लहसुन की कलियां काली न हो जाएं या पूरी तरह जल न जाएं। तेल को एक छलनी से छान लें और थोड़ा ठंडा होने तक प्रतीक्षा करें। इस तेल से अपनी पीठ की मालिश करें, कमर दर्द का यह घरेलू उपाय प्राकृतिक रूप से काम करता है। यह उपाय जोड़ों के दर्द के लिए भी उपयोगी है।३. अदरक ताजा अदरक को बारीक पेस्ट बना लें। पेस्ट को कमर के प्रभावित हिस्से पर अच्छे से लगाएं, पेस्ट के सूखने तक इंतजार करें। एक साफ कपडा ले और उसे गरम पाणी से भीगो ले आब पानी को नीचोड दे ओर इस कपडे से अदरक के पेस्ट को अच्छी तरह से पोंछ लें, कमर दर्द से पीड़ित लोग इस उपाय को सप्ताह में एक या अधिक बार कर सकते हैं।४. हर्बल तेल। हर्बल तेल से कमर की मालिश करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द कम होता है। आप नीलगिरी का तेल, बादाम का तेल, जैतून का तेल या सरसो का तेल जैसे किसी भी हर्बल तेल का उपयोग कर सकते हैं। सबसे पहले तेल को हल्का गर्म करें और फिर दर्द वाली जगह पर धीरे-धीरे मालिश करें। यह उपाय महिलाओं के कमर दर्द को ठीक करता है।५. नींबू और नमक। नीबू के रस में एक चुटकी या दो चुटकी नमक मिला लें, इस नींबू और नमक के मिश्रण को दिन में दो बार पियें।६. कपूर और नारियल का तेल। 4 से 5 कपूर के गोली लेकर नारियल के तेल में उबाल लें। उबलने के बाद तेल को छान कर एक बोतल में रख लें। कमर दर्द का घर पर इलाज करने के लिए हफ्ते में दो बार पीठ की मालिश करें, कमर दर्द का यह घरेलू उपाय जोड़ों के दर्द को ठीक करने में भी मददगार है।७. आर्थ्राज़ेक्स (Arthrazex) मरहम। यह न केवल एक दर्द निवारक है, यह शरीर को "पुनर्जीवित" करता है। यह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को जल्दी से बहाल करता है, दर्द के कारण को दूर करता है और कमर और रीढ़ की हड्डी को उनकी मूल स्थिति में पुनर्स्थापित करता है। न केवल आपको लक्षणों से छुटकारा मिलता है, बल्की आर्थ्रेक्स कमर दर्द को जड़ से ठीक करता है। प्रयोग के पहले दिन से ही आर्थ्राजेक्स शरीर में काम करणे लगता है और दर्द से राहत देता है। इस उपाय का उपयोग औसतन दो से तीन सप्ताह तक करना चाहिए जब तक कि सभी लक्षण गायब न हो जाएं। (Arthrazex मरहम दुकानों में उपलब्ध नहीं है। इसे Arthrazex ऑफिसियाल वेबसाइट से मंगवाना होगा। मैं टिप्पणी में Arthrazex ऑफिसियाल वेबसाइट लिंक प्रदान कर रहा हूं)८. नीलगिरी का तेल। एक बाल्टी गर्म पानी में नीलगिरी के तेल की कुछ बूंदों को मिलाकर नहाने से कमर दर्द से राहत मिलती है। कमर दर्द का यह घरेलू उपाय आपके पूरे शरीर को आराम देता है और सभी दर्द से राहत देता है।९. तुलसी। एक कप पानी में 8-10 तुलसी के पत्ते डालकर तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा ना हो जाए। ठंडा होने के बाद इसमें एक चुटकी नमक मिलाएं और इसे रोजाना पिएं। इससे कमर दर्द से लंबे समय तक राहत मिलेगी।यह उपाय आज ही करें। जानकारी अच्छी लगे तो सपोर्ट करें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।धन्यवाद

बलुवाना न्यूज पंजाब 1 पंजाब के फिरोजपुर में घरेलू कलह के चलते एक व्यक्ति ने अपने संग तीन लोगों को लेकर कार नहर में उतार दी।पंजाब के फिरोजपुर में घरेलू कलह के चलते एक व्यक्ति ने अपने संग तीन लोगों को लेकर कार नहर में उतार दी।उक्त व्यक्ति ने घटना से पूर्व फेसबुक पर लाइव होकर आपबीती सुनाई। यही नहीं बच्चों से भी पूछा क्या तुम जीना चाहते हो तो बच्चों ने कहा नहीं। हुआ यूं कि कुछ दिन पहले उक्त व्यक्ति की पत्नी अपने दोनों बच्चों को छोड़कर किसी व्यक्ति के संग चली गई। इसी बात से वह परेशान था। गोताखोर मंगलवार देर शाम तक नहर में चारों की तलाश कर रहे थे। नहर में सिर्फ कार मिली है और कोई नहीं मिला। नहर में छलांग लगाने वाला जसविंदर सिंह उर्फ राजू का भाई सोनू निवासी फाजिल्का ने बताया कि उसके भाई की पत्नी को काला संधू निवासी छावनी लेकर गया है। काला उसके भाई को जान से मारने की धमकी देता था। 2 of 5राजू ने संधू को टेलीफोन कर कहा कि मेरी पत्नी लौटा दे, मेरे बच्चे बर्बाद न कर। इस संबंध में थाना सिटी के प्रभारी मोहित धवन को शिकायत भी दी थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। परिजनों का कहना है कि राजू पत्नी के घर से जाने के बाद बहुत परेशान था। वह जानते थे कि यह कोई गलत कदम न उठा ले। राजू मंगलवार सुबह अपने साथ कार में बेटी गुरलीन (8) और बेटा दिव्यांश (9) को साथ ले गया। जब इसने फेसबुक पर लाइव होकर आपबीती सुनाई तो उससे संपर्क कर उसे समझाया गया और तलवंडी भाई की तरफ गए। 3 of 5समझाने फाजिल्का से आया भाई सोनू, दिव्यांग भाई हरप्रीत सिंह व भतीजा आगम एक्टिवा पर तलवंडी भाई की तरफ गए। वहां पर राजू उन्हें अपने दोनों बच्चों के साथ कार पर मिला। राजू को समझाया और उसे घर वापस लेकर आ रहे थे। कार में आते समय राजू का बेटा कार से उतरकर अपने ताया सोनू की एक्टिवा पर बैठ गया। जबकि दिव्यांग भाई हरप्रीत और भतीजा आगम कार में बैठ गए। जब राजू कार लेकर फिरोजपुर लौट रहा था तो उसने रास्ते में राजस्थान फीडर नहर में कार को गिरा दिया। 4 of 5नहर में पानी का बहाव तेज था, जिस कारण कार में सवार चारों बह गए। सोनू ने कहा कि वह एक्टिवा पर कार के पीछे आ रहा था। उसने आसपास के लोगों को सूचित किया। जैसे ही सूचना मिली पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कार्रवाई शुरू कर दी है। गोताखोर नहर में दोपहर से चारों की तलाश कर रहे हैं देर शाम तक नहर में से सिर्फ कार मिली है बाकी किसी का कोई पता नहीं चला। 5 of 5सास, साली, पत्नी व काला मौत का जिम्मेदारराजू ने मरने से पूर्व फेसबुक पर लाइव होकर छह वीडियो पोस्ट की। इसमें वह लोगों को अधिक से अधिक साझा करने की बात कह रहा है। एक वीडियो दोनों बच्चों की है। वह हाथ में अपनी मां की फोटो लेकर लोगों से कह रहे हैं कि कहीं भी नजर आए तो हमारे पास भेजो। मोबाइल नंबर भी बता रहे हैं। राजू अपने दोनों बीमार बच्चों को कार में लेकर बहुत तेज कार चला रहा है, बच्चे उसे कह रहे हैं कि डैडी तुम्हारी ये बात ठीक नहीं लगती है। राजू कहता है कि मेरे दोनों बच्चे बीमार हैं, इन्हें पहाड़ों की सैर करवानी है। चलती कार में शराब पीने के लिए बच्चों से गिलास मांगता भी दिख रहा है। रोते कह रहा है कि काला संधू ने मेरी जिंदगी खराब कर दी है। उसकी मौत की जिम्मेदार उसकी सास, साली, पत्नी व काला संधू हैं। मेरे मरने के बाद कैंडल मार्च जरूर निकालना।

हिन्दुओ के चार प्रमुख धामों में एक जगन्नाथपूरी धाम का इतिहास और मंदिर के दस चमत्कार,,,, By वनिता कासनियां पंजाबमाना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्‍वरम में विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर बसा है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर बसी पवित्र नगरी पुरी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी दूरी पर है। आज का उड़ीसा प्राचीनकाल में उत्कल प्रदेश के नाम से जाना जाता था। यहां देश की समृद्ध बंदरगाहें थीं, जहां जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अन्य कई देशों का इन्हीं बंदरगाह के रास्ते व्यापार होता था।पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। यहां लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं। ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए और सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। सबर जनजाति के देवता होने के कारण यहां भगवान जगन्नाथ का रूप कबीलाई देवताओं की तरह है। पहले कबीले के लोग अपने देवताओं की मूर्तियों को काष्ठ से बनाते थे। जगन्नाथ मंदिर में सबर जनजाति के पुजारियों के अलावा ब्राह्मण पुजारी भी हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा से आषाढ़ पूर्णिमा तक सबर जाति के दैतापति जगन्नाथजी की सारी रीतियां करते हैं। पुराण के अनुसार नीलगिरि में पुरुषोत्तम हरि की पूजा की जाती है। पुरुषोत्तम हरि को यहां भगवान राम का रूप माना गया है। सबसे प्राचीन मत्स्य पुराण में लिखा है कि पुरुषोत्तम क्षेत्र की देवी विमला है और यहां उनकी पूजा होती है। रामायण के उत्तराखंड के अनुसार भगवान राम ने रावण के भाई विभीषण को अपने इक्ष्वाकु वंश के कुल देवता भगवान जगन्नाथ की आराधना करने को कहा। आज भी पुरी के श्री मंदिर में विभीषण वंदापना की परंपरा कायम है।स्कंद पुराण में पुरी धाम का भौगोलिक वर्णन मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार पुरी एक दक्षिणवर्ती शंख की तरह है और यह 5 कोस यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। माना जाता है कि इसका लगभग 2 कोस क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है। इसका उदर है समुद्र की सुनहरी रेत जिसे महोदधी का पवित्र जल धोता रहता है। सिर वाला क्षेत्र पश्चिम दिशा में है जिसकी रक्षा महादेव करते हैं। शंख के दूसरे घेरे में शिव का दूसरा रूप ब्रह्म कपाल मोचन विराजमान है। माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा का एक सिर महादेव की हथेली से चिपक गया था और वह यहीं आकर गिरा था, तभी से यहां पर महादेव की ब्रह्म रूप में पूजा करते हैं। शंख के तीसरे वृत्त में मां विमला और नाभि स्थल में भगवान जगन्नाथ रथ सिंहासन पर विराजमान है।मंदिर का इतिहास : इस मंदिर का सबसे पहला प्रमाण महाभारत के वनपर्व में मिलता है। कहा जाता है कि सबसे पहले सबर आदिवासी विश्‍ववसु ने नीलमाधव के रूप में इनकी पूजा की थी। आज भी पुरी के मंदिरों में कई सेवक हैं जिन्हें दैतापति के नाम से जाना जाता है।राजा इंद्रदयुम्न ने बनवाया था यहां मंदिर : राजा इंद्रदयुम्न मालवा का राजा था जिनके पिता का नाम भारत और माता सुमति था। राजा इंद्रदयुम्न को सपने में हुए थे जगन्नाथ के दर्शन। कई ग्रंथों में राजा इंद्रदयुम्न और उनके यज्ञ के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने यहां कई विशाल यज्ञ किए और एक सरोवर बनवाया। एक रात भगवान विष्णु ने उनको सपने में दर्शन दिए और कहा नीलांचल पर्वत की एक गुफा में मेरी एक मूर्ति है उसे नीलमाधव कहते हैं। ‍तुम एक मंदिर बनवाकर उसमें मेरी यह मूर्ति स्थापित कर दो। राजा ने अपने सेवकों को नीलांचल पर्वत की खोज में भेजा। उसमें से एक था ब्राह्मण विद्यापति। विद्यापति ने सुन रखा था कि सबर कबीले के लोग नीलमाधव की पूजा करते हैं और उन्होंने अपने देवता की इस मूर्ति को नीलांचल पर्वत की गुफा में छुपा रखा है। वह यह भी जानता था कि सबर कबीले का मुखिया विश्‍ववसु नीलमाधव का उपासक है और उसी ने मूर्ति को गुफा में छुपा रखा है। चतुर विद्यापति ने मुखिया की बेटी से विवाह कर लिया। आखिर में वह अपनी पत्नी के जरिए नीलमाधव की गुफा तक पहुंचने में सफल हो गया। उसने मूर्ति चुरा ली और राजा को लाकर दे दी। विश्‍ववसु अपने आराध्य देव की मूर्ति चोरी होने से बहुत दुखी हुआ। अपने भक्त के दुख से भगवान भी दुखी हो गए। भगवान गुफा में लौट गए, लेकिन साथ ही राज इंद्रदयुम्न से वादा किया कि वो एक दिन उनके पास जरूर लौटेंगे बशर्ते कि वो एक दिन उनके लिए विशाल मंदिर बनवा दे। राजा ने मंदिर बनवा दिया और भगवान विष्णु से मंदिर में विराजमान होने के लिए कहा। भगवान ने कहा कि तुम मेरी मूर्ति बनाने के लिए समुद्र में तैर रहा पेड़ का बड़ा टुकड़ा उठाकर लाओ, जो द्वारिका से समुद्र में तैरकर पुरी आ रहा है। राजा के सेवकों ने उस पेड़ के टुकड़े को तो ढूंढ लिया लेकिन सब लोग मिलकर भी उस पेड़ को नहीं उठा पाए। तब राजा को समझ आ गया कि नीलमाधव के अनन्य भक्त सबर कबीले के मुखिया विश्‍ववसु की ही सहायता लेना पड़ेगी। सब उस वक्त हैरान रह गए, जब विश्ववसु भारी-भरकम लकड़ी को उठाकर मंदिर तक ले आए।अब बारी थी लकड़ी से भगवान की मूर्ति गढ़ने की। राजा के कारीगरों ने लाख कोशिश कर ली लेकिन कोई भी लकड़ी में एक छैनी तक भी नहीं लगा सका। तब तीनों लोक के कुशल कारीगर भगवान विश्‍वकर्मा एक बूढ़े व्यक्ति का रूप धरकर आए। उन्होंने राजा को कहा कि वे नीलमाधव की मूर्ति बना सकते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने अपनी शर्त भी रखी कि वे 21 दिन में मूर्ति बनाएंगे और अकेले में बनाएंगे। कोई उनको बनाते हुए नहीं देख सकता। उनकी शर्त मान ली गई। लोगों को आरी, छैनी, हथौड़ी की आवाजें आती रहीं। राजा इंद्रदयुम्न की रानी गुंडिचा अपने को रोक नहीं पाई। वह दरवाजे के पास गई तो उसे कोई आवाज सुनाई नहीं दी। वह घबरा गई। उसे लगा बूढ़ा कारीगर मर गया है। उसने राजा को इसकी सूचना दी। अंदर से कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो राजा को भी ऐसा ही लगा। सभी शर्तों और चेतावनियों को दरकिनार करते हुए राजा ने कमरे का दरवाजा खोलने का आदेश दिया। जैसे ही कमरा खोला गया तो बूढ़ा व्यक्ति गायब था और उसमें 3 अधूरी ‍मूर्तियां मिली पड़ी मिलीं। भगवान नीलमाधव और उनके भाई के छोटे-छोटे हाथ बने थे, लेकिन उनकी टांगें नहीं, जबकि सुभद्रा के हाथ-पांव बनाए ही नहीं गए थे। राजा ने इसे भगवान की इच्छा मानकर इन्हीं अधूरी मूर्तियों को स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक तीनों भाई बहन इसी रूप में विद्यमान हैं। वर्तमान में जो मंदिर है वह 7वीं सदी में बनवाया था। हालांकि इस मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 2 में भी हुआ था। यहां स्थित मंदिर 3 बार टूट चुका है। 1174 ईस्वी में ओडिसा शासक अनंग भीमदेव ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। मुख्‍य मंदिर के आसपास लगभग 30 छोटे-बड़े मंदिर स्थापित हैं। पहला चमत्कार... हवा के विपरीत लहराता ध्वज : श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्‍चित ही आश्चर्यजनक बात है। यह भी आश्‍चर्य है कि प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता है। ध्वज भी इतना भव्य है कि जब यह लहराता है तो इसे सब देखते ही रह जाते हैं। ध्वज पर शिव का चंद्र बना हुआ है।दूसरा चमत्कार... गुंबद की छाया नहीं बनती : यह दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है। यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट में क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है। हमारे पूर्वज कितने बड़े इंजीनियर रहे होंगे यह इस एक मंदिर के उदाहरण से समझा जा सकता है। पुरी के मंदिर का यह भव्य रूप 7वीं सदी में निर्मित किया गया। तीसरा चमत्कार... चमत्कारिक सुदर्शन चक्र : पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव अपने सामने ही लगा दिखेगा। इसे नीलचक्र भी कहते हैं। यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है। चौथा चमत्कार... हवा की दिशा : सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत, लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है। अधिकतर समुद्री तटों पर आमतौर पर हवा समुद्र से जमीन की ओर आती है, लेकिन यहां हवा जमीन से समुद्र की ओर जाती है। पांचवां चमत्कार... गुंबद के ऊपर नहीं उड़ते पक्षी : मंदिर के ऊपर गुंबद के आसपास अब तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। इसके ऊपर से विमान नहीं उड़ाया जा सकता। मंदिर के शिखर के पास पक्षी उड़ते नजर नहीं आते, जबकि देखा गया है कि भारत के अधिकतर मंदिरों के गुंबदों पर पक्षी बैठ जाते हैं या आसपास उड़ते हुए नजर आते हैं। छठा चमत्कार... दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर : 500 रसोइए 300 सहयोगियों के साथ बनाते हैं भगवान जगन्नाथजी का प्रसाद। लगभग 20 लाख भक्त कर सकते हैं यहां भोजन। कहा जाता है कि मंदिर में प्रसाद कुछ हजार लोगों के लिए ही क्यों न बनाया गया हो लेकिन इससे लाखों लोगों का पेट भर सकता है। मंदिर के अंदर पकाने के लिए भोजन की मात्रा पूरे वर्ष के लिए रहती है। प्रसाद की एक भी मात्रा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती।मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे पर रखे जाते हैं और सब कुछ लकड़ी पर ही पकाया जाता है। इस प्रक्रिया में शीर्ष बर्तन में सामग्री पहले पकती है फिर क्रमश: नीचे की तरफ एक के बाद एक पकती जाती है अर्थात सबसे ऊपर रखे बर्तन का खाना पहले पक जाता है। है न चमत्कार! सातवां चमत्कार... समुद्र की ध्वनि : मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम प्रवेश करने पर ही (मंदिर के अंदर से) आप सागर द्वारा निर्मित किसी भी ध्वनि को नहीं सुन सकते। आप (मंदिर के बाहर से) एक ही कदम को पार करें, तब आप इसे सुन सकते हैं। इसे शाम को स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।इसी तरह मंदिर के बाहर स्वर्ग द्वार है, जहां पर मोक्ष प्राप्ति के लिए शव जलाए जाते हैं लेकिन जब आप मंदिर से बाहर निकलेंगे तभी आपको लाशों के जलने की गंध महसूस होगी। आठवां चमत्कार... रूप बदलती मूर्ति : यहां श्रीकृष्ण को जगन्नाथ कहते हैं। जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र (बलराम) और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। तीनों की ये मूर्तियां काष्ठ की बनी हुई हैं। यहां प्रत्येक 12 साल में एक बार होता है प्रतिमा का नव कलेवर। मूर्तियां नई जरूर बनाई जाती हैं लेकिन आकार और रूप वही रहता है। कहा जाता है कि उन मूर्तियों की पूजा नहीं होती, केवल दर्शनार्थ रखी गई हैं। नौवां चमत्कार... विश्‍व की सबसे बड़ी रथयात्रा : आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं। यह रथयात्रा 5 किलो‍मीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही होती है। रानी गुंडिचा भगवान जगन्नाथ के परम भक्त राजा इंद्रदयुम्न की पत्नी थी इसीलिए रानी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता है।अपनी मौसी के घर भगवान 8 दिन रहते हैं। आषाढ़ शुक्ल दशमी को वापसी की यात्रा होती है। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है। देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन है और भाई बलभद्र का रक्ष तल ध्वज है। पुरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू बुहारते हैं जिसे छेरा पैररन कहते हैं। दसवां चमत्कार... हनुमानजी करते हैं जगन्नाथ की समुद्र से रक्षा : माना जाता है कि 3 बार समुद्र ने जगन्नाथजी के मंदिर को तोड़ दिया था। कहते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ ने वीर मारुति (हनुमानजी) को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे।वे प्रभु के दर्शन के लिए नगर में प्रवेश कर जाते थे, ऐसे में समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था। केसरीनंदन हनुमानजी की इस आदत से परेशान होकर जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमानजी को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया। यहां जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर बेदी हनुमान का प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। भक्त लोग बेड़ी में जगड़े हनुमानजी के दर्शन करने के लिए आते हैं। अंत में जानिए मंदिर के बारे में कुछ अज्ञात बातें...* महान सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर को प्रचुर मात्रा में स्वर्ण दान किया था, जो कि उनके द्वारा स्वर्ण मंदिर, अमृतसर को दिए गए स्वर्ण से कहीं अधिक था। * पांच पांडव भी अज्ञातवास के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने आए थे। श्री मंदिर के अंदर पांडवों का स्थान अब भी मौजूद है। भगवान जगन्नाथ जब चंदन यात्रा करते हैं तो पांच पांडव उनके साथ नरेन्द्र सरोवर जाते हैं। * कहते हैं कि ईसा मसीह सिल्क रूट से होते हुए जब कश्मीर आए थे तब पुन: बेथलेहम जाते वक्त उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए थे। * 9वीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने यहां की यात्रा की थी और यहां पर उन्होंने चार मठों में से एक गोवर्धन मठ की स्थापना की थी। * इस मंदिर में गैर-भारतीय धर्म के लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है। माना जाता है कि ये प्रतिबंध कई विदेशियों द्वारा मंदिर और निकटवर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ और हमलों के कारण लगाए गए हैं। पूर्व में मंदिर को क्षति पहुंचाने के प्रयास किए जाते रहे हैं।।। हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वन्दे।।जय हो!!!! जय सिया राम 🚩🚩🚩🚩

माँ से ज्यादा इस विकट परिस्थिति में भी भरोसा माँ का ही है,, By वनिता कासनियां पंजाब जब भी ये तस्वीर सामने आती है मन तकलीफ से भर जाता है । यह तस्वीर प्रकृति के क्रूरतम सत्य में से एक है। पूरे हृदय में करुण रस का संचार करने की अद्भुत शक्ति है इसमें। दुःख ही इसका एकमात्र स्थाई भाव है। हृदयवादी कोई भी व्यक्ति इसे देखने के पश्चात ठिठक जाएगा।जब पहली बार मैंने इस तस्वीर को देखा, तो बस ऐसे देखती ही रही कुछ देर तक। बार-बार मेरी नजरें उस प्यारे छोटे बंदर के चेहरे पर जाकर टिक जा रही थीं। यह उत्सुकता बार-बार बनी रहे की इसके बाद का दृश्य क्या रहा होगा! प्रतिपल हृदय से यही प्रार्थना निकल रही थी, काश यह बच्चा बच जाए। ईश्वर कुछ चमत्कार कर दें पता नही आगे क्या हुआ होगा, इस तस्वीर में, बच्चे के मुख पर दहशत और मासूमियत के मिश्रित भाव हैं, खून की एक बूंद बच्चे के पैर पर गिरी है। उसकी अपनी माँ पर पकड़ तीव्र है। इस विकट परिस्थिति में भी उसे अपनी माँ से ज्यादा भरोसेमंद कोई नहीं लग रहा।😢

।। राम ।।राम से बड़ा राम का नाम !!!By वनिता कासनियां पंजाब*महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥राम नाम जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस 'राम' नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं॥ राम नाम मन्त्र - जाप और नाम - जाप दोनों है,एक नाम जाप होता है और एक मंत्र जाप होता है। राम नाम मन्त्र भी है और नाम भी। राम राम राम ऐसे नाम जाप कि पुकार विधिरहित होती है। इस प्रकार भगवान को सम्बोधित करने का अर्थ है कि हम भगवान को पुकारे जिससे भगवान कि दृष्टि हमारी तरफ खिंच जाए।जैसे एक बच्चा अपनी माँ को पुकारता है तो उन माताओं का चित्त भी उस बच्चे की ओर आकृष्ट हो जाता है , जिनके छोटे बच्चे होते हैं . पर उठकर वही माँ दौड़ेगी जिसको वह बच्चा अपनी माँ मानता है।निर्गुण ब्रह्म और सगुण राम,,,करोड़ों ब्रह्माण्ड भगवान के एक - एक रोम में बसते हैं। दशरथ के घर जन्म लेने वाले भी राम है और जो निर्गुण निराकार रूप से सब जगह रम रहे हैं , उस परमात्मा का नाम भी राम है। नाम निर्गुण ब्रह्म और सगुण राम दोनों से बड़ा है ।राम-नाम से परमब्रह्म प्रतिपादित होता हैभगवान स्वयं नामी कहलाते हैं . भगवान परमात्मा अनामय है अर्थात विकार रहित है। उसका न नाम है , न रूप है उसकी जानने के लिए उनका नाम रख कर सम्बोधित किया जाता है , क्योंकि हम लोग नाम रूप में बैठे हैं इसलिए उसे ब्रह्म कहते हैं। जिस अनंत, नित्यानंद और चिन्मय परमब्रह्म में योगी लोग रमण करते हैं , उसी राम-नाम से परमब्रह्म प्रतिपादित होता है अर्थात राम नाम ही परमब्रह्म है।अनंत नामों में मुख्य राम नाम है। भगवान के गुण आदि को लेकर कई नाम आयें हैं, उनका जप किया जाये तो भगवान के गुण , प्रभाव, तत्व ,लीला आदि याद आयेंगें।भगवान के नामों से भगवान के चरित्र की याद आती है। भगवान के चरित्र अनंत हैं। उन चरित्र को लेकर नाम जप भी अनंत ही होगा।राम नाम में अखिल सृष्टि समाई हुई है,वाल्मीकि ने सौ करोड़ श्लोकों की रामायण बनाई , तो सौ करोड़ श्लोकों की रामायण को भगवान शंकर के आगे रख दिया जो सदैव राम नाम जपते रहते हैं। उन्होनें उसका उपदेश पार्वती को दिया। शंकर ने रामायण के तीन विभाग कर त्रिलोक में बाँट दिया . तीन लोकों को तैंतीस - तैंतीस करोड़ दिए तो एक करोड़ बच गया।उसके भी तीन टुकड़े किए तो एक लाख बच गया उसके भी तीन टुकड़े किये तो एक हज़ार बच और उस एक हज़ार के भी तीन भाग किये तो सौ बच गया . उसके भी तीन भाग किए एक श्लोक बच गया।इस प्रकार एक करोड़ श्लोकों वाली रामायण के तीन भाग करते करते एक अनुष्टुप श्लोक बचा रह गया . एक अनुष्टुप छंद के श्लोक में बत्तीस अक्षर होते हैं उसमें दस - दस करके तीनों को दे दिए तो अंत में दो ही अक्षर बचे भगवान् शंकर ने यह दो अक्षर रा और म आपने पास रख लिए।राम अक्षर में ही पूरी रामायण है , पूरा शास्त्र है।राम नाम वेदों के प्राण के सामान है। शास्त्रों का और वर्णमाल का भी प्राण है . प्रणव को वेदों का प्राण माना जाता है। प्रणव तीन मात्र वाल ॐ कार पहले ही प्रगट हुआ, उससे त्रिपदा गायत्री बनी और उससे वेदत्रय . ऋक , साम और यजुः - ये तीन प्रमुख वेद बने . इस प्रकार ॐ कार [ प्रणव ] वेदों का प्राण है।राम नाम को वेदों का प्राण माना जाता है , क्योंकि राम नाम से प्रणव होता है . जैसे प्रणव से र निकाल दो तो केवल पणव हो जाएगा अर्थात ढोल हो जायेगा . ऐसे ही ॐ में से म निकाल दिया जाए तो वह शोक का वाचक हो जाएगा . प्रणव में र और ॐ में म कहना आवश्यक है . इसलिए राम नाम वेदों का प्राण भी है।अग्नि, सूर्य और चन्द्रमा में जो शक्ति है वह राम नाम से आती है।नाम और रूप दोनों ईश्वर कि उपाधि हैं। भगवान् के नाम और रूप दोनों अनिर्वचनीय हैं, अनादि है . सुन्दर, शुद्ध भक्ति युक्त बुद्धि से ही इसका दिव्य अविनाशी स्वरुप जानने में आता है। राम नाम लोक और परलोक में निर्वाह करने वाला होता है। लोक में यह देने वाला चिंतामणि और परलोक में भगवत्दर्शन कराने वाला है. वृक्ष में जो शक्ति है वह बीज से ही आती है इसी प्रकार अग्नि, सूर्य और चन्द्रमा में जो शक्ति है वह राम नाम से आती ही।राम नाम अविनाशी और व्यापक रूप से सर्वत्र परिपूर्ण है। सत् है , चेतन है और आनंद राशि है . उस आनंद रूप परमात्मा से कोई जगह खाली नही , कोई समय खाली नहीं , कोई व्यक्ति खाली नही कोई प्रकृति खाली नही ऐसे परिपूर्ण , ऐसे अविनाशी वह निर्गुण है . वस्तुएं नष्ट जाती है, व्यक्ति नष्ट हो जाते हैं , समय का परिवर्तन हो जाता है, देश बदल जाता है , लेकिन यह सत् - तत्व ज्यों -त्यों ही रहता है इसका विनाश नही होता है इसलिए यह सत् है।जीभ वागेन्द्रिय है उससे राम राम जपने से उसमें इतनी अलौकिकता आ जाती है की ज्ञानेन्द्रिय और उसके आगे अंतःकरण और अन्तः कारण से आगे प्रकृति और प्रकृति से अतीत परमात्मा तत्व है , उस परमात्मा तत्व को यह नाम जाना दे ऐसी उसमें शक्ति है।राम नाम मणिदीप है। एक दीपक होता है एक मणिदीप होता है . तेल का दिया दीपक कहलाता है मणिदीप स्वतः प्रकाशित होती है . जो मणिदीप है वह कभी बुझती नहीं है . जैसे दीपक को चौखट पर रख देने से घर के अंदर और भर दोनों हिस्से प्रकाशित हो जाते हैं वैस ही राम नाम को जीभ पर रखने से अंतःकरण और बाहरी आचरण दोनों प्रकाशित हो जाते हैं।यानी भक्ति को यदि ह्रदय में बुलाना हो तो, राम नाम का जप करो इससे भक्ति दौड़ी चली आएगी।अनेक जन्मों से युग युगांतर से जिन्होंने पाप किये हों उनके ऊपर राम नाम की दीप्तिमान अग्नि रख देने से सारे पाप कटित हो जाते हैं .राम के दोनों अक्षर मधुर और सुन्दर हैं . मधुर का अर्थ रचना में रस मिलता हुआ और मनोहर कहने का अर्थ है की मन को अपनी ओर खींचता हुआ . राम राम कहने से मुंह में मिठास पैदा होती है दोनों अक्षर वर्णमाल की दो आँखें हैं .राम के बिना वर्णमाला भी अंधी है।जगत में सूर्य पोषण करता है और चन्द्रना अमृत वर्षा करता है है . राम नाम विमल है जैसे सूर्य और चंद्रमा को राहु - केतु ग्रहण लगा देते हैं , लेकिन राम नाम पर कभी ग्रहण नहीं लगता है . चन्द्रमा घटा बढता रहता है लेकिन राम तो सदैव बढता रहता है .यह सदा शुद्ध है अतः यह निर्मल चन्द्रमा और तेजश्वी सूर्य के समान है।अमृत के स्वाद और तृप्ति के सामान राम नाम है . राम कहते समय मुंह खुलता है और म कहने पर बंद होता है . जैसे भोजन करने पर मुख खुला होता है और तृप्ति होने पर मुंह बंद होता है . इसी प्रकार रा और म अमृत के स्वाद और तोष के सामान हैं ।छह कमलों में एक नाभि कमल [ चक्र ] है उसकी पंखुड़ियों में भगवान के नाम है , वे भी दिखने लग जाते हैं . आँखों में जैसे सभी बाहरी ज्ञान होता है ऐसे नाम जाप से बड़े बड़े शास्त्रों का ज्ञान हो जाता है , जिसने पढ़ाई नहीं की , शास्त्र शास्त्र नहीं पढ़े उनकी वाणी में भी वेदों की ऋचाएं आती है. वेदों का ज्ञान उनको स्वतः हो जाता है।राम नाम निर्गुण और सगुण के बीच सुन्दर साक्षी है . यह दोनों के बीच का वास्तविक ज्ञान करवाने वाला चतुर दुभाषिया है . नाम सगुन और निर्गुण दोनों से श्रेष्ट चतुर दुभाषिया है।राम जाप से रोम रोम पवित्र हो जाता है। साधक ऐसा पवित्र हो जाता है उसके दर्शन , स्पर्श भाषण से ही दूसरे पर असर पड़ता है . अनिश्चिता दूर होती है शोक - चिंता दूर होते हैं , पापों का नाश होता है . वे जहां रहते हैं वह धाम बन जाता है वे जहां चलते हैं वहां का वायुमंडल पवित्र हो जाता है।परमात्मा ने अपनी पूरी पूरी शक्ति राम नाम में रख दी है। नाम जप के लिए कोई स्थान, पात्र विधि की जरुरत नही है . रात दिन राम नाम का जप करो निषिद्ध पापाचरण आचरणों से स्वतः ग्लानी हो जायेगी। अभी अंतकरण मैला है इसलिए मलिनता अच्छी लगती है मन के शुद्ध होने पर मैली वस्तुओं कि अकांक्षा नहीं रहेगी . जीभ से राम राम शुरू कर दो मन की परवाह मत करो . ऐसा मत सोचो कि मन नहीं लग रहा है तो जप निरर्थक चल रहा है . जैसे आग बिना मन के छुएंगे तो भी वह जलायेगी ही।ऐसे ही भगवान् का नाम किसी तरह से लिया जाए , अंतर्मन को निर्मल करेगा ही . अभी मन नहीं लग रहा है तो परवाह नहीं करो , क्योंकि आपकी नियत तो मन लगाने की है तो मन लग जाएगा। भगवान ह्रदय की बात देखते हैं की यह मन लगा चाहता है लेकिन मन नही लगा। इसलिए मन नहीं लगे तो घबराओ मत और जाप करते करते मन लगाने का प्रयत्न करो।कैसे लें राम - नाम,,,सोते समय सभी इन्द्रिय मन में , मन बुध्दि में , बुद्धि प्रकृति में अर्थात अविद्या में लीन हो जाती है , गाढ़ी नींद में जब सभी इन्द्रियां लीन होती है उस पर भी उस व्यक्ति को पुकारा जाए तो वह अविद्या से जग जाता है। राम नाम में अपार अपार शन्ति , आनंद और शक्ति भरी हुई है . यह सुनने और स्मरण करने में सुन्दर और मधुर है ।राम नाम जप करने से यह अचेतन - मन में बस जाता है उसके बाद अपने आप से राम राम जप होने लगता है करना नहीं पड़ता है।रोम रोम उच्चारण करता है। चित्त इतना खिंच जाता है की छुडाये नहीं छुटता।भगवान शरण में आने वाले को मुक्ति देते हैं लेकिन भगवान का नाम उच्चारण मात्र से मुक्ति दे देता है। जैसे छत्र का आश्रय लेने वाल छत्रपति हो जाता है , वैसे ही राम रूपी धन जिसके पास है वही असली धनपति है . सुगति रूपी जो सुधा है वह सदा के लिए तृप्त करने वाली होती है। जिस लाभ के बाद में कोई लाभ नहीं बच जाता है जहां कोई दुःख नहीं पहुँच सकता है ऐसे महान आनंद को राम नाम प्राप्त करवाता है।भगवान के नाम से समुन्द्र में पत्थर तैर गए तो व्यक्ति का उद्धार होना कौन सी बड़ी बात है ? राम अपने भक्तों को धारण करने वाले है।राम नाम अन्य साधन निरपेक्ष स्वयं सर्वसमर्थ परमब्रह्म हैं।* एहिं कलिकाल न साधन दूजा। जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा॥रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि। संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि॥भावार्थ:-(तुलसीदासजी कहते हैं-) इस कलिकाल में योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत और पूजन आदि कोई दूसरा साधन नहीं है। बस, श्री रामजी का ही स्मरण करना, श्री रामजी का ही गुण गाना और निरंतर श्री रामजी के ही गुणसमूहों को सुनना चाहिए॥।। हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वन्दे।।जय हो!!!! जय सिया राम🚩🚩🚩🚩