बलुवाना न्यूज पंजाब पत्नी ने बनाया बैक्टीरिया खाने वाला वायरस:सुपरबग ले रहा था पति की जान, वायरस देकर मौत के मुंह से खींच लाई; By वनिता कासनियां पंजाब,अमेरिका की महामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथडी के पति टॉम पैटरसन फरवरी 2016 में सुपरबग से पीड़ित थे। तमाम तरह के इलाज के बाद जब डॉक्टर्स ने जब हाथ खड़े कर दिए तब स्टेफनी ने अपने पति को बचाने के लिए एक चौंकाने वाला फैसला लिया।उन्होंने अपने पति को दवाओं के जरिए नहीं बल्कि नेचुरल वायरस खोजकर बचाया। इसके लिए उन्होंने डॉक्टरों की एक टीम बनाई और सुपरबग के बैैक्टीरिया को नष्ट करने में इस नेचुरल वायरस का इस्तेमाल किया। इसके लिए हर खराब चीज जैसे सीवेज, दलदल, तालाब, नाव की सड़ी हुई लकड़ी, मैदान और घास के ढेर से वायरस जुटाए।खबरें और भी हैं…वायरस का कॉकटेल बनाकर पति को दियामहामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथडी पति टॉम पैटरसन के साथ।महामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथडी पति टॉम पैटरसन के साथ।इन सभी वायरस का कॉकटेल बनाकर उन्होंने अपने पति के शरीर में इंजेक्ट कर दिया। इसके तीन सप्ताह बाद ही टॉम की स्थिति में सुधार होने लगा। टॉम पूरी तरह से ठीक होने लगे। यह एक ऐसी कहानी है जिससे हर साल सुपरबग्स के कारण जान गंवाने वाले लगभग 70 लाख लोगों को बचाया जा सकता है। दरअसल, जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स समय के साथ बदलते हैं और दवाओं का उन पर असर नहीं होता है, तब एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंट (AMR) पैदा होता है।अमेरिका में FDA से मिली मंजूरीऐसे समय में संक्रमण का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है। सुपरबग को एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया भी कहते हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) ने भी इस कॉकटेल के लिए मंजूरी दे दी। वहीं, आगामी खतरे काे देखते हुए एंटीबायोटिक बनाने में मदद मांगी है।मिडिल ईस्ट में मिलता है सुपरबग​​​​​​​स्टेफनी और टॉम की कहानी हर साल सुपरबग्स के कारण जान गंवाने वाले लगभग 70 लाख लोगों को बचा सकती है।स्टेफनी और टॉम की कहानी हर साल सुपरबग्स के कारण जान गंवाने वाले लगभग 70 लाख लोगों को बचा सकती है।यह बैक्टीरिया मिडिल ईस्ट की रेत में पाया जाता है। दरअसल, इराक युद्ध के दौरान बम की चपेट में आए अधिकांश अमेरिकी सैनिकों के घावों में यह सुपरबग पाया गया था। इसके चलते इस सुपरबग का नाम इराकिबेक्टर रख दिया गया था। अब यह तेजी से फैल रहा है।2050 तक हर साल 1 करोड़ मौतों का खतरासुपबग्स से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इंग्लैंड सरकार की एक कमीशन ने अनुमान लगाया है कि 2050 तक सुपरबग्स के कारण हर साल 1 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। यानी, हर तीन सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हो सकती है।

बलुवाना न्यूज पंजाब पत्नी ने बनाया बैक्टीरिया खाने वाला वायरस:सुपरबग ले रहा था पति की जान, वायरस देकर मौत के मुंह से खींच लाई;

अमेरिका की महामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथडी के पति टॉम पैटरसन फरवरी 2016 में सुपरबग से पीड़ित थे। तमाम तरह के इलाज के बाद जब डॉक्टर्स ने जब हाथ खड़े कर दिए तब स्टेफनी ने अपने पति को बचाने के लिए एक चौंकाने वाला फैसला लिया।

उन्होंने अपने पति को दवाओं के जरिए नहीं बल्कि नेचुरल वायरस खोजकर बचाया। इसके लिए उन्होंने डॉक्टरों की एक टीम बनाई और सुपरबग के बैैक्टीरिया को नष्ट करने में इस नेचुरल वायरस का इस्तेमाल किया। इसके लिए हर खराब चीज जैसे सीवेज, दलदल, तालाब, नाव की सड़ी हुई लकड़ी, मैदान और घास के ढेर से वायरस जुटाए।
खबरें और भी हैं…
वायरस का कॉकटेल बनाकर पति को दिया
महामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथडी पति टॉम पैटरसन के साथ।
महामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथडी पति टॉम पैटरसन के साथ।
इन सभी वायरस का कॉकटेल बनाकर उन्होंने अपने पति के शरीर में इंजेक्ट कर दिया। इसके तीन सप्ताह बाद ही टॉम की स्थिति में सुधार होने लगा। टॉम पूरी तरह से ठीक होने लगे। यह एक ऐसी कहानी है जिससे हर साल सुपरबग्स के कारण जान गंवाने वाले लगभग 70 लाख लोगों को बचाया जा सकता है। दरअसल, जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या पैरासाइट्स समय के साथ बदलते हैं और दवाओं का उन पर असर नहीं होता है, तब एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंट (AMR) पैदा होता है।

अमेरिका में FDA से मिली मंजूरी

ऐसे समय में संक्रमण का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है। सुपरबग को एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया भी कहते हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) ने भी इस कॉकटेल के लिए मंजूरी दे दी। वहीं, आगामी खतरे काे देखते हुए एंटीबायोटिक बनाने में मदद मांगी है।
मिडिल ईस्ट में मिलता है सुपरबग​​​​​​​
स्टेफनी और टॉम की कहानी हर साल सुपरबग्स के कारण जान गंवाने वाले लगभग 70 लाख लोगों को बचा सकती है।
स्टेफनी और टॉम की कहानी हर साल सुपरबग्स के कारण जान गंवाने वाले लगभग 70 लाख लोगों को बचा सकती है।
यह बैक्टीरिया मिडिल ईस्ट की रेत में पाया जाता है। दरअसल, इराक युद्ध के दौरान बम की चपेट में आए अधिकांश अमेरिकी सैनिकों के घावों में यह सुपरबग पाया गया था। इसके चलते इस सुपरबग का नाम इराकिबेक्टर रख दिया गया था। अब यह तेजी से फैल रहा है।
2050 तक हर साल 1 करोड़ मौतों का खतरा
सुपबग्स से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इंग्लैंड सरकार की एक कमीशन ने अनुमान लगाया है कि 2050 तक सुपरबग्स के कारण हर साल 1 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। यानी, हर तीन सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हो सकती है।

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