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*बाल विनीता महिला वर्धा आश्रम संगरिया हनुमानगढ़ राजस्थान में पहली बार बनाया जा रहा है कोई भी भाई भूमि दान के लिए सहयोग कर सकते हैं बेसहारों के लिए बहन बेटी बेटा बुजुर्ग बेसहारों के लिए बनाया जा रहा है हर तरह का सहयोग सीमेंट कांक्रीट सरिया रेता पैसा भूमी का दान कर सकते हैं धनी वीरो बेसहारों के लिए* *कॉन्टेक्ट* *9877264170*🙏🙏

बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब तुम बेसहरा हो तो किसी का सहारा बनो तुम को अपने आप ही सहारा मिल जायेगाकश्ती कोई डूबती पहुँचा दो किनारे पेतुम को अपने आप ही किनारा मिल जायेगा तुम बेसहारा हो तो ... हँस कर ज़िन्दा रहना पड़ता हैअपना दुःख खुद सहना पड़ता हैरस्ता चाहे कितना लम्बा होदरिया को तो बहना पड़ता हैतुम हो एक अकेले तो रुक मत जाओ चल निकलोरस्ते में कोई साथी तुम्हारा मिल जायेगातुम बेसहारा हो तो ...जीवन तो एक जैसा होता हैकोई हँसता कोई रोता हैसब्र से जीना आसाँ होता हैफ़िक़्रसे जीना मुश्किल होता हैथोड़े फूल हैं काँटे हैं जो तक़दीर ने बाँटे हैंहुम को इन में से हिस्सा हमारा मिल जायेगातुम बेसहारा हो तो ...तुम बेसहारा हो तो ...न बस्ती में न वीरानों मेंन खेतों में न खलिहानों मेंन मिलता है प्यार बज़ारों मेंन बिकता है चैन दुकानों मेंढूँध रहे हो तुम जिस कोउस को बाहर मत ढूँढोमन के अन्दर ढूँढो प्रीतम प्यारा मिल जायेगातुम बेसहारा हो तो ...

tum besaharaa ho to kisii kaa sahaaraa banotum ko apane aap hii sahaaraa mil jaayegaakashtii koii Duubatii pahu.Nchaa do kinaare petum ko apane aap hii kinaaraa mil jaayegaatum besahaaraa ho to ...ha.Ns kar zindaa rahanaa pa.Dataa haiapanaa duHkh khud sahanaa pa.Dataa hairastaa chaahe kitanaa lambaa hodariyaa ko to bahanaa pa.Dataa haitum ho ek akele to ruk mat jaao chal nikaloraste me.n ko_ii saathii tumhaaraa mil jaayegaatum besahaaraa ho to ...jiivan to ek jaisaa hotaa haiko_ii ha.Nsataa ko_ii rotaa haisabr se jiinaa aasaa.N hotaa haifiqrase jiinaa mushkil hotaa haitho.De phuul hai.n kaa.NTe hai.n jo taqadiir ne baa.NTe hai.nhum ko in me.n se hissaa hamaaraa mil jaayegaatum besahaaraa ho to ...tum besahaaraa ho to ...na bastii me.n na viiraano.n me.nna kheto.n me.n na khalihaano.n me.nna milataa hai pyaar bazaaro.n me.nna bikataa hai chain dukaano.n me.nDhuu.Ndh rahe ho tum jis kous ko baahar mat Dhuu.NDhoman ke andar Dhuu.NDho priitam pyaaraa mil jaayegaatum besahaaraa ho to ...

✍️✍️✍️✍️ *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब* सामान्यतया आदमी दान का मतलब किसी को धन देने से लगा लेता है। धन के अभाव में भी आप दान कर सकते हैं। तन और मन से किया गया दान भी उससे कम श्रेष्ठ नहीं। किसी भूखे को भोजन, किसी प्यासे को पानी, गिरते हुए को संभाल लेना, किसी रोते बच्चे को गोद में उठा लेना, किसी अनपढ़ को इस योग्य बना देना कि वह स्वयं हिसाब किताब कर सके और किसी वृद्ध का हाथ पकड़ उसके घर तक छोड़ देना यह भी किसी दान से कम नहीं है। हम किसी को उत्साहित कर दें, आत्मनिर्भर बना दें या साहसी बना दें, यह भी दान है। अगर आप किसी को गिफ्ट ना दे पायें तो मुस्कान का दान दें, आभार भी काफी है। किसी के भ्रम-भय का निवारण करना और उसके आत्म-उत्थान में सहयोग करना भी दान है।किसी रोज प्यासे को पानी क्या पिला दिया।लगा जैसे प्रभु ने अपना पता बता दिया॥रोशनी करने का ढंग बदलना है।चिराग नहीं जलाने, चिराग बन कर जलना है॥🙏🙏❤️🌳🌍🌳🌳

मित्रों आज जया एकादशी है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब 🌹🙏🙏🌹जया एकादशी के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से निवेदन करते हैं कि माघ शुक्ल एकादशी को किनकी पूजा करनी चाहिए, तथा इस एकादशी का क्या महात्मय है। श्री कृष्ण कहते हैं माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को "जया एकादशी" कहते हैं। यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति नीच योनि जैसे भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। श्री कृष्ण ने इस संदर्भ में एक कथा भी युधिष्ठिर को सुनाई।जया एकादशी व्रत कथा!!!!!!!धर्मराज युधिष्ठिर बोले - हे भगवन्! आपने माघ के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी का अत्यन्त सुंदर वर्णन किया। आप स्वदेज, अंडज, उद्भिज और जरायुज चारों प्रकार के जीवों के उत्पन्न, पालन तथा नाश करने वाले हैं। अब आप कृपा करके माघ शुक्ल एकादशी का वर्णन कीजिए। इसका क्या नाम है, इसके व्रत की क्या विधि है और इसमें कौन से देवता का पूजन किया जाता है?श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन्! इस एकादशी का नाम 'जया एकादशी' है। इसका व्रत करने से मनुष्य ब्रह्म हत्यादि पापों से छूट कर मोक्ष को प्राप्त होता है तथा इसके प्रभाव से भूत, पिशाच आदि योनियों से मुक्त हो जाता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करना चाहिए। अब मैं तुमसे पद्मपुराण में वर्णित इसकी महिमा की एक कथा सुनाता हूँ।देवराज इंद्र स्वर्ग में राज करते थे और अन्य सब देवगण सुखपूर्वक स्वर्ग में रहते थे। एक समय इंद्र अपनी इच्छानुसार नंदन वन में अप्सराओं के साथ विहार कर रहे थे और गंधर्व गान कर रहे थे। उन गंधर्वों में प्रसिद्ध पुष्पदंत तथा उसकी कन्या पुष्पवती और चित्रसेन तथा उसकी स्त्री मालिनी भी उपस्थित थे। साथ ही मालिनी का पुत्र पुष्पवान और उसका पुत्र माल्यवान भी उपस्थित थे।पुष्पवती गंधर्व कन्या माल्यवान को देखकर उस पर मोहित हो गई और माल्यवान पर काम-बाण चलाने लगी। उसने अपने रूप लावण्य और हावभाव से माल्यवान को वश में कर लिया। हे राजन्! वह पुष्पवती अत्यन्त सुंदर थी। अब वे इंद्र को प्रसन्न करने के लिए गान करने लगे परंतु परस्पर मोहित हो जाने के कारण उनका चित्त भ्रमित हो गया था।इनके ठीक प्रकार न गाने तथा स्वर ताल ठीक नहीं होने से इंद्र इनके प्रेम को समझ गया और उन्होंने इसमें अपना अपमान समझ कर उनको शाप दे दिया। इंद्र ने कहा हे मूर्खों ! तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है, इसलिए तुम्हारा धिक्कार है। अब तुम दोनों स्त्री-पुरुष के रूप में मृत्यु लोक में जाकर पिशाच रूप धारण करो और अपने कर्म का फल भोगो।इंद्र का ऐसा शाप सुनकर वे अत्यन्त दु:खी हुए और हिमालय पर्वत पर दु:खपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे। उन्हें गंध, रस तथा स्पर्श आदि का कुछ भी ज्ञान नहीं था। वहाँ उनको महान दु:ख मिल रहे थे। उन्हें एक क्षण के लिए भी निद्रा नहीं आती थी।उस जगह अत्यन्त शीत था, इससे उनके रोंगटे खड़े रहते और मारे शीत के दाँत बजते रहते। एक दिन पिशाच ने अपनी स्त्री से कहा कि पिछले जन्म में हमने ऐसे कौन-से पाप किए थे, जिससे हमको यह दु:खदायी पिशाच योनि प्राप्त हुई। इस पिशाच योनि से तो नर्क के दु:ख सहना ही उत्तम है। अत: हमें अब किसी प्रकार का पाप नहीं करना चाहिए। इस प्रकार विचार करते हुए वे अपने दिन व्यतीत कर रहे थे। दैव्ययोग से तभी माघ मास में शुक्ल पक्ष की जया नामक एकादशी आई। उस दिन उन्होंने कुछ भी भोजन नहीं किया और न कोई पाप कर्म ही किया। केवल फल-फूल खाकर ही दिन व्यतीत किया और सायंकाल के समय महान दु:ख से पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ गए। उस समय सूर्य भगवान अस्त हो रहे थे। उस रात को अत्यन्त ठंड थी, इस कारण वे दोनों शीत के मारे अति दुखित होकर मृतक के समान आपस में चिपटे हुए पड़े रहे। उस रात्रि को उनको निद्रा भी नहीं आई।हे राजन् ! जया एकादशी के उपवास और रात्रि के जागरण से दूसरे दिन प्रभात होते ही उनकी पिशाच योनि छूट गई। अत्यन्त सुंदर गंधर्व और अप्सरा की देह धारण कर सुंदर वस्त्राभूषणों से अलंकृत होकर उन्होंने स्वर्गलोक को प्रस्थान किया। उस समय आकाश में देवता उनकी स्तुति करते हुए पुष्पवर्षा करने लगे। स्वर्गलोक में जाकर इन दोनों ने देवराज इंद्र को प्रणाम किया। इंद्र इनको पहले रूप में देखकर अत्यन्त आश्चर्यचकित हुआ और पूछने लगा कि तुमने अपनी पिशाच योनि से किस तरह छुटकारा पाया, सो सब बतालाओ।माल्यवान बोले कि हे देवेन्द्र ! भगवान विष्णु की कृपा और जया एकादशी के व्रत के प्रभाव से ही हमारी पिशाच देह छूटी है। तब इंद्र बोले कि हे माल्यवान! भगवान की कृपा और एकादशी का व्रत करने से न केवल तुम्हारी पिशाच योनि छूट गई, वरन् हम लोगों के भी वंदनीय हो गए क्योंकि विष्णु और शिव के भक्त हम लोगों के वंदनीय हैं, अत: आप धन्य है। अब आप पुष्पवती के साथ जाकर विहार करो। श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजा युधिष्ठिर ! इस जया एकादशी के व्रत से बुरी योनि छूट जाती है। जिस मनुष्य ने इस एकादशी का व्रत किया है उसने मानो सब यज्ञ, जप, दान आदि कर लिए। जो मनुष्य जया एकादशी का व्रत करते हैं वे अवश्य ही हजार वर्ष तक स्वर्ग में वास करते हैं।

*जरुरतमंद लोगों को सर्दी से बचाव के लिए अपने पुराने या नये वस्त्र संस्था में दान करें**अगर किसी भी जरुरतमंद को पहनने के लिए वस्त्रों की जरूरत है तो वह बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम के दफ्तर से ले जाएं*सर्दी का मौसम आ गया है, ऐसे मौसम में अनेक जरूरतमंद लोग कड़ाके की ठंड से ठिठूरते आम ही दिख जाते हैं, आप लोगों के सहयोग से ऐसे जरूरतमंद लोगों को सर्दी से बचाव के लिए संस्था द्वारा हर साल पहनने और ओढने के लिए कपड़े बांटने की सेवा की जाती है। इसलिए आप अपने घरों में फालतू पडे अच्छी हालात वाले पहनने योग्य वस्त्र या लोई, कम्बल, बिस्तर, बूट-चप्पल, बर्तन इत्यादि संस्था में दान करें। ये सेवा आपके सहयोग से ही संभव है जी।अगर आपके आसपास कोई भी जरुरतमंद परिवार रह रहा है, जिसे वस्त्रों की जरूरत है तो वह भी संस्था द्वारा नर्सरी रोड संगरिया पर चलाई जा रही बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की दरबार पर आकर अपनी जरूरत के हिसाब से वस्त्र ले जा सकता है जी।*वस्त्र दान करने के लिए या वस्त्र लेकर जाने के लिए संस्था के दफ्तर के फोन नंबर 9877264170 पर संपर्क करें जी।**जनहित में जारी**बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम (रजि.)**9877264170*

क्या ब्रह्मचर्य पालन करने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबधर्म के साथ हमेशा एक दिक्कत होती है चाहे मामला भक्ति का हो या फिर कोई और उसने हमेशा उस रास्ते को अहमियत दी है जिसमें शारीरिक सुख(Physical pleasure) कम से कम हो। धर्म को लगता है कि शारीरिक सुख कोई अपवित्र चीज है। लिहाजा उसने एक ऐसी नैतिकता को जन्म दिया जिसका विकृत होना लाजिमी है। 'ब्रह्मचर्य ' शब्द विकृत नैतिकता का हिस्सा है।क्या ब्रह्मचर्य और दिमाग की मजबूती में कोई संबंध है?बिल्कुल दोनों में गहरा संबंध है । कोई भी अप्राकृतिक कार्य दिमाग के स्वास्थ्य पर असर डालता है। यौवन आकर्षण स्वभाविक होता है। अगर आप इसको Suppress करोगे तो ये विकृत रूप में सामने आएगा। तथाकथित धार्मिक लोगों में ये विकार आमतौर पर अपनी शक्ति दिखाता है।ब्रह्मचर्य एक sexist अवधारणा है। कैसे?धार्मिक लोग कहते है कि ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन करने पर वीर्य की गति ऊर्ध्वाधर हो जाती है। चलो पुरुषों की तो हो गई और महिलाओं की? मतलब पुरुषों की चिंता महिलाओं से ज्यादा। फिर महिलाएं अपने दिमाग को कैसे मजबूत बनाएंगी। महान वैज्ञानिक न्यूटन को भी शायद इस ऊर्ध्वाधर गति के बारे में नही पता था।अगर किसी पुरुष के किसी बीमारी की वजह से अंडकोष निकाल दिए जाते हैं तो फिर वो तो ब्रह्मचर्य से अपने दिमाग को कभी मजबूत नहीं बना पाएगा। क्योंकि शुक्राणु तो अंडकोष में ही बनते है।विज्ञान क्या कहता है?अपनी हाँकनी है तो विज्ञान की सुनता कौन है। फिर भी देख लेते हैं —Source: Googleपुरुष के टेस्टिकल्स में शुक्राणुओं का निर्माण होता है।एक सेकंड में करीब 1500 शुक्राणु बनते है।[1]पुरुष के शरीर मे एक शुक्राणु की लाइफ साईकल 74 दिनों की होती है। इसके बाद वो मर जाता है और शरीर मे अवशोषित हो जाता है। [2]चूहों पर की गई एक स्टडी में पाया गया कि उनमें सेक्सुअल एक्टिविटी उनके दिमाग की परफॉरमेंस बढ़ा देती है—Researchers in Maryland and South Korea recently found that sexual activity in mice and rats improves mental performance and increases neurogenesis (the production of new neurons) in the hippocampus, where long-term memories are formed.[3]लिहाजा हम कह सकते हैं कि ब्रह्मचर्य और दिमाग की मजबूती में कोई पॉजिटिव संबंध नहीं है बल्कि इसका उल्टा होने की संभावना ज्यादा है।

ऐसा क्या है जो लता मंगेशकर जी की आवाज को खास बनाता था ?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब बचपन से संगीत प्रेमी 😍हम सबने बचपन मे एक अफवाह ज़रूर सुनी होगी कि लता मंगेशकर के गले का 2 करोड़ जैसी किसी बड़ी रकम का बीमा कराया गया है या ये कि लता जी के निधन के बाद उनके गले को खोलकर देखेंगे कि इतना सुरीला कैसे है कि वो इतने लंबे समय तक बाकी गायक-गायिकाओं से इतने आगे रही।😀इस पर सहज ही विश्वास हो जाता था, हम जैसे बच्चे तो ठीक बड़े भी इस पर विश्वास कर लेते थे। ये इस बात पर विश्वास नही था बल्कि उस गले पर था और उस वाणी पर था।किसी भी गाने में लता मंगेशकर की आवाज़ आसानी से पहचानी जा सकती थी।कहा जाता है कि दिन में कुछ समय के लिए माँ सरस्वती हमारे कंठ में आती हैं इसलिए सोच-समझ कर बोलना चाहिए। उन्ही माँ का स्थायी निवास लता जी के कंठ में था,शायद ये भी सत्य ही है।92 साल की शानदार ज़िंदगी के बाद उनका स्वर्गवास हुआ है, प्रभु उनको अपने चरणों मे स्थान दे। 🙏

लोग कहते हैं कि घिसे पीटे सामान की कोई वैल्यू नहीं होती,पर टैलेंट है तो कुछ भी किया जा सकता है इसी घिसे पिटे सामान के सामने लोग आज सेल्फी ले रहे हैंबाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

दुनिया में अपनी गायिकी बादशाहत कायम करने वाली देश की स्वर कोकिला आज रविवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. *बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब*🥲भले ही लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) हम सबके बीच सशरीर न हों, लेकिन उनके द्वारा गाये हुए गानें आज भी हमारे बीच में मौजूद है. उनके गाने हमेशा उनकी संघर्ष और कामयाबी की दांस्ता की याद दिलाते रहेंगे. लता मंगेशकर के निधन के बाद पूरे देशभर में शोक छा गई है. अब शायद ही लता जैसा कोई गायक इस देश को नसीब हो. उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे पहलू हैं जिनके बारे में बहुत से लोग अनभिज्ञ हैं.इस खबर में ये है खास-तबस्सुम ने लता के निधन पर व्यक्त किया शोकलता के साथ की शेयर की तस्वीरक्यों लगाती थी सिंदूरतबस्सुम ने लता के निधन पर व्यक्त किया शोकदेश की जानी मानी कलाकार तबस्सुम ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीटर पर एक तस्वीर को ट्वीट करके कहा कि लता दीदी जैसा कोई ना था, ना कोई है और ना कोई होगा. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें. उन्होंने एक किस्से के बारे में बताया कि जब लता जी अपने पहले हिंदी गाने से डेब्यू कर रही थीं.लता के साथ की शेयर की तस्वीरफिल्म का नाम था, बड़ी बहन जिसका म्यूजिक हुस्न लाल भगतराम ने दिया था. गाने के बोल थे चुप-चुप खड़े हो, जरूर कोई बात है, पहली मुलाकात है ये पहली मुलाकात है. मुझे अच्छी तरह याद है कि इस गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान शमशाद बेगम, गीता दत्त और मैं मौजूद थीं.क्यों लगाती थी सिंदूरलता मंगेशकर को अक्सर सिंदूर लगाते हुए देखा गया है. वह अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं, इसकी भी एक दिलचस्प कहानी है. जानीमानी कलाकार तबस्सुम ने इसके बारे में बताया कि एक बार मैंने लता से सवाल किया. दीदी आप तो कुंवारी लता जी हैं, आपकी शादी तो हुई नहीं हैं..आप श्रीमती लगाती नहीं. तो जवाब में भी उन्होंने कहा कि हां, मैं तो कुंवारी लता मंगेशकर हूं.तबस्सुम आगे बताया कि इस पर लता से पूछा कि यह आप सिंदूर किसके नाम का लगाती हैं. इस पर लता मंगेशकर ने जवाब दिया कि कि संगीत के नाम का है. आप ही बताएं कि ये कितनी गहरी बात है.The post Lata Mangeshkar: कुवांरी लता क्यों लगाती थी सिंदूर, ये है वजह first appeared on India Ahead Hindi.

अगर आप शौच करते समय अचानक सांप आ जाए तो आप क्या करेंगे?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब सफलता के सिद्धांत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी हैं, जब तक मेरे ग्रह नक्षत्र अच्छे हैं तब तक मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।मैं हमेशा ऊपर ही देखता हूं इसलिए मुझे पता भी नहीं चलेगा कि नीचे कौन आया और कौन गया, बिचारा सांप दबके फस जाएगा। सफलता के सिद्धांत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी हैं और रही बात सांप की, तो जब तक मेरे ग्रह नक्षत्र अच्छे हैं तब तक मुझे कोई सांप बिच्छू नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।इस उत्तर का मूल स्रोत है प्रत्येक जगह सफलता हेतु मेरे ऊपर देखने की आदत। चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस

हिंदुस्तान किन गंभीर सामाजिक समस्याओं से जूझ रहा रहा?बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रमआज भारत देश विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यबस्था बनने जा रहा है| प्रगति मार्ग पर इतनी तेजी से बढ़ने के बावजूद हम आस पास बुनियादी समस्याएं देखते हैं तो लगता है तारिख बदल रही है मगर देश वहीँ खड़ा है।भारत ही नहीं विश्व के प्रत्येक देश इसी आलम से गुजर रहे हैं, देश एक समस्या से मुक्त नहीं हो पाता की दूसरी समस्या घेर लेती है। इन्ही में से कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं जो विकासील देश के पैरों की बेड़ियाँ बन जाती है। चलिए कुछ ऐसे ही बेहद गंभीर मुद्दों और उनके समाधान पर नजर डाल लेते हैं।भारत दुनिया का सबसे बड़ा पूर्णतः लोकतंत्र और दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाली देश है। हमारी संस्कृति अत्यंत विविधता पूर्ण और समृद्ध है। आइये इसी विविधता के दुसरे पहलु को देखते हैं जिसको सभी अनदेखा कर गुजरते हैं।यौन अपराधएक तरफ भारतीय स्त्रियां सौंदर्य प्रतियोगिता में प्रथम दर्जा हासिल कर रही हैं, राजनीती में भी महिलों के निपुणता देखते ही बनती है, खेल प्रतियोगिताएं में भारत को सूची में आगे खड़ा कर रही हैं, देश की रक्षा में भी अपनी सक्रीय भूमिका निभा भी रही है, लड़को के साथ प्रत्येक क्षेत्र में हाथ मिला रही हैं, इसके विपरीत हज़ारों महिलाएं दहेज़ के नाम पर जलाकर मार डाली जा रही हैं, बाल शिशु के रूप में उनकी हत्या की जा रही हैं। संस्कृति और तहजीब की संरचना का जिम्मा भी महिलाओं को ही सौंप दिया गया है। हमारा समाज में प्रचलित अधिकाँश बुराइयाँ महिलाओं को ही अपना शिकार बनाती हैं। मैं इसे विविधता के रूप में ही देखते हूँ।यौन अपराध ज्यादा बढ़ने के पीछे मूल कारण कुछ इस तरह से देख सकते हैं।अति उच्च मात्रा में अश्लीन फिल्म देखना।आधयात्मिक शिक्षा का दुर्बल होते जाना।पुरुष के तुलना में नारी को समाज में निम्न स्थान प्रदान करना।2. शिक्षा का आभाव - समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुप्रथाओं, भ्रष्टाचार जैसी तमाम सामाजिक बुराइयों के पनपने का मूल कारण शिक्षा का अभाव है। शिक्षा मानव जीवन के अति तात्पर्यपूर्ण अंश है। बिना शिक्षा कोई भी व्यक्ति कभी भी प्रकृत मानव नहीं बन सकता है। शिक्षा ही मानव को जानवर जीवन शैली से भिन्न करता है। शिक्षा ही मनुष्य को इंसानियत रुपी लिबास को धारण करने में सहाई बनता है। जब तक देश में सीखने सिखाने की शिक्षा थी, देश में महापुरुषों का जन्म होता रहा। ऐसा लगता है की अब शिक्षा मात्र प्रमाणपात्र हासिल करने के लिए ही बची है।देश में शिक्षा प्रणाली के दुरावस्था होने का कुछ अति महत्वपूर्ण कारण -दुर्बल शिक्षा नितिमाणपत्र लाभ के प्रति आकर्षित होनाउच्च प्रशिक्षित शिक्षको का न होनापढाई केबल कर्रिएर के लिए ही है ज्ञान प्राप्ति के लिए नहीं।3. गरीबी - देश में स्थिति ये है की अमीर और अमीर बनता जा रहा और गरीब फंदे में झूलने की तयारी में रहता है। जैसा की मैं पहले ही बता चूका हूँ की भारत पूरी दुनिआ की अर्थव्यस्था का नतृत्व करने जा रहा है लकिन इतना इसके बावजूद भी आज ये देश दुनिआ की गरीबी के मामले में भारत 26वें स्थान पर आते है।दुखद तो ये है देश का अन्नदाता किसान, जिसकी चर्चा महज चुनाव के दिनों में ही होता है। बड़े बड़े कारोबारी को लोन दिया जाता है, माफ़ भी कर दिया जाता है और कई बार तो सरकार बाकायदा भगा भी देती है। लेकिन किसान की स्तिथि पर कोई खास चर्चा नहीं होती। यदि कोई रविश कुमार जैसा इस विषय पर बात कर भी ले तो विरोधी दल का चमचा बोल नजरअंदाज कर दिया जाता है। अरे भाई बात किसानो की थी, इसमें राजनीती कहा से आ गयी?भारत की गरीबी समस्याएँ और उनके मूल कारणअतिमात्रा में जनसंख्या बृद्धिआर्थिक असमानताएकरिकारी शिक्षा का न होना4. जनसंख्या बृद्धिबढ़ती जनसंख्या किसी देश में परेशानी नहीं हो सकती है बशर्ते जनसँख्या को देश हित में उपयोग करना आना चाहिए। चीन इस बात का मौजूदा गवाह है। दुर्भाग्य की बात ये है कि हमसे भी अधिक जनसंख्या वाले देश से हम कुछ नहीं सीख रहे। कैसे चीन ने अपनी जनसंख्या को ढाल बना प्रगति की राह पर बढ़ रहा है। हमारे पास तो इतने हाथ हैं कि किसी भी देश से दुगुना तीगना उत्पाद कर सकते हैं। सरकार समेत प्रतेके नागरिक को इसके बारे मे गंभीरता से सोचना होगा।जनसँख्या वृद्धि का मुख्य कारण शिक्षा आभाव ही हो सकता है।5. अफवाह एक गंभीर मुद्दाहमारे देश में भी अफवाहें आदिकाल से हमारे घरेलु जीवन पर पर असर डालती रही हैं। कथित पत्रकार के रूप में नारद मुनि तक इसके लिए पौराणिक आख्यानों में विख्यात रहे हैं। लेकिन कब कैसे अफवाह ने देश में सामाजिक या राजनितिक रुख अपना लिया अंदाजा लगाना मुश्किल है। यहां से प्रसारित हो रहीं बहुत सारी जानकारियां भ्रामक सिद्ध हो रही हैं। देश का प्रत्येक युवा चाहे खलिहर हो या पढ़ालिखा व्हाट्सप्प फेसबुक पर बैठा है। सबसे बड़ी चुनौती तो सोशल मीडिया पर तेजी से रोजाना फैलाई जा रहीं अफवाहों को रोकना है। अफवाहों को लगाम लगाना तत्कालीन हल हो सकता है सर्वदा के लिए नहीं। इसके लिए जागरूकता ही एक मात्र उपाय है। लेकिन सरकार कैसे रोक लगाएगी जो जान समझ कर किसी प्रचार प्रसार के रूप में कर रहे हैं। और इससे भी गंभीर बात ये है की खुद देश का बड़े से बड़ा दल अफवाह फैलता है। किसी का नाम लेके विषय को प्रासंगिक नहीं करूँगा। मैं अफवाह को देश का कैंसर समझता हूँ।अफवाह बढ़ने का मुख्य कारणनिजी रूप से राजनितिक दल का शामिल होनाप्रतिस्प्रधा को नष्ट करने की मंशासटीक जानकारी का आभाव होनासाइबर क्राइम कानून का कमजोर होनाईश्वर अलग कला/शक्ति बख्शने के साथ ही एक नई जिम्मेदारी भी देता है। अफवाह जैसी बेड़ियों को जागरूकता के मजबूर हथियार से ही तोडा जा सकता है। मैं क्वोरा पर तमाम लिखारियों समेत इन बेहद प्रसिद्ध कलमधारी बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब जिनका मैं बेहद प्रशंशक हूँ, से दोहरा निवेदन करता हूँ की अफवाह जैसे गंभीर मुद्दे पर नियमित लिखना शुरू करें। कलम एवं देश के प्रति निजी जिम्मेदारी निभाएं।धन्यवाद । भूल चूक माफ़

बैठो, ध्यान नाभि का रखो। उठो, ध्यान नाभि का रखो।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम कुछ भी करो, लेकिन तुम्हारी चेतना नाभि के आस-पास घूमती रहे। एक मछली बन जाओ और नाभि के आस-पास घूमते रहो। और शीघ्र ही तुम पाओगे कि तुम्हारे भीतर एक नई शक्तिशाली चेतना का जन्म हो गया।इसके अदभुत परिणाम हैं।और इसके बहुत प्रयोग हैं। आप यहां एक कुर्सी पर बैठे हुए हैं। लाओत्से कहता है कि आपके कुर्सी पर बैठने का ढंग गलत है। इसीलिए आप थक जाते हैं। लाओत्से कहता है, कुर्सी पर मत बैठो। इसका यह मतलब नहीं कि कुर्सी पर मत बैठो, नीचे बैठ जाओ। लाओत्से कहता है, कुर्सी पर बैठो, लेकिन कुर्सी पर वजन मत डालो। वजन अपनी नाभि पर डालो।अभी आप यहीं प्रयोग करके देख सकते हैं। एम्फेसिस का फर्क है। जब आप कुर्सी पर वजन डाल कर बैठते हैं, तो कुर्सी सब कुछ हो जाती है, आप सिर्फ लटके रह जाते हैं कुर्सी पर, जैसे एक खूंटी पर कोट लटका हो। खूंटी टूट जाए, कोट तत्काल जमीन पर गिर जाए। कोट की अपनी कोई केंद्रीयता नहीं है, खूंटी केंद्र है। आप कुर्सी पर बैठते हैं - लटके हुए कोट की तरह।लाओत्से कहता है, आप थक जाएंगे। क्योंकि आप चैतन्य मनुष्य का व्यवहार नहीं कर रहे हैं और एक जड़ वस्तु को सब कुछ सौंपे दे रहे हैं। लाओत्से कहता है, कुर्सी पर बैठो जरूर, लेकिन फिर भी अपनी नाभि में ही समाए रहो। सब कुछ नाभि पर टांग दो। और घंटों बीत जाएंगे और आप नहीं थकोगे।अगर कोई व्यक्ति अपनी नाभि के केंद्र पर टांग कर जीने लगे अपनी चेतना को, तो थकान - मानसिक थकान - विलीन हो जाएगी। एक अनूठा ताजापन उसके भीतर सतत प्रवाहित रहने लगेगा। एक शीतलता उसके भीतर दौड़ती रहेगी। और एक आत्मविश्वास, जो सिर्फ उसी को होता है जिसके पास केंद्र होता है, उसे मिल जाएगा।तो पहली तो इस साधना की व्यवस्था है कि अपने केंद्र को खोज लें। और जब तक नाभि के करीब केंद्र न आ जाए - ठीक जगह नाभि से दो इंच नीचे, ठीक नाभि भी नहीं - नाभि से दो इंच नीचे जब तक केंद्र न आ जाए, तब तक तलाश जारी रखें। और फिर इस केंद्र को स्मरण रखने लगें। श्वास लें तो यही केंद्र ऊपर उठे, श्वास छोड़ें तो यही केंद्र नीचे गिरे। तब एक सतत जप शुरू हो जाता है - सतत जप। श्वास के जाते ही नाभि का उठना, श्वास के लौटते ही नाभि का गिरना - अगर इसका आप स्मरण रख सकें…।कठिन है शुरू में। क्योंकि स्मरण सबसे कठिन बात है। और सतत स्मरण बड़ी कठिन बात है। आमतौर से हम सोचते हैं कि नहीं, ऐसी क्या बात है? मैं एक आदमी का नाम छह साल तक याद रख सकता हूं।यह स्मरण नहीं है; यह स्मृति है। इसका फर्क समझ लें। स्मृति का मतलब होता है, आपको एक बात मालूम है, वह आपने स्मृति के रेकार्डींग को दे दी। स्मृति ने उसे रख ली। आपको जब जरूरत पड़ेगी, आप फिर रिकार्ड से निकाल लेंगे और पहचान लेंगे। स्मरण का अर्थ है: सतत, कांसटेंट रिमेंबरिंग।बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबताओ उपनिषद