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तुलसी के अलावा कौन से पौधे हैं जो हर घर में अवश्य होने चाहिए और क्यों ?बाल वनिता महिला आश्रम संस्था संगरिया की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबआजकल जैविक और हर्बल का बहुत चलन है। तो मेरे हिसाब से घर में वो पौधे अवश्य रखने चाहिए जो आपके बाग़वानी की इच्छा को पूर्ण करने के साथ साथ उपयोगी भी सिद्ध हो। कुछ पौधे पुरे साल चलते है तो कुछ पौधे मौसम विशेष में चलते है। तुलसी के अतिरिक्त आपको जो पौधे अपने घर में लगाने चाहिए वो निम्न प्रकार है।1. लेमन ग्रास : ये एक बहु वर्षीय ग्रास है जो नियमित देखभाल करने पर 3 साल आराम से चलती है। दैनिक जीवन में आप लेमन टी में इसका उपयोग कर सकते है। इसके पौधे आपको नर्सरी से मिल सकते है या स्लिप्स मंगवाकर आप अपने गमलो या बगीचे में लगा सकते है। लगाने का सही समय वैसे तो वर्षा है लेकिन आप जुलाई से मार्च तक कभी भी लगा सकते है।2. सिट्रोनेला : ये एक बहु वर्षीय ग्रास है जो नियमित देखभाल करने पर ३ साल आराम से चलती है। रूम फ्रेशनर के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके पौधे आपको नर्सरी से मिल सकते है या स्लिप्स मंगवाकर आप अपने गमलो या बगीचे में लगा सकते है। लगाने का सही समय वैसे तो वर्षा है लेकिन आप जुलाई से मार्च तक कभी भी लगा सकते है।3. मिंट : पुदीना से आप परिचित है औषधीय उपयोग के अतिरिक्त आप चटनी या पेय बनाने में इसका उपयोग कर सकते है। पुदीने को आप बारिश में लगाइये बहुत अच्छे से चलेगा लेकिन इसे किसी भी समय लगा सकते है। ज्यादा प्रयास की जरुरत नहीं है बाजार से खाने वाला पुदीना खरीदकर लाइए पत्तियां हटाकर उपयोग कर लीजिये और टहनियों को 2 - 3 इंच मिटटी में दबा दीजिये। 10 - 15 दिन में आपको नए अंकुर दिखाई देंगे और धीरे धीरे ये आपके पुरे गमले में फ़ैल जाएगा। किसी परिचित के गमले से भी जड़ सहित टहनी को लाकर लगाया जा सकता है।4. स्टीविआ : ये आपके चीनी का विकल्प है घर में होना चाहिए पौधा देखने में भी अच्छा लगता है और चीनी के विकल्प के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। स्टीविआ के पौधे आजकल नर्सरी में मिल जाते है। ये बड़ा जीवट वाला पौधा है इसकी जड़ सहित टहनी मंगवाकर आप लगा सकते है। किसी के यहाँ पर लगा है तो आप टहनी लाकर भी पत्तियां हटाकर बारिश में लगा दे तो पौधा बन जाएगा।5. अपराजिता : ये खूबसूरत बेल हमेशा हरीभरी रहती है और खूबसूरत सफ़ेद या नील फूल देती है। इन फूलो का उपयोग आप ब्लू टी बनाने में कर सकते है। अपराजिता को बीज से लगाया जाता है। पौधे भी आपको नर्सरी से मिल सकते है। अभी अमेजॉन पर 199 रुपये में 10 बीज उपलब्ध है लूट रहे है। 2 - 3 महीने बाद ये में आपको केवल पोस्टेज चार्ज में भिजवा दूंगा। सफ़ेद भी और नीली भी।6. करी पत्ता या मीठा नीम : मीठा नीम किचन की जरुरत है। आपके घर में लगा हुआ पौधा आपको हमेशा ताजा पत्तिया आपके भोजन के लिए देता रहेगा। नर्सरी से पौधा लाकर लगा लीजिये। सामान्य रूप से प्रत्येक नर्सरी से आपको मिल सकता है। किसी के यहाँ पहले से लगा है तो बीज लाकर भी आप लगा सकते है।7. अजवाइन/डिल सीड : दोनों पौधे देखने में खूबसूरत लगते है और पत्तिया अनेक प्रकार के भोजन बनाने में उपयोग होती है। पौधा 6 माह तक चलता है सर्दियों में अवश्य लगाना चाहिए। दोनों पौधे बीज से ही लगाए जाएंगे। लगाने का समय जुलाई अगस्त से नवंबर तक है। बीज आप अपने नजदीक मिलता है तो वहां से ले सकते है। नहीं तो मुझे बताएगा।8. सौंफ : ताजा सौंफ और उसकी पत्तियां भी खुशबु के लिए भोजन में प्रयुक्त होती है और पौधे भी खूबसूरत दीखते है 8 - 9 महीने तक ये पौधा आपके गमले की शोभा बढ़ा सकता है। पौधे बीज से ही लगाए जाएंगे। लगाने का समय जुलाई अगस्त से नवंबर तक है। बीज आप अपने नजदीक मिलता है तो वहां से ले सकते है। नहीं तो मुझे बताएगा।9. चाइव्स : अदरक और लहसुन का फ्लेवर एक साथ प्राप्त करने के लिए इसे अवश्य लगाना चाहिए। इसका वानस्पतिक प्रवर्धन होता है इसलिए पौधा ही लाकर लगाना पड़ेगा। सामान्य नर्सरी पर पौधा नहीं मिलेगा अगर आपके आसपास कोई एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी है तो वहां के उद्यानिकी विभाग में आप संपर्क कर सकते है।10. लेमन तुलसी : तुलसी का यह प्रकार आपको निम्बू और तुलसी दोनों का फ्लेवर देता है जरूर लगाना चाहिए। ये बीज से लगती है। बहुत बारीक़ बीज होता है जिसे सावधानी से उगाया जाता है और पौधे के 4 - 6 के होने पर मूल गमले में लगाया जाता है।11. एलोवेरा : इसके गुणों से आप पूर्व परिचित है घर में रहेगा तो आप ताजा जेल का उपयोग कर सकते है। इसके पौधे बड़ी आसानी से आपको नर्सरी से मिल जाएंगे एक ले आइये। बाद में इसके पास से सकर निकालेंगे जिन्हे आप निकल कर दूसरे गमलो या दूसरी जगह लगा सकते है।12. धनिया : सर्व सुलभ है आराम से आप इसे पुरे वर्ष थोड़ी सावधानी के साथ लगा सकते है और ताजे धनिये की बात ही कुछ और होती है ये आपको खाने के बाद पता चल ही जाएगा। वैसे तो आप धनिया बीज को दबाकर दो भाग कर ले और लगा देवे। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात जो में बताना चाहूंगा धनिया पत्ती के लिए अलग किस्म आती है और बीज के लिए अलग। पत्तिवाली धनिये की किस्म में खुशबु ज्यादा अच्छी होती है। लगाने का समय सितम्बर से मार्च तक है सर्दी में उगने में अधिक समय लेता है।13. हल्दी : हल्दी का पौधा बहुत खूबसूरत तो दीखता ही है आपको खाने के लिए भी बेहतरीन हल्दी प्राप्त हो जाती है। हल्दी को लगाने के लिए कंद का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हे आप अप्रेल के महीने में मंगवा लीजिये और किसी ठंडी सुखी जगह रख दीजिये। मई के महीने में अंकुर निकल आते है जिसके बाद आप इन्हे गमले में लगा देवे। हल्का पानी देते रहिये महीने भर में पत्तियां आ जाएगी। पौधा 8 महीने तक हरा रहेगा। अगले वर्ष के लिए आपको नया बीज नहीं लाना है जितने पौधे लगाने है उतना कंद रख लीजिये बाकि का चिप्स बनाकर सूखा लीजिये जिसे आप पाउडर बनाकर इस्तेमाल कर सकते है।14. गुड़हल : लाल गुड़हल जिसका फूल बड़ा होता है खूबसूरत तो होता ही है। फूल भी उपयोगी होते है और पत्तियों को उबालकर आप शैम्पू की तरह इस्तेमाल कर सकते है। इसके पौधे बड़ी आसानी से आपको नर्सरी से मिल जाएंगे एक ले आइये। बाद में बढ़ने के लिए इसकी कठोर लकड़ी की कलम बनाकर आप जून जुलाई या फरवरी में दूसरी जगह लगाकर पौधे तैयार कर सकते है।15. गिलोय : एक खूबसूरत हरे पत्तो वाली बेल जिसके अनेकोनेक फायदे है जरूर लगाइये। किसी औषधीय नर्सरी से पौधा लाकर लगा सकते है नहीं तो जहाँ लगी हो वहां से आप इसकी छोटी उंगली की मोटाई की एक फ़ीट लम्बी कलम लाकर अपने यान लगा दीजिये। कलम के लिए बारिश और फेरवारी का मौसम अच्छा होता है जब सफलता की सम्भावना ज्यादा होती है।16. कैमोमाइल : खूबसूरत सफ़ेद फूलो वाला पौधा घर में जरूर लगाइये और फूलो से बानी ताजा कैमोमाइल चाय का आनंद लीजिये। सूखे फूल बाद में भी उपयोग किये जा सकते है अक्टूबर से अप्रेल तक आप इसे लगा सकते है। इसका बीज बहुत बारीक होता है इसलिए पहले आपको पौधे तैयार करने होंगे फिर इसको मुख्य गमले में लगाया जायेगा। अगर आप लगाना चाहें तो या तो कहीं से पौधे प्राप्त कर लेवें या बीज से नर्सरी तैयार कर फिर लगाएं। नर्सरी तैयार करने का समय सितम्बर अक्टूबर है। बीज के लिए आप संपर्क कर सकते है।17. अश्वगंधा : महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है जिसे आप हमले में लगा सकते है जहाँ यह बहुवर्षीय रहेगा। ये पौधा बीज से लगता है। बीज बारीक़ होता है गमले में लगा दीजिये उसके बाद आवश्यकता अनुसार पौधे रखकर बाकि निकाल दीजिये। अगर आप जड़ लेना चाहते है तो 6 - 7 महीने के बाद पौधे उखाड़ लीजिये और जड़ को तने से अलग करके धोकर सूखा लीजिये। सूखने पर पाउडर बनाकर इस्तेमाल कीजिये और बीज को अगले साल के लिए सुरक्षित रख लीजिये।और भी बहुत है लेकिन फ़िलहाल के लिए इतना बहुत है।Edit 1 : आज फिर समय मिला है तो कुछ और पौधे और हर्ब्स की जानकारी जोड़ रहा हूँ।18. कैलेंडुला : अच्छे सुन्दर फूलो के साथ साथ कैलेंडुला बालो के लिए भी उपयोगी है। नर्सरी से आपको इसके तैयार पौधे मिल जाएंगे। ज्यादा लगाना चाहंते है तो बीज लाकर भी लगा सकते है।19. पार्सले : देखने में खूबसूरत होने के साथ साथ भोजन में इसके उपयोग के बारे में अलग से लिखने की आवश्यकता नहीं है। बीज से लगाया जाता है। बीज आपको किसी बड़े शॉप से मिल जाएगा।20. खस : देखने में बहुत खूबसूरत नहीं है लेकिन उपयोगी बहुत है एक गमले में लगाइये और हर साल गर्मियों में खस का असली शरबत बनाकर पीजिये। ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी है लगाने में। इसके पौधे आपको नर्सरी से मिल सकते है या स्लिप्स मंगवाकर आप अपने गमलो या बगीचे में लगा सकते है। लगाने का सही समय वैसे तो वर्षा है लेकिन आप जुलाई से मार्च तक कभी भी लगा सकते है।21.विलायती अजवाइन : ये पौधा सामान्यतया सजावटी पौधे के रूप में जाना जाता है। अजवाइन की खुशबु आने से इसे अजवाइन के नाम से ही जाना जाता है लेकिन यह अजवाइन नहीं है। इसकी पत्तियां मोटी गूदेदार होती है जिसके पकोड़े बहुत स्वादिष्ट होते है। पौधे बहुत आसानी से आपको नर्सरी में मिल जाएंगे। आपके अस्सपस्स कहीं है तो टहनी लाकर आप अपने यहाँ लगा दीजिये।22. पीली सरसों : सरसों से आप परिचित है अक्टूबर में लगाइये 2 - 3 बार सरसो का साग खाइये और उसके बाद दाने अचार बनाने में इस्तेमाल कीजिये। जब पिले फूलों की बहार आती है नजारा देखनेवाला होता है। बीज आसानी से मिल जाता है आप एक बार मंगवा लीजिये बाकि 1 -2 पौधों के बीज आप वापस तैयार कर लीजिये बार बार मंगवाने की जरुरत नहीं है।23. सुरन : सुरन या जमीकंद एक सब्जी है जो कंद है। पौधा भी सुन्दर होता है और सब्जी भी बन जाती है। चौड़े और बड़े गमले में लगाइये। बाजार से छोटे आकर का सुरन लाइए और लगा दीजिये। बड़ा है तो आँख वाला सुरन का टुकड़ा भी लगा सकते है।24. पान : पान के औषधीय उपयोग तो हे ही बेल भी खूबसूरत होती है और छायादार स्थान में भी लग जाता है। ट्राई करने में कोई बुराई नहीं है मिल जाए तो जरूर। शुभ तो हे ही। ये थोड़ा मुश्किल काम है। ज्यादातर पैन उगाने वाले बेल देते नहीं है तो आपको ये किसान या अपने निजी स्त्रोतों से ही इंतजाम करना होगा जहाँ पान की खेती होती है।25. अडूसा : खांसी की दवाओं में उपयोगी है। खांसी जुखाम में इसकी पट्टी का काढ़ा बनाकर पिया जा सकता है। एक आध पौधा लगा रहे तो कोई बुराई नहीं है। पत्तियां खूबसूरत दिखती है अपने गहरे हरे रंग में। बीज से लगता है जिन्हे एक बार मंगवाकर आपको लगाना है। या किसी औषधीय पौधों की नर्सरी से इसे सीधे प्राप्त किया जा सकता है।26. जिरेनियम : खूबसूरती के लिए जरूर लगाइये। पौधे आपको अपने पास की नर्सरी से मिल जाएंगे27. पीपली : भूख बढ़ाने में आयुर्वेद में हमेशा उपयोग होता आया है। मसलो में भी उपयोग की जाती है। लता देखने में बहुत खूबसूरत लगती है खास तौर पर तब जब उसमे फल लगे हो। जब कभी दक्षिण भारत में घूमने जाइये पौधा ले आइये।28. रोजमेरी : अगर आके यहाँ मौसम के अनुकूल है तो जरूर लगाइये और उपयोग अपनी किचन में कीजिये। ताजा रोजमेरी की बात ही कुछ और है। लखनऊ/पालमपुर में इसके पौधे मिल जाएंगे तो वहां के लोग इसे आसानी से लाकर लगा सकते है।29. दमश्क गुलाब : ठन्डे इलाके में है तो जरूर लगाइये। असली गुलाब की खुशबु के लिए। गुलाब का तेल किस्म से बनता है। शरबत बनाकर पिने पर रूह अफ्जा भूल जाएंगे। (ओनर्स प्राइड) नर्सरी से बहुत आसानी से मिल जाता है।30. सतावर : घर में जरूर लगाइये बेल खूबसूरत होने के साथ साथ शक्तिवर्धक औषधि भी आपको घर में ही उपलब्ध करा देगी। बीज मिले तो उससे भी लगा सकते है बाकि नर्सरी में इसके पौधे बहुतायत से उपलब्ध है।एडिट 2 : समय अभाव की वजह से पूरा उत्तर एक बार में नहीं लिख पा रहा हूं।31. सब्जा : खुशबूदार सदाबहार पौधा देखने में तो अच्छा लगता है फूलों का उपयोग पूजा में कीजिए बीज फलूदे में डालिए। बीज से लगता है जो आसानी से आपको मिल सकता है। जहाँ लगा देखें सूखा फूल ले आइये मसल कर बीजो को अलग कीजिये और ऊगा दीजिये। समय वही जुलाई अगस्त।32. चिया बीज : सुपर फूड के नाम से आप अच्छे से परिचित है। भारत में इसका आगमन ज्यादा पुराना नहीं है। बारिश में भी लगता है और सर्दी में भी बस पाला नहीं पड़ना चाहिए। नीले फूलो की जब मंजरी आती है बहुत खूबसूरत दिखता है। इसको दो बार में लगा सकते है उत्तर भारत में आप इसे जून - जुलाई में लगाइये। बीज से एक बार लगा दीजिये बाद में बीज आप सर साल बचा कर रख सकते है।33. गूगल : वहीं जिसका रेजिन आप हवन में इस्तेमाल करते है। कहते है गूगल का पौधा घर में होने से दुष्ट शक्तियां दूर रहती है। रखरखाव से रहित पौधा है। सबसे अच्छी बात इसकी बोनसाई बहुत बढ़िया बनती है। जो लोग बोनसाई रखना चाहते है इसे जरूर लगाएं। या तो पौधा लाकर लगा लीजिये या कहीं से इसकी टहनी मंगवाकर लगा दीजिये धीरे धीरे पौधा बन जायेगा।एडिट 3 : कुछ और दोस्त जो आपके यहाँ होने चाहिए।34. पत्थरचट्टा : नाम से आप परिचित होंगे और विज्ञानं में आपने पढ़ा होगा ये पौधा इसके पत्ती से भी उग जाता है। खूबसूरत सदाबहार पौधा आप लगा सकते है और आसानी से नर्सरी से मिल भी जाता है। पथरी में इसकी पत्तियों का रस उपयोग किया जाता है।35. चमेली : खुशबूदार चमेली की लता से आप परिचित है सफ़ेद फूल बहुत अच्छी खुशबु बिखेरते है इसके अलावा दरवाजे पर गोलाई में लगी बेल एक खूबसूरत नजारा भी देती है। मुँह में छले हो जाये तो कुछ पत्तियां चबा लीजिये जरूर राहत मिलेगी।36. अकरकरा : सर्दी में लगने वाला पौधा है फूल दांत में दर्द हो तो दांत के निचे दबा दीजिये रहत मिलेगी। थोड़ा थोड़ा माउथ फ्रेशनर की तरह उपयोग कीजिये मुँह में लगने वाली सनसनी आपको बहुत मजा देगी। तम्बाकू खाने वालो को तम्बाकू छुड़वा सकती है।37. पारिजात : जगह थोड़ी ज्यादा है तो पारिजात को आपको नहीं भूलना चाहिए। खूबसूरत फूलो के साथ साथ पवित्र वृक्ष भी माना जाता है। औषधीय उपयोग भी बहुत है और सूखे फूल बेचकर पैसा भी कमाया जा सकता है।38. डयोस्कोरा (जैन आलू) : आलू नहीं खाने वाले जैन लोगो को ये पौधा अपने यहाँ जरूर लगाना चाहिए। इसके कंद बेल पर लगते है जिनका स्वाद आलू जैसा होता है सब्जी बनाकर खाइये। औषधीय गुण भी है इसमें। बारिश में लगाया जाता है खुली जमीं में लगाइये तो एक बार लगाने के बाद आपको इसे बार बार नहीं लगाना होता है। जैसे ही मानसून होगा ये अपने आप अपने भूमिगत कंद से उग जाता है बाकि पान के पत्तो जैसी बेल खूबसूरत दिखती है और ऊपर लगने वाले कंद आप बेल सूखने पर निकाल कर रख सकते है।उत्तर को ध्यान से पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्।बीज कहां से उपलब्ध होंगे या पौधे कहां से ले की जानकारी आप कॉमेंट करके प्राप्त कर सकते है।सभी चित्रों के अधिकार उनके मालिकों के पास सुरक्षित है।PS :उत्तर को बहुत पसंद किया गया। बहुत से पाठको ने कमेंट करके अपनी जिज्ञासा रखी जिसमे मुख्य रूप से पौधे या बीज कहाँ से प्राप्त होंगे तथा लगाने का समय और विधि क्या होगा। उत्तर में मैंने अभी प्रत्येक पौधे के साथ वो कैसे और कब लगेगा उसकी जानकारी दी है। प्रयास अच्छा लगे तो शेयर कीजिये।

बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संस्था संगरिया की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबहिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 20 सितंबर 2021, सोमवार ( Pitru Paksha 2021 Start Date) को आरंभ होंगे जिसका समापन 6 अक्टूबर 2021, बुधवार को होगा।श्राद्ध पक्ष में मान्यता है कि इस दौरान पितृ कौवों के रूप में आपके यहां आते हैं और श्राद्ध का भोजन करके तृप्त होते हैं। आओ जानते हैं इसका रहस्य।1. शास्त्रों में कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है। श्राद्ध में कौए या कौवे को छत पर जाकर अन्न जल देना बहुत ही पुण्य का कार्य है।2. माना जाता है कि हमारे पितृ कौए के रूप में आकर श्राद्ध का अन्न ग्रहण करते हैं। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है।3. शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।4. कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। आश्रय स्थल अर्थात कई पुण्यात्मा कौवे के रूप में जन्म लेकर उचित समय और गर्भ का इंतजार करती हैं। यह भी कहा जाता है कि जब प्राण निकल जाता हैं तो सबसे पहले आत्मा कौवे का रूप ही धारण करती है।5. कहते हैं कि कौआ यमराज का प्रतीक माना जाता है। यमलोक में ही हमारे पितर रहते हैं।6. कहते हैं कि यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर ले तो समझो आपके पितर आपसे प्रसन्न और तृप्त हैं और यदि नहीं करें तो समझो कि आपके पितर आपसे नाराज और अतृप्त हैं।7. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कौओं को देवपुत्र भी माना गया है।8. कहते हैं कि एक बार एक कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी, जिससे उनको पैर में घाव हो गया था। यह देखकर श्रीराम ने अपने बाण से उस कौवे की आंख फोड़ दी थी। बाद में कौवे को पछतावा हुआ तो श्रीराम ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुमको खिलाया हुए भोजन से पितृ तृप्त होंगे। यह कौवा और कोई नहीं देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौवों को भोजन खिलाने का महत्व बढ़ गया।9. कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।10. कौए को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।11. पुराणों की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने अमृत का स्वाद चख लिया था इसलिए मान्यता के अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती है।12. जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है।13. कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है।14. कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं।15. कौआ बगैर थके मीलों उड़ सकता है।16. सफेद कौआ भी होता है लेकिन वह बहुत ही दुर्लभ है।

बाल वनिता महिला आश्रम संस्था संगरिया की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबहिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 20 सितंबर 2021, सोमवार ( Pitru Paksha 2021 Start Date) को आरंभ होंगे जिसका समापन 6 अक्टूबर 2021, बुधवार को होगा।श्राद्ध पक्ष में मान्यता है कि इस दौरान पितृ कौवों के रूप में आपके यहां आते हैं और श्राद्ध का भोजन करके तृप्त होते हैं। आओ जानते हैं इसका रहस्य।1. शास्त्रों में कौए एवं पीपल को पितृ प्रतीक माना जाता है। इन दिनों कौए को खाना खिलाकर एवं पीपल को पानी पिलाकर पितरों को तृप्त किया जाता है। श्राद्ध में कौए या कौवे को छत पर जाकर अन्न जल देना बहुत ही पुण्य का कार्य है।2. माना जाता है कि हमारे पितृ कौए के रूप में आकर श्राद्ध का अन्न ग्रहण करते हैं। इस पक्ष में कौओं को भोजन कराना अर्थात अपने पितरों को भोजन कराना माना गया है।3. शास्त्रों के अनुसार कोई भी क्षमतावान आत्मा कौए के शरीर में स्थित होकर विचरण कर सकती है।4. कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है। आश्रय स्थल अर्थात कई पुण्यात्मा कौवे के रूप में जन्म लेकर उचित समय और गर्भ का इंतजार करती हैं। यह भी कहा जाता है कि जब प्राण निकल जाता हैं तो सबसे पहले आत्मा कौवे का रूप ही धारण करती है।5. कहते हैं कि कौआ यमराज का प्रतीक माना जाता है। यमलोक में ही हमारे पितर रहते हैं।6. कहते हैं कि यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर ले तो समझो आपके पितर आपसे प्रसन्न और तृप्त हैं और यदि नहीं करें तो समझो कि आपके पितर आपसे नाराज और अतृप्त हैं।7. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कौओं को देवपुत्र भी माना गया है।8. कहते हैं कि एक बार एक कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी, जिससे उनको पैर में घाव हो गया था। यह देखकर श्रीराम ने अपने बाण से उस कौवे की आंख फोड़ दी थी। बाद में कौवे को पछतावा हुआ तो श्रीराम ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि तुमको खिलाया हुए भोजन से पितृ तृप्त होंगे। यह कौवा और कोई नहीं देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौवों को भोजन खिलाने का महत्व बढ़ गया।9. कौए को भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।10. कौए को भोजन कराने से सभी तरह का पितृ और कालसर्प दोष दूर हो जाता है।11. पुराणों की एक कथा के अनुसार इस पक्षी ने अमृत का स्वाद चख लिया था इसलिए मान्यता के अनुसार इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती है।12. जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है।13. कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है।14. कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं।15. कौआ बगैर थके मीलों उड़ सकता है।16. सफेद कौआ भी होता है लेकिन वह बहुत ही दुर्लभ है।

जब कोई साँप किसी को काट देता है तो इसे सर्पदंश या 'साँप का काटना' (snakebite) कहते हैं। साँप के काटने से घाव हो सकता है बाल वनिता महिला आश्रम संस्था संगरिया की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबऔर कभी-कभी विषाक्तता (envenomation) भी हो जाती है जिससे मृत्यु तक सम्भव है। अब यह ज्ञात है कि अधिकांश सर्प विषहीन होते हैं किन्तु अन्टार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में जहरीले साँप पाये जाते हैं। साँप प्राय: अपने शिकार को मारने के लिये काटते हैं किन्तु इसका उपयोग आत्मरक्षा के लिये भी करते हैं।सर्पदंश के प्रमुख लक्षणविषैले जंतुओं के दंश में सर्पदंश सबसे अधिक भंयकर होता है। इसके दंश से कुछ ही मिनटों में मृत्यु तक हो सकती है। कुछ साँप विषैले नहीं होते और कुछ विषैले होते हैं। समुद्री साँप साधारणतया विषैले होते हैं, पर वे शीघ्र काटते नहीं। विषैले सर्प भी कई प्रकार के होते हैं। विषैले साँपों में नाग (कोबरा), काला नाग, नागराज (किंग कोबरा), करैत, कोरल वाइपर, रसेल वाइपर, ऐडर, डिस फालिडस, मॉवा (Dandraspis), वाइटिस गैवौनिका, रैटल स्नेक, क्राटेलस हॉरिडस आदि हैं। विषैले साँपों के विष एक से नहीं होते। कुछ विष तंत्रिकातंत्र को आक्रांत करते हैं, कुछ रुधिर को और कुछ तंत्रिकातंत्र और रुधिर दोनों को आक्रांत करते हैं।भिन्न-भिन्न साँपों के शल्क भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं। इनके शल्कों से विषैले और विषहीन साँपों की कुछ सीमा तक पहचान हो सकती है। विषैले साँप के सिर पर के शल्क छोटे होते हैं और उदर के शल्क उदरप्रदेश के एक भाग में पूर्ण रूप से फैले रहते हैं। इनके सिर के बगल में एक गड्ढा होता है। ऊपरी होंठ के किनारे से सटा हुआ तीसरा शल्क नासा और आँख के शल्कों से मिलता है। पीठ के शल्क अन्य शल्कों से बड़े होते हैं। माथे के कुछ शल्क बड़े तथा अन्य छोटे होते हैं। विषहीन सांपों की पीठ और पेट के शल्क समान विस्तार के होते हैं। पेट के शल्क एक भाग से दूसरे भाग तक स्पर्श नहीं करते। साँपों के दाँतों में विष नहीं होता। ऊपर के छेदक दाँतों के बीच विषग्रंथि होती है। ये दाँत कुछ मुड़े होते हैं। काटते समय जब ये दाँत धंस जाते हैं तब उनके निकालने के प्रयास में साँप अपनी गर्दन ऊपर उठाकर झटके से खीचता है। उसी समय विषग्रंथि के संकुचित होने से विष निकलकर आक्रांत स्थान पर पहुँच जाता है।सर्पदंश के लक्षण संपादित करेंकुछ साँपों के काटने के स्थान पर दाँतों के निशान काफी हल्के होते हैं, पर शोथ के कारण स्थान ढंक जाता है। दंश स्थान पर तीव्र जलन, तंद्रालुता, अवसाद, मिचली, वमन, अनैच्छिक मल-मूत्र-त्याग, अंगघात, पलकों का गिरना, किसी वस्तु का एक स्थान पर दो दिखलाई देना तथा पुतलियों का विस्फारित होना प्रधान लक्षण हैं। अंतिम अवस्था में चेतनाहीनता तथा मांसपेशियों में ऐंठन शुरु हो जाती है और श्वसन क्रिया रुक जाने से मृत्यु हो जाती है। विष का प्रभाव तंत्रिकातंत्र और श्वासकेंद्र पर विशेष रूप से पड़ता है। कुछ साँपों के काटने पर दंशस्थान पर तीव्र पीड़ा उत्पन्न होकर चारों तरफ फैलती है। स्थानिक शोथ, दंशस्थान का काला पड़ जाना, स्थानिक रक्तस्त्राव, मिचली, वमन, दुर्बलता, हाथ पैरों में झनझनाहट, चक्कर आना, पसीना छूटना, दम घुटना आदि अन्य लक्षण हैं। विष के फैलने से थूक या मूत्र में रुधिर का आना तथा सारे शरीर में जलन और खुजलाहट हो सकती है। आंशिक दंश या दंश के पश्चात् तुरंत उपचार होने से व्यक्ति मृत्यु से बच सकता है।वनिता कासनियां पंजाबनिरोधक उपाय संपादित करेंकुएँ या गड्ढे में अनजाने में हाथ न डालना, बरसात में अँधेरे में नंगे पाँव न घूमना और जूते को झाड़कर पहनना चाहिए।उपचार संपादित करेंसर्पदंश का प्राथमिक उपचार शीघ्र से शीध्र करना चाहिए। दंशस्थान के कुछ ऊपर और नीचे रस्सी, रबर या कपड़े से बाँध देना चाहिए लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि धमनी का रुधिर प्रवाह धीरे हो जाये लेकिन रुके नहीं। काटे गये स्थान पर किसी चीज़ द्वारा कस कर बांधे जाने पर उस स्थान पर खुून का संचार रुक सकता है जिससे वहाँ के ऊतकाे काे रक्त मिलना बन्द हाे जायेगा, जिससे ऊतकाें काे क्षति पहुँच सकती है। किसी जहरीले साँप के काटे जाने पर संयम रखना चाहिये ताकि ह्रदय गति तेज न हाे। साँप के काटे जाने पर जहर सीधे खून में पहुँच कर रक्त कणिकाआे काे नष्ट करना प्रारम्भ कर देते है, ह्रदय गति तेज हाेने पर जहर तुरन्त ही रक्त के माध्यम से ह्रदय में पहुँच कर उसे नुक़सान पहुँचा सकता है। काटे जाने के बाद तुरन्त बाद काटे गये स्थान काे पानी से धाेते रहना चाहिये। यदि घाव में साँप के दाँत रह गए हों, तो उन्हें चिमटी से पकड़कर निकाल लेना चाहिए। प्रथम उपचार के बाद व्यक्ति को शीघ्र निकटतम अस्पताल या चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। वहाँ प्रतिदंश विष (antivenom) की सूई देनी चाहिए। दंशस्थान को पूरा विश्राम देना चाहिए। किसी दशा में भी गरम सेंक नहीं करना चाहिए। बर्फ का उपयोग कर सकते हैं। ठंडे पदार्थो का सेवन किया जा सकता है। घबराहट दूर करने के लिए रोगी को अवसादक औषधियाँ दी जा सकती हैं। श्वासावरोध में कृत्रिम श्वसन का सहारा लिया जा सकता है। चाय, काफी तथा दूध का सेवन कराया जा सकता है, पर भूलकर भी मद्य का सेवन नहीं कराना। अतः साँप के काटे जाने पर बिना घबराये तुरन्त ही नजदीकी प्रतिविष केन्द्र में जाना चाहिये।हम इससे बच सकते हैं।