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दुकानदारों का मानना है कि टमाटर दूरदराज के इलाकों से आ रहा है इसलिए सब्जी मंडी में उसके भाव में अचानक बढ़ोतरी हुई है. भीषण गर्मी पड़ने की वजह से भी टमाटर की फसल खराब हुई है. यह भी टमाटर के बढ़ते दामों की एक मुख्य वजह है.भारत: देश में लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच सब्जियों के दाम भी बढ़ने लगे हैं. इसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ रहा है. सब्जियों में महंगाई का सबसे ज्यादा असर टमाटर के दामों पर पड़ा (Tomato Price Hike In Nuh) है. सब्जी मंडी में 1 हफ्ते पहले जो टमाटर 60-70 रुपए प्रति किलो की दर से मिल रहा था. वहीं अब बढ़कर 100 रुपए प्रति किलो हो गया है. टमाटर का रंग वैसे ही लाल है, लेकिन इसके बढ़े दामों की वजह से इसका रंग और भी ज्यादा लाल हो गया है. टमाटर अब गरीब की रसोई से बढ़ते भावों के चलते गायब होने लगा है.सब्जी में #जायका बनाने के लिए टमाटर अति महत्वपूर्ण है. बिना टमाटर कोई भी सब्जी बनाना मुश्किल है. #दुकानदारों से लेकर खरीददार तक मानते हैं कि टमाटर के बढ़ते भाव आम आदमी की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. सरकार ने जो अच्छे दिन लाने का वायदा किया था, उस पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है. सब्जी विक्रेता ने बताया कि टमाटर 100 रुपए प्रति किलो बिक रहा (Vegetables Price Hike In Nuh) है.#टमाटर के दाम छू रहे आसमान #रसोई का बिगड़ा बजटइसके अलावा अन्य सब्जियों के दामों की बात करें तो #नींबू 80 रुपए प्रति किलो, #तोरी 40 रुपए, बैंगन 40 प्रति किलो, भिंडी 40 किलो, लौकी 30 प्रति किलो, लहसुन 80 प्रति किलो, आलू 40 किलो, मिर्च 60 रुपए किलो, आमी 40 प्रति किलो, #पालक 40 किलो के अलावा अन्य सब्जी के दाम भी बरसात न होने के कारण बढ़े (Vegetables Price #हरियाणा #पंजाब) हैं. दुकानदारों का मानना है कि टमाटर दूरदराज के इलाकों से आ रहा है, इसलिए सब्जी मंडी में उसके भाव में अचानक बढ़ोतरी हुई है.

पेशाब में चिपचिपा पानी निकलना हमेशा के लिए बंद करें ? By वनिता कासनियां पंजाब-पेशाब में चिपचिपा पानी निकलना हमेशा के लिए बंद करेंपुरुषों की एक बेहद आम समस्या है पेशाब करने के बाद में चिपचिपा पानी निकलना और इस समस्या से पुरुष बहुत परेशान है हजारों की दवाइयां करवा चुके हैं फिर भी इसमें कोई आराम नहीं मिलता जब तक दवाई खाते हैं तब तक यह पानी बंद रहता है लेकिन दवाई खाना बंद करते ही दोबारा से पेशाब के साथ पानी निकलने की शिकायत शुरू हो जाती है कई कई पुरुषों में यह समस्या 50 साल की उम्र तक चलती ही रहती है और कई पुरुषों को लगता है कि इससे उनको कमजोरी भी आती है जबकि इसका ज्यादा मात्रा में निकलने पर ही किसी प्रकार की कमजोरी आ सकती है यदि थोड़ी बहुत मात्रा में किसी से फोन पर बात करते समय या कोई मूवी देखते समय यदि आपका थोड़ा बहुत निकलता है तो यह एक सामान्य बात है सबके साथ यह होता है लेकिन यदि दिन भर यह निकलता रहे या जितनी बार आप पेशाब जाते समय निकले तो यह बीमारी हो सकती है और इससे आपको कमजोरी भी महसूस हो सकती है और इसका जो मुख्य कारण है वह सिर्फ एक है आप ज्यादा विचार करते हैं या किसी से दिन भर आप बात करते रहेंगे या जोश दिलाने वाली मूवी देखते रहेंगे तो आपको यह निश्चित तौर पर बीमारी हो जाएगी इसका मात्र यही कारण है आपकी गलतियां और इसको ठीक करने के लिए सबसे पहले आपको मानसिक चिंतन पूरी तरीके से बंद करना होगा हल्का खाना खाना होगा थोड़ा सा शारीरिक श्रम भी करना होगा इसके अलावा एक चम्मच भिंडी पाउडर दूध के साथ एक चम्मच मिश्री मिलाकर के रात को सोते समय 40 दिन तक लगातार सेवन करना होगा इसके सेवन से चिपचिपा पानी तुरंत बंद हो जाता हे इसको घर में बनाने की विधि का वीडियो की लिंक मेने निचे डिस्क्रिप्शन में दि हे उसको देख कर भिंडी पाउडर बना ले और बगैर नागा ४० दिन उपयोग करे ......

स्वास्थ्य से संबंधित कुछ विशेष जानकारियां..* By वनिता कासनियां पंजाब? 1- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।2- कुल 13 अधारणीय वेग हैं3-160 रोग केवल मांसाहार से होते है4- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।5- 80 रोग चाय पीने से होते हैं।6- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।7- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।8- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।9- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है।10- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।11- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।12- बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।13- दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।14- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।15- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।16- टाई बांधने से आँखों और मस्तिष्क हो हानि पहुँचती है।17- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।18- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है।19- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।20- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।21- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।22- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।23- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।24- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।25- मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।26- अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।27- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी,सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औषधियां हैं।28- भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।29- अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।30- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।31- जल सदैव ताजा(चापाकल, कुएंआदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।32- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।33- चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए।34- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।35- भोजन पकने के 48 मिनट केअन्दर खा लेना चाहिए। उसके पश्चात् उसकी पोषकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।। 36- मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोषकता 100%, कांसे के बर्तन में 97%, पीतल के बर्तन में 93%, अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।37- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए।38- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मैदा (बिस्कुट, ब्रेड , समोसा आदि) कभी भी नहीं खिलाना चाहिए।39- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।40- जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।41- सरसों, तिल,मूंगफली , सुरजमुखी या नारियल का कच्ची घानी का तेल और देशी घी ही खाना चाहिए है। रिफाइंड तेल औरवनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।42- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।43- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।44- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है। हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है।45- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।46- कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।47-बर्तन मिटटी के ही प्रयोग करने चाहिए।48- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिए 49- यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़ें और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है।50- निरोग रहने के लिए अच्छी नींद..आदरणीय बंधुओं एवं बहनों, सादर नमस्कार। शरीर में रोगों का कारण मुख्य रूप से कब्ज होता है ।इसी से बचने के लिए आपको भोजन में 70% सलाद 30% अन्न लेना चाहिए । बड़ी आंत की सफाई के लिए आपको एनिमा की क्रिया सीखनी चाहिए जिससे बड़ी आत में जमा कचरा निकल जाता है ,और आप अपने आप को हल्का महसूस करते हैं ।यह क्रिया आपको 15 दिन में एक बार कर लेनी चाहिए ।पेट में जब भी बदबूदार गैस निकले, अपच,माइग्रेन की प्रॉब्लम हो तब इसे अवश्य करना चाहिए। सादर आभार। धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद

वास्तु

बवासीर को जड़ से खत्म करते हैं ये 6 आयुर्वेदिक उपचार|

अपनी कार के लिए अधिकतम मूल्य कैसे प्राप्त करें

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चिरमी क्या होती है?

काउंसलिंग के दौरान अक्सर प्रेमिकाएं/पत्नियां एक बात कहती पाई जातीं हैं कि By Vnita kasnia Punjab ?‘ उसने मुझे तब छोड़ा जब मुझे उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। मैंने उसे इतना प्यार किया,उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?’गौतम बुद्ध ने तब गृह त्याग किया जब उनकी पत्नी यशोधरा नवजात शिशु की मां थी।राम ने सीता का त्याग तब किया जब सीता गर्भवती थी।सीता की अग्निपरीक्षा के कारण राम आज भी कटघरे में खड़े किए जाते हैं।कुंती ने जब सूर्य से कहा कि ‘आपके प्रेम का प्रताप मेरे गर्भ में पल रहा है’ तो सूर्य बादलों में छुप गए।कर्ण भी अपने पिता से सवाल पूछने के बजाय कुंती से ही पूछते हैं- ‘आपने मुझे जन्म देते ही गंगा में प्रवाहित कर दिया, फिर कैसी माता?’यह नहीं सोचा कि अगर उनके महान पिता सूर्य देवता उन्हें अपना नाम देते तो कोई भी कुंती कर्ण को कभी खुद से अलग नहीं करती।[1]महिलाएं कई बार शादी से पहले मां बन जाती हैं क्योंकि उनके विवाहित प्रेमी उन्हें झांसा देते हैं कि कुछ ही दिनों में उनका तलाक होने वाला है।ऐसे सवाल जब-जब उठते हैं,सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि क्या वाकई स्त्री की स्वायत्तता और अस्मिता तब तक निर्धारित नहीं होती जब तक उसे पुरुष का संरक्षण न मिले?शकुंतला की कहानी सबको मालूम है। राजा दुष्यंत ने उसे जंगल में देखा और उससे प्रेम विवाह किया। फिर शकुंतला गर्भवती हुई। इस बीच दुष्यंत राजधानी लौट गए।जब शकुंतला उनसे मिलने पहुंची तो राजा ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। कथा यह है कि ऐसा ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण हुआ।जो भी हो शकुंतला को परित्यक्ता की तरह रहना पड़ा।यही हाल सीता का भी हुआ। एक आम नागरिक के कहने पर राम ने लोकापवाद का हवाला देकर अपनी गर्भवती पत्नी सीता को वनवास दे दिया,जबकि इससे पहले वे उनकी अग्निपरीक्षा ले चुके थे।काफी समय बाद सीता ने अकेले दम पर पाले गए अपने पुत्रों को उनके पिता को सौंप दिया और स्वयं धरती में समा गईं।शकुंतलापुत्र भरत जब शेर के मुंह में हाथ डालकर उसके दांत गिन रहा था,तो दुष्यंत को लगा कि जरूर यह किसी राजवंश का उत्तराधिकारी है।उन्होंने भी शकुंतला से अपने पुत्र को यह कहकर ले लिया कि यह तो मेरा बेटा है, इसलिए राजमहल में रहेगा।शकुंतला ने पुत्र को तो सौंप दिया लेकिन उनके साथ स्वयं नहीं गई।यह एक स्वाभिमानी स्त्री का आत्मसम्मान था। वह उस पति को क्यों स्वीकार करे,जिसने उसे तब छोड़ दिया,जब उसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी?और बुद्ध तो सत्य, ज्ञान और शांति की खोज में निकले थे।क्या वे नहीं जानते थे कि अकेली औरतों की समाज में क्या दशा होती है?आज भी सवाल सिर्फ औरतों से पूछे जाते हैं। अकेली यशोधरा ने कैसे पाला होगा अपने बेटे राहुल को?[2]एक बच्चे को पालने में मां और बाप दोनों की भूमिका होती है।अगर बच्चे का बाप नहीं है तो कोई बात नहीं,लेकिन अगर है तो वह अनाथ की तरह क्यों जिए?एक बार यशोधरा बुद्ध के आश्रम में गईं और उनसे सवाल किया, ‘आप तो बुद्धत्व प्राप्ति के लिए निकल पड़े। मेरा क्या? मेरे बारे में सोचा?’ कहते हैं,बुद्ध के पास कोई उत्तर नहीं था,सिवाय मौन के। [3]खैर,राम और बुद्ध बहुत बड़े प्रयोजन के लिए धरा पर अवतरित हुए थे।उनकी जीवनसंगिनियों को अपने पतियों का लम्बे समय तक का सान्निध्य नसीब होना विधि के विधान में ही नहीं था।तत्कालीन समाज स्त्रियों की इस सहनशक्ति को शक्ति का पर्याय मानकर पूजता था।'लाज और शर्म स्त्री का गहना होता है',कहकर उसी को परिवार और समाज से सामंजस्य करना सिखाया जाता था।पुरुष को जीवन की दूसरी चुनौतियो से जूझने में नारियों के अधिकारों और इच्छाओं के सम्बन्ध में सोचने की फुर्सत ही नहीं मिलती थीऔर तो और जो स्त्रियाँ दबे स्वर में भी अपनी इच्छाएं व्यक्त करने का साहस कर लेतीं थीं उनको उनके परिवार की ही वरिष्ठ नारियाँ 'निर्लज्ज' की संज्ञा दे डालतीं थीं।यह उन स्त्रियों का प्रारब्ध कह लें या जीवन की विडम्बना।आज की स्थिति बदल रही है,हालांकि पूरी तरह बदली नहीं है।आज की नारी को पहले जैसी भीषण स्थिति से उबारने के लिए कानून,आर्थिक निर्भरता और समाज का सहारा मिल रहा है।प्राचीन समय में नारी न्याय के लिए अपने परिवार के सहयोग की राह तकती थी।उस समय सीता,यशोधरा और शकुन्तला की सहना ही नियति थी,आज के समय में जो प्रासंगिक नहीं रह गई है।आखिर नारी भी तो इंसान है।अब सीता को अपना राम खुद बनना है,यशोधरा को अपना बुद्धत्व स्वयं पाना है और शकुन्तला भी दुष्यन्त के निमन्त्रण की कृपा की मोहताज नहीं है।अब अन्याय किसी भी सूरत में सहनीय नहीं होना चाहिए।नारी को अपने शारीरिक,मानसिक,भावनात्मक और आध्यात्मिक मूल्यों को सहेजते हुए अब उसे "जियो और जीने दो" के सिद्धान्त पर चलना है।नारी का पुरूष प्रतियोगी नहीं सहयोगी है।इतिहास में नारी पर हुए अन्याय का बदला नारीवाद का झंडा लेकर नारी द्वारा पुरुष का मानासिक शोषण करते हुए समाज का रूप विकृत करके नहीं मिलेगा,अपितु उसकी सुख-दुख में सहचरी बनकर मिलेगा।नारी को यदि सम्मान पाना है तो समाज और परिवार के सदस्यों का सम्मान करके ही मिलेगा।नारी हो या पुरूष,उसको समझना चाहिए कि कर्त्तव्यों के वृक्ष पर ही अधिकारों के फल लगते हैं।तब स्त्रियों के सम्बन्ध में राम और बुद्ध भले ही मौन रह गए हों,परन्तु अब पुरुष को नारी की इच्छाओं और आवश्यकताओं का सम्मान करना चाहिए….…जिससे नारी भी अपने नारीसुलभ कोमल गुणों से घर परिवार व समाज को सुन्दर रूप देने में स्वाभाविक ही आगे आए।"सम्मान दो,सम्मान लो।" दोनों पर यह बात लागू होनी चाहिए।जोर जबरदस्ती और उपदेश से ज्यादा प्रेमपूर्ण उदाहरण हमेशा बेहतर परिणाम देते हैं।अस्वीकरण : मेरा उद्देश्य इस उत्तर में युग पुरूषों और अवतारों राम और बुद्ध का तिरस्कार करना नहीं है अपितु विधि के विधान के कारण जो परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई,उसके कारण जनमानस में उनके विरूद्ध जो रोष उत्पन्न होता है,उसको कम करना है।उन नारियों का स्वाभिमान अपनी जगह सही था और उन युग पुरूषों ने चूंकि मानवता का कल्याण करना था,उसके कारण उनकी पत्नियों को उनसे अलग होना पड़ा जबकि वे दोनों उनसे अत्यधिक प्रेम करते थे।राम और बुद्ध का उदाहरण गृहस्थ धर्म के लिए लेना कहीं से भी श्रेयस्कर नहीं है।आंशिक स्त्रोत:Google Image Result for https://assets.saatchiart.com/saatchi/955709/art/5601091/4670901-SHHNIBPT-6.jpgस्त्री के लिए क्यों मौन रह गए बुद्ध और राम?फुटनोट[1] http://.काउंसलिंग के दौरान अक्सर प्रेमिकाएं/पत्नियां एक बात कहती पाई जातीं हैं कि ‘उसने मुझे तब छोड़ा जब मुझे उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। मैंने उसे इतना प्यार किया,उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?’ पति या प्रेमी कब भगोड़े नहीं थे? गौतम बुद्ध तब भागे जब उनकी पत्नी यशोधरा नवजात शिशु की मां थी। राम ने सीता का त्याग तब किया जब सीता गर्भवती थी। कुंती ने जब सूर्य से कहा कि ‘आपके प्रेम का प्रताप मेरे गर्भ में पल रहा है’ तो सूर्य बादलों में छुप गए। फिर भी बुद्ध ‘भगवान’ कहलाए और राम ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ और तो और, कर्ण भी अपने बाप से सवाल पूछने के बजाय कुंती से ही पूछते हैं- ‘आपने मुझे जन्म देते ही गंगा में प्रवाहित कर दिया, फिर कैसी माता?’ यह नहीं सोचा कि अगर उनके महान पिता सूर्य देवता उन्हें अपना नाम देते तो कोई भी कुंती कर्ण को कभी खुद से अलग नहीं करती। [2] http://.नारीवाद का नारा लगाने वाली औरतें भी कभी-कभी पक्षपात करती दिखाई देती हैं।जब किसी स्त्री का स्वाभिमान और सम्मान खतरे में हो तो नारीवाद वाली ऐसी बुद्धिजीवी स्त्रियां भी उन पुरुषों के पक्ष में खड़ी पाई जाती हैं जिनका समाज में रुतबा है। पद्मश्री रीता गांगुली (गजल गायिका और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में संस्कृत नाटक के मंचन से संबद्ध) ने नाटक की पात्र से कहा- ‘अब तुम शकुंतला का रोल बखूबी कर सकती हो।’ उसने पूछा, ‘क्यों?’ उन्होंने कहा कि ‘अब तुम परिपक्व हुईं। पति ने तुम्हें छोड़ दिया। समाज ने नकार दिया। तुम अपने अस्तिस्व के लिए,अपनी पहचान के लिए लड़ रही हो।अब तुम्हारे स्वाभिमान पर आन पड़ी है।’ [3] http://.एक बच्चे को पालने में मां और बाप दोनों की भूमिका होती है। अगर बच्चे का बाप नहीं है तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर है तो वह अनाथ की तरह क्यों जिए? बुद्ध (ज्ञाता) कहलाने वाला पुरुष अपनी सोती हुई पत्नी और दूध पीते बच्चे को छोड़ कर किस ज्ञान की प्राप्ति के लिए निकला? एक बार यशोधरा बुद्ध के आश्रम में गईं और उनसे सवाल किया, ‘आप तो बुद्धत्व प्राप्ति के लिए निकल पड़े। मेरा क्या? मेरे बारे में सोचा?’ कहते हैं,बुद्ध के पास कोई उत्तर नहीं था,सिवाय मौन के।