संदेश

*🌿🥀🌿🥀🌿🥀🙏👌👌बुद्ध का एक शिष्य था। वह नया-नया दीक्षित हुआ था, उसने संन्यास लिया था। और बुद्ध को उसने कहा, मैं आज कहां भिक्षा मांगने जाऊं?उन्होंने कहा, मेरी एक श्राविका है, वहां चले जाना।वह वहां गया। वह जब भोजन करने को बैठा, तो बहुत हैरान हुआ, रास्ते में इसी भोजन का उसे खयाल आया था। यह भोजन उसे प्रिय था। पर उसने सोचा था कि कौन मुझे देगा? आज कौन मुझे मेरे प्रिय भोजन को देगा? वह कल तक राजकुमार था और जो उसे पसंद था, वह खाता था। लेकिन उस श्राविका के घर वही भोजन देख कर वह बहुत हैरान हो गया। सोचा, संयोग की बात है, वही आज बना होगा। जब वह भोजन कर रहा है, उसे अचानक खयाल आया, भोजन के बाद तो मैं विश्राम करता था रोज। लेकिन आज तो मैं भिखारी हूं। भोजन के बाद वापस जाना होगा। दोत्तीन मील का फासला फिर धूप में तय करना है।वह श्राविका पंखा करती थी, उसने कहा, भंते, अगर भोजन के बाद दो क्षण विश्राम कर लेंगे तो मुझ पर बहुत अनुग्रह होगा।भिक्षु फिर थोड़ा हैरान हुआ कि क्या मेरी बात किसी भांति पहुंच गई! फिर उसने सोचा, संयोग की ही बात होगी कि मैंने भी सोचा और उसने भी उसी वक्त पूछ लिया। चटाई डाल दी गई। वह विश्राम करने लेटा ही था कि उसे खयाल आया, आज न तो अपनी कोई शय्या है, न अपना कोई साया है; अपने पास कुछ भी नहीं।वह श्राविका जाती थी, लौट कर रुक गई, उसने कहा, भंते, शय्या भी किसी की नहीं है, साया भी किसी का नहीं है। चिंता न करें।अब संयोग मान लेना कठिन था। वह उठ कर बैठ गया। उसने कहा, मैं बहुत हैरान हूं! क्या मेरे भाव पढ़ लिए जाते हैं? वह श्राविका हंसने लगी। उसने कहा, बहुत दिन ध्यान का प्रयोग करने से चित्त शांत हो गया। दूसरे के भाव भी थोड़े-बहुत अनुभव में आ जाते हैं। वह एकदम उठ कर खड़ा हो गया। वह एकदम घबड़ा गया और कंपने लगा। उस श्राविका ने कहा, आप घबड़ाते क्यों हैं? कंपते क्यों हैं? क्या हो गया? विश्राम करिए। अभी तो लेटे ही थे।उसने कहा, मुझे जाने दें, आज्ञा दें। उसने आंखें नीचे झुका लीं और वह चोरों की तरह वहां से भागा।श्राविका ने कहा, क्या बात है? क्यों परेशान हैं?फिर उसने लौट कर भी नहीं देखा। उसने बुद्ध को जाकर कहा, उस द्वार पर अब कभी न जाऊंगा।बुद्ध ने कहा, क्या हो गया? भोजन ठीक नहीं था? सम्मान नहीं मिला? कोई भूल-चूक हुई?उसने कहा, भोजन भी मेरे लिए प्रीतिकर जो है, वही था। सम्मान भी बहुत मिला, प्रेम और आदर भी था। लेकिन वहां नहीं जाऊंगा। कृपा करें! वहां जाने की आज्ञा न दें।बुद्ध ने कहा, इतने घबड़ाए क्यों हो? इतने परेशान क्यों हो?उसने कहा, वह श्राविका दूसरे के विचार पढ़ लेती है। और जब मैं आज भोजन कर रहा था, उस सुंदर युवती को देख कर मेरे मन में तो विकार भी उठे थे। वे भी पढ़ लिए गए होंगे। मैं किस मुंह से वहां जाऊं? मैं तो आंखें नीची करके वहां से भागा हूं। वह मुझे भंते कह रही थी, मुझे भिक्षु कह रही थी, मुझे आदर दे रही थी। मेरे प्राण कंप गए। मेरे मन में क्या उठा? और उसने पढ़ लिया होगा। फिर भी मुझे भिक्षु और भंते कह कर आदर दे रही थी! उसने कहा, मुझे क्षमा करें। वहां मैं नहीं जाऊंगा।बुद्ध ने कहा, तुम्हें वहां जान कर भेजा है। यह तुम्हारी साधना का हिस्सा है। वहीं जाना पड़ेगा। रोज वहीं जाना पड़ेगा। जब तक मैं न कहूं या जब तक तुम आकर मुझसे न कहो कि अब मैं वहां जा सकता हूं, तब तक वहीं जाना पड़ेगा। जब तक तुम मुझसे आकर यह न कहो कि अब मैं रोज वहां जा सकता हूं, तब तक वहीं जाना पड़ेगा। वह तुम्हारी साधना का हिस्सा है।उसने कहा, लेकिन मैं कैसे जाऊंगा? किस मुंह को लेकर जाऊंगा? और कल अगर फिर वही विचार उठे तो मैं क्या करूंगा?बुद्ध ने कहा, तुम एक ही काम करना, एक छोटा सा काम करना, और कुछ मत करना, जो भी विचार उठे, उसे देखते हुए जाना। विकार उठे, उसे भी देखना। कोई भाव मन में आए, काम आए, क्रोध आए, कुछ भी आए, उसे देखना, और कुछ मत करना। तुम सचेत रहना भीतर। जैसे कोई अंधकारपूर्ण गृह में एक दीये को जला दे और उस घर की सब चीजें दिखाई पड़ने लगें, ऐसे ही तुम अपने भीतर अपने बोध को जगाए रखना कि तुम्हारे भीतर जो भी चले, वह दिखाई पड़े। वह स्पष्ट दिखाई पड़ता रहे। बस तुम ऐसे जाना।वह भिक्षु गया। उसे जाना पड़ा। भय था, पता नहीं क्या होगा? लेकिन वह अभय होकर लौटा। वह नाचता हुआ लौटा। कल डरा हुआ आया था, आज नाचता हुआ आया। कल आंखें नीचे झुकी थीं, आज आंखें आकाश को देखती थीं। आज उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ते थे, जब वह लौटा। और बुद्ध के चरणों में गिर पड़ा और उसने कहा कि धन्य! क्या हुआ यह? जब मैं सजग था, तो मैंने पाया वहां तो सन्नाटा है। जब मैं उसकी सीढ़ियां चढ़ा, तो मुझे अपनी श्वास भी मालूम पड़ रही थी कि भीतर जा रही है, बाहर जा रही है। मुझे हृदय की धड़कन भी सुनाई पड़ने लगी थी। इतना सन्नाटा था मेरे भीतर। कोई विचार सरकता तो मुझे दिखता। लेकिन कोई सरक नहीं रहा था। मैं एकदम शांत उसकी सीढ़ियां चढ़ा। मेरे पैर उठे तो मुझे मालूम था कि मैंने बायां पैर उठाया और दायां रखा। और मैं भीतर गया और मैं भोजन करने बैठा। यह जीवन में पहली दफा हुआ कि मैं भोजन कर रहा था तो मुझे कौर भी दिखाई पड़ता था। मेरा हाथ का कंपन भी मालूम होता था। श्वास का कंपन भी मुझे स्पर्श और अनुभव हो रहा था। और तब मैं बड़ा हैरान हो गया, मेरे भीतर कुछ भी नहीं था, वहां एकदम सन्नाटा था। वहां कोई विचार नहीं था, कोई विकार नहीं था।बुद्ध ने कहा, जो भीतर सचेत है, जो भीतर जागा हुआ है, जो भीतर होश में है, विकार उसके द्वार पर आने वैसे ही बंद हो जाते हैं, जैसे किसी घर में प्रकाश हो तो उस घर में चोर नहीं आते। जिस घर में प्रकाश हो तो उससे चोर दूर से ही निकल जाते हैं। वैसे ही जिसके मन में बोध हो, जागरण हो, अमूर्च्छा हो, अवेयरनेस हो, उस चित्त के द्वार पर विकार आने बंद हो जाते हैं। वे शून्य हो जाते है! By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 🙏🙏🌹 *संकलित**,

राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्री राम श्रीराम श्रीराम श्रीराम श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम 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*कुशल व्यवहार आपके* *जीवन का आईना है..* *इसका आप जितना* *अधिक इस्तेमाल करेंगे.* *आपकी चमक उतनी ही* *बढ़ जाएगी...!!* *🙏🌷सुप्रभात🌷🙏*,

*परेशानी आये तो ईमानदार रहें* *धन आ जाये तो सरल रहें* *अधिकार मिलने पर विनम्र रहें* *क्रोध आने पर शांत रहें**यही जीवन का प्रबंधन कहलाता है।* 🙏जय श्री कृष्णा🙏,

✍🏻♏*हर कोई चंदन तो नहीं कि* *जीवन “सुगन्धित” कर सके ...!* *कुछ नीम के पेड़ भी होते हैं ...!!* *जो सुगन्धित तो नहीं करते पर काम बहुत आते है ...!!!* 🌹🙏🏻जय श्री कृष्णा🌹

ज़िन्दगी चार दिन की हैजीने का हुनरकुछ ऐसा अपनायेजो हज़ारों से नफरत नहींलाखों से प्रेम करना सीखाये🙏🏻मंगल प्रभात🙏🏻

*अजीब खेल है उस परमात्मा का* *लिखता भी वही है* *मिटाता भी वही है**भटकाता है राह तो**दिखाता भी वही है* *उलझाता भी वही है* *सुलझाता भी वही है**जिंदगी की मुश्किल घड़ी में**दिखता भी नहीं मगर* *साथ देता भी वही हैं* By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

श्री राम चरित मानस में अयोध्या कांड 37. श्री राम जी का लक्ष्मण जी को समझाना एवं भरत जी की महिमा कहनासुनि सुर बचन लखन सकुचाने।राम सीयँ सादर सनमाने॥कही तात तुम्ह नीति सुहाई।सब तें कठिन राजमदु भाई॥3॥देववाणी सुनकर लक्ष्मणजी सकुचा गए। श्री रामचंद्रजी और सीताजी ने उनका आदर के साथ सम्मान किया (और कहा-) हे तात! तुमने बड़ी सुंदर नीति कही। हे भाई! राज्य का मद सबसे कठिन मद है॥3॥जो अचवँत नृप मातहिं तेई।नाहिन साधुसभा जेहिं सेई॥सुनहू लखन भल भरत सरीसा।बिधि प्रपंच महँ सुना न दीसा॥4॥जिन्होंने साधुओं की सभा का सेवन (सत्संग) नहीं किया, वे ही राजा राजमद रूपी मदिरा का आचमन करते ही (पीते ही) मतवाले हो जाते हैं। हे लक्ष्मण! सुनो, भरत सरीखा उत्तम पुरुष ब्रह्मा की सृष्टि में न तो कहीं सुना गया है, न देखा ही गया है॥4॥दोहा :भरतहि होइ न राजमदु बिधि हरि हर पद पाइ।कबहुँ कि काँजी सीकरनि छीरसिंधु बिनसाइ॥231॥(अयोध्या के राज्य की तो बात ही क्या है) ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का पद पाकर भी भरत को राज्य का मद नहीं होने का! क्या कभी काँजी की बूँदों से क्षीरसमुद्र नष्ट हो सकता (फट सकता) है?॥231॥चौपाई :तिमिरु तरुन तरनिहि मकु गलिई।गगनु मगन मकु मेघहिं मलिई॥गोपद जल बूड़हिं घटजोनी।सहज छमा बरु छाड़ै छोनी॥1॥अन्धकार चाहे तरुण (मध्याह्न के) सूर्य को निगल जाए। आकाश चाहे बादलों में समाकर मलि जाए। गो के खुर इतने जल में अगस्त्यजी डूब जाएँ और पृथ्वी चाहे अपनी स्वाभाविक क्षमा (सहनशीलता) को छोड़ दे॥1॥मसक फूँक मकु मेरु उड़ाई।होइ न नृपमदु भरतहि भाई॥लखन तुम्हार सपथ पितु आना।सुचि सुबंधु नहिं भरत समाना॥2॥मच्छर की फूँक से चाहे सुमेरु उड़ जाए, परन्तु हे भाई! भरत को राजमद कभी नहीं हो सकता। हे लक्ष्मण! मैं तुम्हारी शपथ और पिताजी की सौगंध खाकर कहता हूँ, भरत के समान पवित्र और उत्तम भाई संसार में नहीं है॥2॥सगुनु खीरु अवगुन जलु ताता।मलिइ रचइ परपंचु बिधाता॥भरतु हंस रबिबंस तड़ागा।जनमि कीन्ह गुन दोष बिभागा॥3॥हे तात! गुरु रूपी दूध और अवगुण रूपी जल को मलिाकर विधाता इस दृश्य प्रपंच (जगत्‌) को रचता है, परन्तु भरत ने सूर्यवंश रूपी तालाब में हंस रूप जन्म लेकर गुण और दोष का विभाग कर दिया (दोनों को अलग-अलग कर दिया)॥3॥गहि गुन पय तजि अवगुण बारी।निज जस जगत कीन्हि उजिआरी॥कहत भरत गुन सीलु सुभाऊ।पेम पयोधि मगन रघुराऊ॥4॥गुणरूपी दूध को ग्रहण कर और अवगुण रूपी जल को त्यागकर भरत ने अपने यश से जगत्‌ में उजियाला कर दिया है। भरतजी के गुण, शील और स्वभाव को कहते-कहते श्री रघुनाथजी प्रेमसमुद्र में मग्न हो गए॥4॥दोहा :सुनि रघुबर बानी बिबुध देखि भरत पर हेतु।सकल सराहत राम सो प्रभु को कृपानिकेतु॥232॥श्री रामचंद्रजी की वाणी सुनकर और भरतजी पर उनका प्रेम देखकर समस्त देवता उनकी सराहना करने लगे (और कहने लगे) कि श्री रामचंद्रजी के समान कृपा के धाम प्रभु और कौन है?॥232॥चौपाई :जौं न होत जग जनम भरत को।सकल धरम धुर धरनि धरत को॥कबि कुल अगम भरत गुन गाथा।को जानइ तुम्ह बिनु रघुनाथा॥1॥यदि जगत्‌ में भरत का जन्म न होता, तो पृथ्वी पर संपूर्ण धर्मों की धुरी को कौन धारण करता? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब हे रघुनाथजी! कविकुल के लिए अगम (उनकी कल्पना से अतीत) भरतजी के गुणों की कथा आपके सिवा और कौन जान सकता है?॥1॥श्री राम चरित मानसजय जय श्री सीता राम जी,

औरत को आईने में यूं.... उलझा दिया गया..... Vnita Kasnia Punjabबखान करके हुस्न का, बहला दिया गया..... ना हक दिया ज़मीन का, न घर कहीं दिया..... गृहस्वामिनी के नाम का, रुतबा दिया गया..... छूती रही जब पांव, परमेश्वर पति को कह..... फिर कैसे इनको घर की, गृहलक्ष्मी बना दिया..... चलती रहे चक्की और जलता रहे चूल्हा..... बस इसलिए औरत को, अन्नपूर्णा बना दिया..... .न बराबर का हक मिले, न चूँ ही कर सकें..... इसलिए इनको पूज्य देवी, दुर्गा बना दिया.... .यह डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक, भी हो गईं..... पर घर के चूल्हों ने उसे, औरत बना दिया..... चाँदी सोने की हथकड़ी, नकेल, बेड़ियां..... कंगन, पांजेब, नथनियां जेवर बना दिया.... व्यभिचारी आदमी, जब रोक ना सका अपनी लार...तब श्रृंगार, साज ,वस्त्र पर, तोहमत लगा दिया..... .खुद नंग धड़ंग आदमी, घूमता है रात दिन..... औरत की टांग क्या दिखी, नंगा बता दिया..... .नारी ने जो ललकारा.... इस दानव प्रवृत्ति को.... जिह्वा निकाल रक्त पिया, तो काली बना दिया..... .नौ माह खून सींच के, बचपन जवां किया.....पर.. बेटों को नाम बाप का... चिपका दिया गया.... .*🙏🏼,

मेरे कान्हा.🌷कभी आकर देख लो..मेरी आँखों मे भी,तेरी तस्वीर के आगे..कोई नजारा ही नहीं,खो गये है तेरे इश्क..मे हम इस कदर कि,तेरे नाम के बिना कही..गुजारा ही नहीं... Vnita kasnia👏👏👏,

॥ हमसे पर्दा करो ना मुरारी By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब॥वृन्दावन के बांके बिहारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी॥वृन्दावन के बांके बिहारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी॥हम तुम्हारे पराये नहीं हैं, गैर के दर पे आये नहीं हैं।हम तुम्हारे पुराने पुजारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी॥हरिदास के राज दुलारे, नन्द यशोदा के आखोँ के तारे।राधा के सावरे गिरिधारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी॥बंद कमरों में कब तक छुपोगे, लाख पर्दों में छुप न सकोगे।तुम हो ग्वाले तो हम हैं व्यापारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी॥ वृन्दावन के बांके बिहारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी॥वृन्दावन के बांके बिहारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।। जय श्री राधे कृष्णा ।। श्री राधे 🙏,

ਰਾਜਸਥਾਨ: 21 ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਨਾਗਰਿਕ ਚੋਣਾਂ ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਝੰਜੋੜਿਆ, ਦਿੱਗਜ਼ ਕਾਂਗਰਸੀਆਂ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਭਗਵਾਂ ਲਹਿਰਾਇਆ ਗਿਆਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਦੀਆਂ ਕੁੱਲ 636 ਸੀਟਾਂ ਲਈ ਚੋਣਾਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ ਅਤੇ ਭਾਜਪਾ 323 ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ 246 ਸੀਟਾਂ ਜਿੱਤੀਆਂ ਸਨ। ਪੰਚਾਇਤ ਸੰਮਤੀ ਚੋਣਾਂ ਲਈ ਹੁਣ ਤੱਕ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਤੋਂ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਕੰਵਲ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਪੰਜੇ ਉੱਤੇ ਡਿੱਗ ਰਿਹਾ ਹੈ।By Vnita Kasnia punjabਆਖਰੀ ਵਾਰ ਅਪਡੇਟ ਕੀਤਾ: 09 ਦਸੰਬਰ 2020 ਰਾਜਸਥਾਨ: 21 ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਨਾਗਰਿਕ ਚੋਣਾਂ ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਝੰਜੋੜਿਆ, ਦਿੱਗਜ਼ ਕਾਂਗਰਸੀਆਂ ਦੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਭਗਵਾਂ ਲਹਿਰਾਇਆ ਗਿਆਜੈਪੁਰ: ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ 21 ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਦੇ ਪੰਚਾਇਤ ਸੰਮਤੀ ਅਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਮੈਂਬਰਾਂ ਲਈ ਹੋਈਆਂ ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਨੂੰ ਸੱਤਾਧਾਰੀ ਕਾਂਗਰਸ ਨੂੰ ਵੱਡਾ ਝਟਕਾ ਲੱਗਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਚੋਣਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਨਿਰੰਤਰ ਆ ਰਹੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹੁਣ ਤੱਕ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੇ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਕੁੱਲ 14 ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਵਿੱਚ ਭਾਜਪਾ ਬੋਰਡ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਆ ਗਈ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਕਿ ਕਾਂਗਰਸ ਸਿਰਫ ਪੰਜ ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਵਿਚ ਬਣੀ ਦਿਖਾਈ ਦੇ ਰਹੀ ਹੈ।ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਦੀਆਂ ਕੁੱਲ 636 ਸੀਟਾਂ ਲਈ ਚੋਣਾਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ ਅਤੇ ਭਾਜਪਾ 323 ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ 246 ਸੀਟਾਂ ਜਿੱਤੀਆਂ ਸਨ। ਪੰਚਾਇਤ ਸੰਮਤੀ ਚੋਣਾਂ ਲਈ ਹੁਣ ਤੱਕ ਐਲਾਨੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਤੋਂ ਇਹ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਕੰਵਲ ਪੇਂਡੂ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਪੰਜੇ ਉੱਤੇ ਡਿੱਗ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਕੁੱਲ 4371 ਸੀਟਾਂ ਵਿਚੋਂ ਭਾਜਪਾ ਨੇ 1836 ਅਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਨੇ 1718 ਸੀਟਾਂ ਜਿੱਤੀਆਂ ਹਨ।ਭਾਰੀ ਤੂਫਾਨਨੇ ਲੁਤੀਆ ਕਾਂਗਰਸ ਦੀ ਗਹਿਲੋਤ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਕਾਂਗਰਸ ਮੰਤਰੀ ਰਘੂ ਸ਼ਰਮਾ, ਸੂਬਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੋਵਿੰਦ ਸਿੰਘ ਦੋਤਾਸਰਾ, ਸਾਬਕਾ ਡਿਪਟੀ ਸੀਐਮ ਸਚਿਨ ਪਾਇਲਟ, ਖੇਡ ਮੰਤਰੀ ਅਸ਼ੋਕ ਚੰਦਨਾ ਅਤੇ ਸੀਐਮ ਅਸ਼ੋਕ ਗਹਿਲੋਤ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਰਕਾਰ ਦੇ ਡਿਪਟੀ ਚੀਫ਼ ਵ੍ਹਿਪ ਮਹਿੰਦਰ ਚੌਧਰੀ ਨੂੰ ਆਪੋ ਆਪਣੇ ਹਲਕਿਆਂ ਵਿੱਚ ਡੁੱਬ ਦਿੱਤਾ। ਕਾਂਗਰਸ ਜਿੱਤ ਨਹੀਂ ਸਕੀ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਵਿਚ ਭਾਜਪਾ ਦਾ ਭਗਵਾਂ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਇਆ ਗਿਆ। ਸਦੂਲਪੁਰ ਤੋਂ ਵਿਧਾਇਕ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਪੂਨੀਆ ਦੀ ਸੱਸ ਅਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਦੀ ਦੇਵਰਾਨੀ ਆਪਣੇ ਹਲਕੇ ਤੋਂ ਪੰਚਾਇਤ ਸੰਮਤੀ ਚੋਣਾਂ ਹਾਰ ਗਏ ਹਨ।ਅਰਜਨ ਰਾਮ ਮੇਘਵਾਲ, ਜੋ ਮੋਦੀ ਸਰਕਾਰ ਵਿਚ ਮੰਤਰੀ ਹਨ, ਉਹ ਖੁਦ ਬੀਕਾਨੇਰ ਤੋਂ ਸੰਸਦ ਮੈਂਬਰ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਉਹ ਆਪਣੇ ਬੇਟੇ ਬੀਕਾਨੇਰ ਤੋਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪਰਿਸ਼ਦ ਮੈਂਬਰ ਦੀ ਚੋਣ ਹਾਰ ਗਏ ਹਨ। ਸਰਦਾਰਸ਼ਹਿਰ ਤੋਂ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਵਿਧਾਇਕ ਭੰਵਰ ਲਾਲ ਸ਼ਰਮਾ ਦੀ ਪਤਨੀ ਮਨੋਹਰੀ ਦੇਵੀ ਨੂੰ ਪੰਚਾਇਤ ਸੰਮਤੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਦੀ ਚੋਣ ਵਿੱਚ ਉਸਦੇ ਜੀਜਾ ਸ਼ਿਆਮ ਲਾਲ ਨੇ ਹਰਾਇਆ। ਰਾਜਸਥਾਨ ਵਿਚ ਉਪ-ਚੋਣਾਂ ਅਗਲੇ ਸਾਲ ਤਿੰਨ ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਸੀਟਾਂ 'ਤੇ ਹੋਣ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਕਾਂਗਰਸ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਅਤੇ ਪੰਚਾਇਤ ਚੋਣਾਂ ਦੀ ਹਾਰ ਇਸ ਦੀਆਂ ਮੁਸ਼ਕਲਾਂ ਨੂੰ ਵਧਾ ਸਕਦੀ ਹੈ।ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਂਗਰਸੀ ਮੰਤਰੀਆਂ ਦਾ ਸਦਮਾਜੈਸਲਮੇਰ, ਬੀਕਾਨੇਰ ਅਤੇ ਬਾੜਮੇਰ ਵਿੱਚ ਕਾਂਗਰਸ ਬੋਰਡ ਦਾ ਗਠਨ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਤੋਂ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ ਮੁਹੰਮਦ ਬੀ ਕਾਲੀ, ਭੰਵਰ ਸਿੰਘ ਭਾਟੀ ਅਤੇ ਅਰਜੁਨ ਲਾਲ ਬਾਮਾਨੀਆ ਦੀ ਇੱਜ਼ਤ ਬਚ ਗਈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕੁਰਸੀ ਕਮਜ਼ੋਰ ਸੀ। ਸ ਪਰ ਮੈਡੀਕਲ ਮੰਤਰੀ ਰਘੂ ਸ਼ਰਮਾ ਆਪਣੇ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਕਾਂਗਰਸ ਬੋਰਡ ਨਾ ਬਣਾ ਕੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਸਾਬਤ ਹੋਏ ਹਨ ਅਜਮੇਰ ਦੇ ਸਹਿਕਾਰੀ ਮੰਤਰੀ ਉਦੈ ਲਾਲ ਅੰਜਨਾ ਚਿਤੋਦ, ਖੇਡ ਮੰਤਰੀ ਅਸ਼ੋਕ ਚੰਦਨਾ ਬੂੰਦੀ, ਸਿੱਖਿਆ ਮੰਤਰੀ ਗੋਵਿੰਦ ਸਿੰਘ ਦੋਤਾਸਰਾ ਸੀਕਰ ਅਤੇ ਜੰਗਲਾਤ ਮੰਤਰੀ ਸੁਖ ਰਾਮ ਵਿਸ਼ਣੋਈ ਜਲੂਰ। ਬਾੜਮੇਰ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਦੇ ਨਤੀਜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਕਾਂਗਰਸ ਅਤੇ ਭਾਜਪਾ ਨੂੰ ਬਰਾਬਰ ਸੀਟਾਂ ਮਿਲੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਕਾਰਨ ਬਾੜਮੇਰ ਤੋਂ ਭਾਜਪਾ ਦੇ ਸੰਸਦ ਮੈਂਬਰ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰੀ ਮੰਤਰੀ ਕੈਲਾਸ਼ ਚੌਧਰੀ ਕਮਜ਼ੋਰ ਸਾਬਤ ਹੋਏ ਹਨ,

Winter Diet: शरीर को करना है अंदर से मजबूत तो सर्दियों में गोंद के लड्डू खाना बिल्कुल न भूलें, नोट करें RecipeBy *समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब* Last Modified: Wed, Dec 09 2020. 17:18 gond ladduWinter Special Diet: सर्दियों में खुद को हेल्दी रखने के लिए अक्सर भारतीय परिवारों में बड़े-बुर्जुग गोंद के लड्डू का सेवन करने की सलाह देते हैं। गोंद के लड्डू हल्दी होने के साथ-साथ पौष्टिक गुणों से भी भरपूर होते हैं। इन लड्डूओं का सेवन करने से सर्दियों में होने वाले हड्डियों और मसल्‍स के दर्द को दूर करनेमें मदद मिलती है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाए जाते हैं गोंद के लड्डू। गोंद के लड्डू बनाने के लिए सामग्री--200 ग्राम- आटा-1 कप- गाय का घी -1 कप- पिसी चीनी-1 कप- खाने का गोंद-50 ग्राम- कटे हुए काजू-50 ग्राम- कटे हुए बादाम50 ग्राम- तरबूज के बीजगोंद के लड्डू बनाने की विधि-गोंद के लड्डू बनाने के लिए सबसे पहले गैस पर एक कड़ाही गर्म करकें, उसमें घी डालकर गोंद को मध्यम आंच पर फ्राई कर लें। जब गोंद गोल्डन ब्राउन हो जाए तो गैंस बंद कर दें। गोंद को ठंडा करके उसे मिक्सी में पीसकर अलग रख लें। अब कड़ाही पर घी गर्म करके उसमें आटे को हल्का भूरा होने तक धीमी आंच पर भूनें। लेकिन ध्यान रखें की आटा जलना बिल्कुल नहीं चाहिए। इसके बाद आटे में गोंद, काजू, बादाम और तरबूज के बीज डालकर गैस बंद कर दें। फिर इस मिश्रण को कढ़ाई से बाहर निकालकर ठंडा होने के लिए रखें। अब आटा और गोंद के मिश्रण में पिसी चीनी को मिलाकर उसके गोल-गोल लड्डू बना लें।,

#प्रदेश में #महिला #सशक्तिकरण की दिशा में #ऐतिहासिक कदम आगे बढ़ाते हुए हमारी भाजपा सरकार ने आंगनबाड़ी #कार्यकर्ता तथा महिला मानदेय कर्मियों द्वारा सामूहिक बचत आधारित #बीमा #योजना के अन्तर्गत दिये जाने वाले अंश दान को समाप्त करते हुए, प्रीमियम की #शत-प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा वहन किए जाने का निर्णय लिया था। #Vnita #Kasnia #Punjabसाथ ही, #राज्य #सरकार के अंश दान को 1 करोड़ 45 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 #करोड़ रुपये कर दिया था। मुझे खुशी है कि इस #योजना से प्रदेश की करीब 2 लाख महिला #मानदेयकर्मी सीधी #लाभान्वित हो रही है।#WomenFirst #Anganwadi,

कोविड सेंटर में मरीज की मौत, मिले 10 संक्रमितBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबकोविड सेंटर में मरीज की मौत, मिले 10 संक्रमितPublish Date:Tue, 08 Dec 2020 03:29 AM धनबाद : एसएनएमएमसीएच के कोविड सेंटर में सोमवार को एक मरीज की मौत हो गई। तीन दिन पूर्व अधेड़ यहां भर्ती हुआ था। वहीं जिले में 10 नए संक्रमित मरीज मिले। एंटीजन रैपिड किट नहीं होने की वजह से जिले में सामूहिक जांच बाधित रही। हालांकि ट्रूनेट और आरटी पीसीआर में लगभग 400 लोगों की जांच की गई। आरटीपीसीआर से तीन, निजी जांच घर से तीन, ट्रूनेट से तीन व रैपिड से एक संक्रमित मिले हैं। देर रात तक संक्रमितों को कोविड अस्पताल भर्ती कराने की प्रक्रिया जारी थी। वहीं जिले के विभिन्न कोविड अस्पतालों से 15 लोग डिस्चार्ज किए गए। सभी 14-14 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन में रहेंगे। जिले में अब तक 7100 लोग संक्रमित हो चुके हैं।राज्यसभा के चेयरमैन ने किया सीएमई इंडिया के वेब पोर्टल का उद्घाटनवरिष्ठ फिजिशियनों के वेब पोर्टल सीएमई इंडिया का ऑनलाइन उद्घाटन सोमवार को राज्यसभा के चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह ने दिल्ली में की। वेब पोर्टल के संस्थापक धनबाद के डॉ. एनके सिंह ने बताया कि सीएमई इंडिया चिकित्सकों के लिए एक अनूठा वेब पोर्टल है। इसने इस कोरोना काल में वैज्ञानिक ज्ञान को अपडेट करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया है। मार्च 2020 के बाद से, सीएमई इंडिया वाट्सएप समूह ज्ञान साझा करने, वैज्ञानिक मामलों को लाइव सपोर्ट और चिकित्सकों को अपडेट करने में भारत में निर्णायक बन गए। इन चर्चाओं का इस्तेमाल राष्ट्रीय नीतियों को बनाने और ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल में संशोधन के लिए भी किया गया है।उन्होंने बताया कि सीएमई इंडिया का एक परीक्षण संस्करण 19 अगस्त 2020 को शुरू किया गया था। पिछले तीन महीनों में परीक्षण संस्करण के रूप में इसकी उपस्थिति को दुनिया भर के चिकित्सकों ने सराहा। इसके कुछ पोस्ट और लेख हजारों ने साझा किए गए हैं। अब इसका सभी दक्षिण एशियाई देशों के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, मध्य पूर्व, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड जैसे देशों में भी एक बड़ा दर्शक वर्ग है।मौके पर हरिवंश ने चिकित्सा विज्ञान के डिजिटल परिवर्तन की सराहना की। उद्घाटन में डॉ. बंशो साबू अहमदाबाद, डॉ. शशांक जोशी (मुंबई), डॉ. मीना छाबड़ा (दिल्ली), डॉ. आलोक (गोरखपुर) आदि शामिल हुए।,

आजकल लोग किसी भी चीज के बारे में जानने के लिए Google का सहारा लेते हैं। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब क्योंकि लोगों को भरोसा है कि गूगल पर उपलब्ध जानकारी 100 प्रतिशत सही है। लेकिन कई बार लोग जाने-अंजाने में कुछ ऐसी चीजें सर्च कर लेते हैं, जिसके बाद वह किसी बड़ी मुसीबत में फंस जाते हैं। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि गूगल पर किन चीजों को सर्च नहीं करना चाहिए। तो आपको इसका जवाब हमारी इस खबर में मिलेगा। आज हम आपको यहां कुछ चीजों के बारे में बताएंगे, जो आपको गूगल पर भूलकर भी सर्च नहीं करनी है। आइए जानते हैं... बम बनाने का प्रोसेसGoogle पर भूलकर भी बम बनाने का प्रोसेस या इससे जुड़ी किसी भी चीज को सर्च न करें। ऐसा करने से आपको जेल जाना पड़ सकता है। आपको बता दें कि जैसे ही आप इस तरह की चीज गूगल पर सर्च करेंगे, तो आपके कंप्यूटर या लैपटॉप का आईपी एड्रेस सीधा सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंच जाएगा। इसके बाद संभव है कि सुरक्षा एजेंसियां आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं।दवाइयांयदि आपकी तबीयत खराब है और आप गूगल के जरिए लक्षणों के आधार पर यह पता लगाना चाहते हैं कि आप कौन-सी बीमारी से संक्रमित हैं। साथ ही गूगल पर उस बीमारी से ठीक होने के लिए दवाइयां सर्च कर रहे हैं, तो ऐसा भूलकर भी न करें। गलत दवाइयों का सेवन करने से आपकी तबीयत ज्यादा खराब हो सकती है। इसलिए जब भी आपकी तबीयत खराब हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।मोबाइल ऐप या सॉफ्टवेयरगूगल सर्च के जरिए कई बार फिशिंग या फर्जी ऐप्स और सॉफ्टवेयर हम डाउनलोड कर लेते हैं, जो हमारे डिवाइस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में किसी ऐप को आप गूगल प्ले स्टोर या फिर ऐप स्टोर से ही डाउनलोड करें। यही नहीं, किसी भी सॉफ्टवेयर को कंपनी के आधिकारिक वेबसाइट से ही डाउनलोड करें। कस्टमर केयर नंबरहम कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहे होते हैं और उसमें किसी भी तरह की परेशानी आने पर हम सीधा कस्टमर केयर को कॉल करने की सोचते हैं। हमें कई बार किसी कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पता नहीं होता है, ऐसे में हम Google की मदद लेते हैं, लेकिन आपको पता है कि Google पर किसी भी कस्टमर केयर का नंबर सर्च करना नुकसान दायक साबित हो सकता है। आपको बता दें कि साइबर क्राइम को बढ़ावा देने वाले हैकर्स किसी भी कंपनी का फेक या फर्जी हेल्पलाइन नंबर Google Search में फ्लोट करते हैं। ऐसे में जब आप उस नंबर पर कॉल करेंगे तो आपका नंबर हैकर्स के पास पहुंच जाता है, जिसके बाद हैकर्स आपको आपके नंबर पर कॉल करके साइबर क्राइम को अंजाम दे सकते हैं, जिसमें SIM Swap जैसी घटनाएं शामिल हैं। निजी ई-मेल आईडी गूगल पर न करें सर्चगूगल पर अपनी निजी ई-मेल आईडी सर्च न करें, ऐसा करने से आपका अकाउंट हैक हो सकता है। हैकर्स आपकी निजी जानकारी चुरा सकते हैं। हैकर्स से बचने के लिए समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें।,

🌹☝🌹#राधे राधे जीअपने #अंदर की शक्ति को #पहचानों तुम्हारे अंदर राम भी है रावण भीVnita Kasnia कृष्ण भी और कंस भी,#अच्छाई भी और बुराई भी। तुम्हारे भीतर ही इन दोनों का द्वंद्व चलता रहता है। राम कहता है जागो, “अपने #लक्ष्य की ओर बढ़ो।” रावण कहता है, “अभी #समय ही क्या हुआ है सोते रहो।” कृष्ण कहता है, “समय #अमूल्य है इसे नष्ट मत करो।” कंस कहता है, “थोड़ी और #फेसबुक देख लो। अच्छाई कहती है, “केवल अपने नहीं सबके बारे में सोचो।” बुराई कहती है, “अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।” इनकी #लड़ाई हर पल चलती रहती है।#आरंभ में दोनों के पास बराबर #शक्तियॉं होती हैं लेकिन धीरे-धीरे इन शक्तियों का संतुलन बिगड़ने लगता है। इन दोनों में से एक अधिक #शक्तिशाली होने लगता है दूसरे को दबाने लगता है। उस पर हावी होने लगता है।#प्रभावशाली होने लगता है और एक दिन वो इतना प्रभावी हो जाता है कि दूसरे वाले की उसके सामने कोई #अस्तित्व ही नहीं रह जाता। हावी राम भी हो सकता है रावण भी…. कृष्ण भी और कंस भी…. अच्छाई भी और बुराई भी !पर पता है, हावी कौन होता ?वो जिसे तुम चाहते हो!जिसे तुम्हारा बढ़ावा मिलता है जिसका तुम #समर्थन करते हो। यदि तुम #अच्छी #संगत करते हो तो राम की #शक्ति बढ़ती है। और यदि तुम #बुरी संगत करते हो तो रावण शक्तिशाली हो जाता है। यदि तुम #सफलता के लिए कठोर #परिश्रम करते हो तो कृष्ण को बल मिलता है। और यदि तुम आलस में पड़े रहते हो तो कंस #शक्तिशाली बन जाता है।तुम माता-पिता और #गुरू का आदर करते हो तो अच्छाई को #शक्ति मिलती है।तुम उनका निरादर करते हो अथवा #अपमान करते हो तो बुराई को बल मिलता है।तुम और अधिक वह बनते जाते जो जिस तरह का तुम काम करते हो।अपने #भीतर चल रहे इस द्वंद्व में तुम किसकी जीत चाहते? उस रावण की जिसके जीतने से तुम्हारी हार होगी या उस राम की जिसके जीतने से तुम्हारी #विजय होगी। जिताओ अपने #अंदर के राम को, क्योंकि इस दुनिया में #रावणों की कमी नहीं, कमी है तो राम की। बनाओ स्वयं को राम और ईश्वर श्री राम की तरह अपने अंदर की और अपने बाहर की दुनिया से बुराई रूपी #रावण का अंत कर दो!Vnita Kasnia Punjab, बोलो राधे राधे🌹☝🏻🌹,,

🌹☝🌹#राधे राधे जीअपने अंदर की #शक्ति को #पहचानों #तुम्हारे अंदर राम भी है रावण भी Vnita Kasnia कृष्ण भी और कंस भी,#अच्छाई भी और बुराई भी। तुम्हारे भीतर ही इन दोनों का द्वंद्व चलता रहता है। राम कहता है जागो, “अपने #लक्ष्य की ओर बढ़ो।” रावण कहता है, “अभी #समय ही क्या हुआ है सोते रहो।” कृष्ण कहता है, “समय #अमूल्य है इसे नष्ट मत करो।” कंस कहता है, “थोड़ी और #फेसबुक देख लो। अच्छाई कहती है, “केवल अपने नहीं सबके बारे में सोचो।” बुराई कहती है, “अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता।” इनकी #लड़ाई हर पल चलती रहती है।#आरंभ में दोनों के पास बराबर #शक्तियॉं होती हैं लेकिन धीरे-धीरे इन शक्तियों का संतुलन बिगड़ने लगता है। इन दोनों में से एक अधिक #शक्तिशाली होने लगता है दूसरे को दबाने लगता है। उस पर हावी होने लगता है।#प्रभावशाली होने लगता है और एक दिन वो इतना प्रभावी हो जाता है कि दूसरे वाले की उसके सामने कोई #अस्तित्व ही नहीं रह जाता। हावी राम भी हो सकता है रावण भी…. कृष्ण भी और कंस भी…. अच्छाई भी और बुराई भी !पर पता है, हावी कौन होता ?वो जिसे तुम चाहते हो!जिसे तुम्हारा बढ़ावा मिलता है जिसका तुम #समर्थन करते हो। यदि तुम #अच्छी #संगत करते हो तो राम की #शक्ति बढ़ती है। और यदि तुम #बुरी संगत करते हो तो रावण शक्तिशाली हो जाता है। यदि तुम #सफलता के लिए कठोर #परिश्रम करते हो तो कृष्ण को बल मिलता है। और यदि तुम आलस में पड़े रहते हो तो कंस #शक्तिशाली बन जाता है।तुम माता-पिता और #गुरू का आदर करते हो तो अच्छाई को #शक्ति मिलती है।तुम उनका निरादर करते हो अथवा #अपमान करते हो तो बुराई को बल मिलता है।तुम और अधिक वह बनते जाते जो जिस तरह का तुम काम करते हो।अपने #भीतर चल रहे इस द्वंद्व में तुम किसकी जीत चाहते? उस रावण की जिसके जीतने से #तुम्हारी हार होगी या उस राम की जिसके जीतने से तुम्हारी #विजय होगी। जिताओ अपने #अंदर के राम को, क्योंकि इस #दुनिया में #रावणों की कमी नहीं, कमी है तो राम की। बनाओ स्वयं को राम और ईश्वर श्री राम की तरह अपने अंदर की और अपने बाहर की दुनिया से बुराई रूपी #रावण का अंत कर दो!Vnita Kasnia Punjab, बोलो राधे राधे🌹☝🏻🌹,,

*जय श्री राम 🙏🙏🙏जय हनुमान 🙏🙏🙏बाबा बजरंगबली की कृपा से आप सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें, और खुशहाल रहें Vnita kasnia punjab🙏🙏🙏*,,

एलबम------By Vnita Kasnia Punjab---पुरानी एलबम के रिश्तेआज भी नए से दिखते हैं! खड़े थे फोटो में जो पास आज ज़रा दूर दिखते हैं! मां आज भी लगती हैं छुई-मुई सी इक अल्हड़ लड़की,पिता गोल कालर की कमीज़ पहने पंजाबी गबरू नौजवान दिखते हैं! पुरानी एलबम के रिश्तेआज भी नए से दिखते हैं!ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर कुहनी रख खड़ी बहन,क्रोशिए के रंगीन कवर पर सजा,एक गुलदस्ता सी लगती है!स्टूडियो में चश्मा लगाएतिरछे होकर देखते भईया किसी अभिनेता से कम कहां लगते हैं! पुरानी एलबम के रिश्ते आज भी नए से दिखते हैं! स्कूल ग्रुप फोटो के सारे बच्चे बूढ़े हो गए लेकिन आज भीघास पर साथ बैठे पहले सी शरारत से भरे गुब्बारे लगते हैं! पुरानी एलबम के रिश्ते आज भी नए से लगते हैं! ताजमहल के अहाते में पड़ी बैंच परपूरे परिवार संग बैठी मैं मेरी चोटियों में बंधे रिबन आज भी फूल से ज्यादा सुंदर दिखते हैं! पुरानी एलबम के रिश्ते आज भी नए से लगते हैं! दीदी की आँखों में खिंचे काजल के कानेउनके रंगीन सपनों की कहानी कहते हैं! पुरानी एलबम के रिश्तेआज भी नए से लगते हैं!नए लैंब्रैटा की फोटो में पापा के पीछे बैठी छींट की साड़ी में मां,जीवन की भागदौड़ से दूर दोनों,आज कुछ सुस्ताते दिखते हैं! पुरानी एलबम के रिश्तेआज भी नए से दिखते हैं! हर रिश्ते के बनने, टूटनेमिलने, बिछड़ने से बुनी,अहसासों की जीती-जागतीसतरंगी कहानी कहते हैं !पुरानी एलबम के रिश्तेआज भी नए से दिखते हैं!

आ #जाओ मेरे #मुरली वाले (Vnita kasnia Punjab) अब और ना #देर लगाओतुम बिन मेरा कोई और नहीं हैतुम्ही आकर आस बंधाओकान्हा जी हमें अपने गले लगाओ#जो देतें हैं खुशियों की दुआएं वो भी हस्ता देख ना पाएंराज़ यह हम तो समझ ना पाएतुम्ही हमें समझाओ#कान्हा जी हमें अपने गले लगाओहम हारे हर बाज़ी जग सेयह जग सारा जीत गया सच और #झूठ का जो भी #फ़रक़ था वो भी सारा बीत गयाआँखों के आगे है अँधेरा तुम ही इसे मिटाओकान्हा जी हमें अपने गले लगाओअपने बन कर अपने ही अपनों को धोखा देते हैं लूट लेते हैं पीछे से आगे से भरोसा देते हैंनरक ना बन जाए यह धरती तुम ही स्वर्ग बनाओकान्हा जी हमें अपने गले लगाओकान्हा तेरी दुनिया में अब दम्म सा घुटता जाता हैदेख के यह सब गोरख धंदे मन मेरा #घबराता हैअच्छे, बुरे हम जैसे भी हैं तुम अपना हमें बनाओकान्हा जी हमें अपने गले लगाओ#समाजसेवी #वनिता #कासनियां #पंजाबकान्हा जी की #कृपा से🌹🍀🌸जय श्री राधे कृष्णा🌸🍀🌹

*🙏🙏🌹राधे राधे जी 🌹🙏🙏एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था ।एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है ।उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी।ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है ।कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौन सा उस में फँसना है?निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया ।मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… "जा भाई....ये मेरी समस्या नहीं है ।"हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिसमें एक ज़हरीला साँप फँस गया था।अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी ।कबूतर अब पतीले में उबल रहा था...।खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया ।कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो बकरे को काटा गया।चूहा अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये ।समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा समाज व पूरा देश खतरे में..है ।?( Vnita kasnia punjab )?🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*

नहीं रहे एमडीएच मसालों के स्वामी पदम भूषण से सम्मानित महाशय धर्मपाल गुलाटी, दिल्ली के माता चंदन देवी हॉस्पिटल में आज सुबह 6 बजे ली आखिरी सांस, भगवान उनकी आत्मा को शांति व परिवार को शांतनु प्रदान करें... (Vnita kasnia punjab)..महाशय धर्मपाल गुलाटी जी का जन्म (जन्म- 27 मार्च, 1923, सियालकोट, ब्रिटिश {अब पाकिस्तान} व मृत्यु- 3 दिसम्बर, 2020) को सियालकोट के मौहल्ला मियानापुर में हुआ था। सियालकोट अब पाकिस्तान में है। उनका परिवार बेहद सामान्य परिवार था। पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल और माता का नाम चनन देवी था जिनके नाम पर दिल्ली के जनकपुरी में चनन देवी हॉस्पिटल भी है। धर्मपाल जी का पढाई- लिखाई में बिलकुल भी मन नही लगता था जबकि उनके पिता जी चाहते थे कि वह खूब पढ़ें।लेकिन ये बात उनके पिता जी समझ चुके थे कि धर्मपाल जी का मन अब आगे पढने का नही है। जैसे तैसे उन्होंने चौथी कक्षा पास की और पांचवी में वह फेल हो गए और स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद उनके पिता जी ने उन्हें एक बढई की दुकान पर काम सिखने के लिए लगा दिया। लेकिन धर्मपाल जी का मन नही लगा और उन्होंने वो काम भी नही सीखा। 15 वर्ष की अपनी जिंदगी में वो 50 काम कर चुके थे। उन दिनों सियालकोट लाल मिर्च के बाज़ार के लिए जाना जाता था तो उनके पिता ने उन्हें एक मसाले की दुकान खुलवा दी, जिसका नाम रखा 'महाशय दी हट्टी' (इसी 'महाशय दी हट्टी' से आया है एमडीएच)। धीरे धीरे काम अच्छा हो गया और खुब चलने लगा लेकिन तब तक भारत अपनी आज़ादी के लड़ाई के करीब पहुँच गया था और भारत पाकिस्तान का विभाजन उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गया।भारत के बंटवारे के वक्त परिवार सियालकोट से दिल्ली के करोलबाग में आकर बसा था और धर्मपाल गुलाटी दिल्ली के कुतुब रोड़ पर तांगा चलाते थे। फिर मसालों को कूटकर बेचने लगे और वक्त के साथ उनका बिजनेस फैलता गया। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली। इसके बाद जब कारोबार बढ़ने लगा तो 1959 में कीर्ति नगर में एक प्लाट खरीदकर फैक्ट्री खोली।महाशय गुलाटी परिवार के मुखिया की भूमिका में रहते हैं। हरेक बड़ा फैसला उनकी जानकारी के बाद ही लिया जाता है। महाशय धर्मपाल पक्के आर्यसमाजी हैं। वे आर्य समाज, कीर्ति नगर के होने वाले चुनावों में लड़ते थे।करोलबाग में नहीं पहनते चप्पल-जूतेःधर्मपाल गुलाटी दिल्ली के करोलबाग में नंगे पांव घूमते हैं। इसकी वजह उन्होंने अपने एक दोस्त को बताते हुए कहा, काके, करोल बाग में जब भी आता हूं तो जूते-चप्पल पहनकर नहीं घूमता। मेरे लिए करोल बाग मंदिर से कम नहीं है। इसी करोल बाग में खाली हाथ आया था। यहां पर रहते हुये ही मैंने कारोबारी जिंदगी में इतनी बुलंदियों को छूआ। धर्मपाल गुलाटी भारत के सफल बिजनेसमैन हैं।महाशय धर्मपाल गुलाटी एक सफल उद्योगपति हैं तथा उन्होंने अपने जीवन में कडा संघर्ष किया है। 1959 में महाशय धर्मपाल ने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाला पीसने की फैक्ट्री लगाई और फिर कारवां चलता चला गया। आज एमडीएच की देशभर में 15 फैक्ट्री हैं।पद्मविभूषण से हो चुके हैं सम्मानितकारोबार और फूड प्रोसेसिंग में योगदान के लिए महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने पिछले साल महाशय धर्मपाल जी को पद्म भूषण से सम्मानित किया था।मृत्यु:3 दिसम्बर, 2020 को सुबह करीब 5 बजकर 38 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांसें लीं। पिछले दिनों उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, लेकिन वह कोरोना से ठीक हो गए थे। बताया जाता है कि महाशय धर्मपाल गुलाटी को गुरुवार सुबह हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उनका निधन हो गया।

◆◆माटी का लाल◆◆(Vnita Punjab) माटी में सना ,माटी से बनामाटी में रंगा, माटी में बसावो किसान क्यों बेबस हुआ?जीवन उगाकर जिसने जीवन दियामोल उसका मिट्टी क्यों हुआ?सुनो !ज़रा मोल दाने का लगाने वालोंकुछ भाव इनका भी हमें बतलाओ नाधरती की धानी ओढ़नी का मोल क्या होगा ज़रा समझाओ ना?उन पैरों की ख़ूनी बिवाइयों कातोड़ कोई ले आओ ना जाड़े की ठिठुरती अधसोई रातों काहिसाब ठीक ठीक लगाओ नामसलना निरीह को सदा हीशौक सत्ताधीशों का रहा हैनहीं सुन पाते हैं अब वोअर्ज़ियाँ बेबस और लाचारों कीदोष इसमें उनका है ही नहींसब दोष सिंहासन का हैउदर हैं सन्तुष्ट जिनकेवो अधखाये की पीर कैसे जान पाएंगे?सुनाकर फ़रमान अपनातुझे खेतों में ही फेंक आएंगे

नहीं रहे एमडीएच मसालों के स्वामी पदम भूषण से सम्मानित महाशय धर्मपाल गुलाटी, दिल्ली के माता चंदन देवी हॉस्पिटल में आज सुबह 6 बजे ली आखिरी सांस, भगवान उनकी आत्मा को शांति व परिवार को शांतनु प्रदान करें... (Vnita kasnia punjab)..महाशय धर्मपाल गुलाटी जी का जन्म (जन्म- 27 मार्च, 1923, सियालकोट, ब्रिटिश {अब पाकिस्तान} व मृत्यु- 3 दिसम्बर, 2020) को सियालकोट के मौहल्ला मियानापुर में हुआ था। सियालकोट अब पाकिस्तान में है। उनका परिवार बेहद सामान्य परिवार था। पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल और माता का नाम चनन देवी था जिनके नाम पर दिल्ली के जनकपुरी में चनन देवी हॉस्पिटल भी है। धर्मपाल जी का पढाई- लिखाई में बिलकुल भी मन नही लगता था जबकि उनके पिता जी चाहते थे कि वह खूब पढ़ें।लेकिन ये बात उनके पिता जी समझ चुके थे कि धर्मपाल जी का मन अब आगे पढने का नही है। जैसे तैसे उन्होंने चौथी कक्षा पास की और पांचवी में वह फेल हो गए और स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद उनके पिता जी ने उन्हें एक बढई की दुकान पर काम सिखने के लिए लगा दिया। लेकिन धर्मपाल जी का मन नही लगा और उन्होंने वो काम भी नही सीखा। 15 वर्ष की अपनी जिंदगी में वो 50 काम कर चुके थे। उन दिनों सियालकोट लाल मिर्च के बाज़ार के लिए जाना जाता था तो उनके पिता ने उन्हें एक मसाले की दुकान खुलवा दी, जिसका नाम रखा 'महाशय दी हट्टी' (इसी 'महाशय दी हट्टी' से आया है एमडीएच)। धीरे धीरे काम अच्छा हो गया और खुब चलने लगा लेकिन तब तक भारत अपनी आज़ादी के लड़ाई के करीब पहुँच गया था और भारत पाकिस्तान का विभाजन उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गया।भारत के बंटवारे के वक्त परिवार सियालकोट से दिल्ली के करोलबाग में आकर बसा था और धर्मपाल गुलाटी दिल्ली के कुतुब रोड़ पर तांगा चलाते थे। फिर मसालों को कूटकर बेचने लगे और वक्त के साथ उनका बिजनेस फैलता गया। महाशय धर्मपाल गुलाटी ने 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली। इसके बाद जब कारोबार बढ़ने लगा तो 1959 में कीर्ति नगर में एक प्लाट खरीदकर फैक्ट्री खोली।महाशय गुलाटी परिवार के मुखिया की भूमिका में रहते हैं। हरेक बड़ा फैसला उनकी जानकारी के बाद ही लिया जाता है। महाशय धर्मपाल पक्के आर्यसमाजी हैं। वे आर्य समाज, कीर्ति नगर के होने वाले चुनावों में लड़ते थे।करोलबाग में नहीं पहनते चप्पल-जूतेःधर्मपाल गुलाटी दिल्ली के करोलबाग में नंगे पांव घूमते हैं। इसकी वजह उन्होंने अपने एक दोस्त को बताते हुए कहा, काके, करोल बाग में जब भी आता हूं तो जूते-चप्पल पहनकर नहीं घूमता। मेरे लिए करोल बाग मंदिर से कम नहीं है। इसी करोल बाग में खाली हाथ आया था। यहां पर रहते हुये ही मैंने कारोबारी जिंदगी में इतनी बुलंदियों को छूआ। धर्मपाल गुलाटी भारत के सफल बिजनेसमैन हैं।महाशय धर्मपाल गुलाटी एक सफल उद्योगपति हैं तथा उन्होंने अपने जीवन में कडा संघर्ष किया है। 1959 में महाशय धर्मपाल ने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाला पीसने की फैक्ट्री लगाई और फिर कारवां चलता चला गया। आज एमडीएच की देशभर में 15 फैक्ट्री हैं।पद्मविभूषण से हो चुके हैं सम्मानितकारोबार और फूड प्रोसेसिंग में योगदान के लिए महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने पिछले साल महाशय धर्मपाल जी को पद्म भूषण से सम्मानित किया था।मृत्यु:3 दिसम्बर, 2020 को सुबह करीब 5 बजकर 38 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांसें लीं। पिछले दिनों उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, लेकिन वह कोरोना से ठीक हो गए थे। बताया जाता है कि महाशय धर्मपाल गुलाटी को गुरुवार सुबह हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उनका निधन हो गया।

वनिताहे नारी !! तुम्हें भय कैसा आँखों मे अश्रु और माथे पर ये लकीरें ??तुम्हें दुख किस बात का है ??ऐसी कौन सी पीड़ा है जो तुम्हें अंदर ही अंदर खाये जा रही । मैं क्या कहूँ कैसे कहूँ , मुझसे कुछ कहा भी नहीं जा रहा ।मैं इस युग में खुद का अस्त्तित्व मिटते देख रही हूँ। मैं अबला जैसे नामों से पुकारी जा रहीं हूँ। मेरे हाथों में सजी ये हरी लाल चूड़ियाँ कमज़ोर एवं नकारे इंसान के लिए प्रयुक्त होने लगी हैं। और पैरों में सजे ये पायल बेड़ियों का रूप ले चुके हैं । मेरे अपने भी मुझे भार समझ बैठे हैं । उन्हें लगता है मैं कमजोर हूँ , मैं कुछ नहीं कर सकती । तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ । मुझे लगता है मेरा होना सच में ही व्यर्थं है । तुम्हीं बताओं मैं कैसे बतलाऊँ उन्हें अपनी महत्ता ??लेखिका👇हे देवी , आप बिलकुल भी परेशान न हो और न ही खुद को कमजोर समझें । हमारे साथ जो हो रहा उसके जिम्मेदार हम ख़ुद ही हैं और हमारा मन ही हमारे साथ हो रहे उचित -अनुचित , सही गलत सबका एकमात्र कारक है । माना आज स्थिति ठीक नहीं है । इस पुरुष प्रधान समाज में आपको पीछे खींचने की कोशिश की जा रही है । आपको कमजोर अबला नाम से सूचित किया जा रहा लेकिन अगर देखा जाए तो ये दुनिया जिसके दम पर चल रही वह आप खुद है । आप नहीं तो इस संसार का आस्तित्व ही ख़त्म हो जाएगा । आपके बिना इस संसार का विकास क्रम ही अवरुद्ध हो जाएगा । आप की माहिमा तो वेदों और ग्रंथो में की गई है ।आपकी शक्ति तो आपके लिए प्रयुक्त नामों से पता लगाई जा सकती है। उदहारण स्वरूप अगर आप महिला शब्द को ही देखें तो मह + इल च + आ = महिला अर्थात वह जिसका अर्थ श्रेष्ठ है और जो पूज्य है वही महिला है।और हे देवी आप तो प्राचीन काल से ही सर्वोपरि है आपके लिए ऋगवेद में मेना शब्द वाचक है और इसकी व्युत्पत्ति भी दी गयी है कहा गया है कि मानयन्ति एना: ( पुरुषा:)अर्थात पुरुष इनका आदर करते हैं इसलिए इन्हें मेना कहते हैं।हे देवी आपके ही रूप का बोधक" ग्ना " शब्द जो ऋगवेद मेंं देेेव पत्नियों के लिए प्रयुक्त हुआ है और ब्राह्मण ग्रंथो में जो शब्द मानवी के लिए प्रयुक्त है जिसकी व्याख्या में यास्क लिखता है कि "ग्ना गच्छन्ति एना: ।"अर्थात पुरुष ही उसके पास जाते है और सम्मान पूर्वक बात करते हैं । हे देवी इस प्रकार आपको तो पुरुष से अनुनय की आयश्यकता ही नही पड़ती। आप क्रियाशील है जिसके कारण ही आप नारी हैं । हे देवी आपकी इच्छाशक्ति बहुत ही प्रबल है और आप शोभावान भी है इसलिए ऋगवेद में सुंदरी शब्द आपके लिए प्रयुक्त हुआ है ।आप जागे और खुद को पहचानने की कोशिश करें । प्राचीन काल से ही आपको स्वतंत्र चेतन सत्ता के रुप मे ही स्मरण किया गया है और आपके प्रति सम्मान का भाव उजागर होता है । अतः जो भी आपको भार समझतें हैं वह अज्ञान हैं और आप तो विदूषी हैं और आपको सरस्वती का रूप मानते हुए अथर्ववेद में 14/2/15 में कहा गया है कि प्रति तिष्ठ विराडसि विष्णुरिवेह सरस्वति सिनीवाली प्र जायतां भगस्य सुमातावसत्।अर्थात हे नारी तुम यहाँ प्रतिष्ठित हो।तुम तेजस्विनी हो । हे सरस्वती तुम यहाँ विष्णु के तुल्य प्रतिष्ठित हो ।हे सौभाग्यवती नारी तुम संतान को जन्म देना और सौभाग्य देवता की कृपा दृष्टि में रहना । और जो भी आपको नकारा समझतेंं हैंं उन्हें यह समझने की जरूरत है कि आप एक होकर भी कई रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करती हैं। आप से ही परिवार बनता और बिखरता है। आप माँ बन अपने संतान के लिए दुनियां की विशाल शक्ति से भी लड़ने को तैयार रहती हैं ।आपका प्रेम निस्वार्थ है । आप इस धरा पर भगवान का रूप हैं । कभी बहन तो कभी पत्नी, बेटी आपके हर रूप की महिमा करने के लिए मेरे पास शब्द ही पर्याप्त नहीं हैं।किसी शब्द में वो शक्ति ही नहीं है जो पूर्ण रूप से आपका बखान कर सके ।आपके सम्मान में तो यहाँ तक कहा गया है कि यत्र नारी पूज्यन्तेरमन्ते तत्र देवताःअर्थात जहाँ पर नारी पूज्यनीय होती है वहाँ पर देवता निवास करते हैं । हे देवी जो आप में और पुरुष में भेद करते हैं जिन्हें घर मे कन्या अवतरित होने पर लगता है कि वह तो एक बोझ है और उसे पढ़ाने लिखाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह तो गैर की अमानत है । उनके लिए कुछ भी करना व्यर्थ है । और कुल / वंश बढ़ाने के लिए लड़के जा होना जरूरी समझतें हैं । वह अज्ञान हैं।वह शायद प्राचीन काल में कही इस बात से अंजान हैं कि :- "कुलोन्नयने सरसं मनो यदि विलासकलासु कुतूहलम् ।यदि निसत्वमभीप्सितमकेदाकुरु सताँ श्रुतशीलवतीं तदा।""अर्थात :- यदि तुम चाहते हो कि तुम्हारे कुल की उन्नति हो । यदि तुम्हें ललित कलाओं में रुचि है । यदि तुम अपने संतान का कल्याण करना चाहते हो तो अपनी कन्या को विद्या , धर्म , शील से युक्त करो ।"और हम इस बात की नकार नहीं सकते कि यदि आप एक पुरुष को शिक्षित कर रहें हैं तो आप एक परिवार को शिक्षित कर रहें है लेकिन यदि आप एक स्त्री को शिक्षित कर रहें हैं तो आप अपने आने वाली कई पीढ़ियों को शिक्षित कर रहें हैं ।इसलिए हे देवी आपका यह सोचना की आप का जीवन व्यर्थ है और आप कमजोर है यह उचित नहीं है। हे देवी तात्विक अभेदता के बावजूद भी व्यवहारिक रूप से अधिक जिम्मेदारी वहन करने के कारण ही मनुस्मृति में मनु ने कहा है कि जहा आपका सम्मान होता है वहीं पर देवता निवास करते हैं।आज इस युग मे देखें तो मर्दो की लड़ाइयों में भी गलियां माँ बहन को सुननी पड़ती हैं । यही कारण है की इस युग की प्रगति उन्नति की सारी क्रियाएँ निष्फ़ल होती जा रहीं हैं। आप स्वयं ही हमें बताएं कि जब मार्कण्डे पुराण में यह उल्लिखित है कि समस्त स्त्रियाँ और समस्त विधाएँ देवी का रूप हैं ।" विद्या समस्तास्तव देवि भेदाः ।स्त्रियः समस्ता सकलाः जगत्सु।" तो वह कमज़ोर कैसे ही सकती है। इसलिए हे देवी उठिए खड़े होइए और पुनः इस युग मे वैसा ही सक्षम बनिये , समर्थ बनाइये जैसा कि आपके लिए प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है । आप यह मत भूलिए की आप में से ही वक़्त पड़ने पर कोई दुर्गा , काली कोई झांसी की रानी हुई है । अपने आप को कभी कम आंकने की गलती मत करिए । आपके पतन का कारण रहा कि आप चुप चाप अन्याय को सहती रहीं और कभी आवाज़ उठाया ही नहीं इसका एकमात्र कारण क़भी परिवार की इज़्ज़त तो क़भी ये समाज जो अपने हित , फायदे के हिसाब से सभी कायदे क़ानून वक़्त पड़ने पर बदलता रहता है ।आप ख़ुद से अंजान रही क़भी ख़ुद को पहचानने की कोशिश ही नहीं की और उसे स्वीकारती गयी जो दूसरे आपको बतलातें रहें। कभी स्वयं के अंदर झाँक कर ख़ुद के शक़्क्ति और सामर्थ्य को जानने की पहल ही नहीं की। हमेशा अपने हालत के लिए किस्मत को कोसती आई और स्वयं को दोष देती रहीं। आप ख़ुद दूसरों पर आश्रित होने लगीं । आप शायद यह भूल गयी कि प्यासे को समुंदर के पास ख़ुद चल के जाना पड़ता है । इसलिए अपने हक की लड़ाई अपने सम्मान की लड़ाईअपने स्थान की लड़ाई आपको स्वयं ही लड़नी होगी । है महान तू ,है विद्वान तू ,है सर्व शक्तिमान तू । है करुणामयी , है ममतामयी ,है भगवान का अवतार तू ।है विदुषी ,है गार्गी ,है देवी का स्वरूप तू ।