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Bal Vanitha Mahila Ashram (Part I) The Unfailing Art of Becoming WealthyWho doesn't want to be rich? There will be hardly anyone who says, "I don't want to be rich!" It is an absolute truth that money has a lot of value in today's era.

https://youtu.be/4bQ4K0jLQ5s

🌻✨🌻✨🌻✨"पहला नमन *परमात्मा* को, जिन्होंने हमें बनाया है". "दूसरा नमन *माता पिता* को, जिन्होंने हमें अपनी गोद में खिलाया है". "तीसरा नमन *गुरुओं* को, जिन्होंने हमको वेद और ज्ञान सिखाया है". "चौथा और सबसे महत्वपूर्ण नमन *"आप को"* "जिन्होंने हमें अपने साथ जुड़े रहने का अवसर दिया है. ¸.•*""*•.¸ .........✍ बाल वनिता महिला आश्रम 💐🙏🙏💐*🌺🌻☘Good Morning ☘🌻🌺* 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱*आपका दिन शुभ और मंगलमय हो।*

बाल वनिता महिला आश्रम

अमेरिका को संयुक्त राज्य अमेरिका क्यों कहते हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सबसे पहले जवाब दिया गया: अमेरिका को "संयुक्त राज्य अमेरिका क्यों" कहते है ?इसके लिए हमें अमेरिका के इतिहास में जाना होगा तो आप लोगो ने कई बार सुना या पढ़ा होगा है की कोलम्बस ने की थी और अमेरिका का नाम अमेरिको नाम के इटली के नाविक के नाम पर रखा गया था | अब अगले बिंदु के रूप में बात करे तो अमेरिका की आजादी के समय उस समय 49 राज्य थे जैसे की भारत की आजादी के समय भारत में भी 600 से ज्यादा राज्य थे | अमेरिका के लोगो ने जब सारे राज्यों का ग्रुप बनाया तो तो उसने अपना नाम united states of america यानि संयुक्त राज्य अमेरिका रखा | एक और अतिरिक्त बोनस भी शेयर करता हूँ की अमेरिका का कोई भी राज्य अमेरिका से अलग भी हो सकता है जो की भारत में नहीं होता है और अमेरिका के हर राज्य का अपना अलग संविधान होता हैअगर पोस्ट अच्छा लगे तो upvote जरुर किया करो पोस्ट को यहाँ तक पढने लिए धन्यवाद ऐसे ही और पोस्ट को पढने के लिए मुझे फॉलो कर ले

कहाँ पर शिकायत करें अगर Quora पर हमें कोई परेशान कर रहा है? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब आप साइबर क्राइम [1] की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते है।शिकायत से पहले कुछ चीज़ें साइबर क्राइम में बारे में समझना जरूरी है। क्योंकि साइबर क्राइम एक विस्तृत विषय है।ये वेबसाइट मुख्य रूप से बच्चों के यौन उत्पीड़न/ यौन उत्पीड़न की त्रासदी झेल रही स्त्री के चित्र, वीडियो आदि को इंटरनेट पर रखने व उसका प्रसार करने वालों की शिकायत के लिये है।इस में एक और सेक्शन है “Report other cyber crime” जहाँ आप अन्य तरह की स्त्री या बच्चों के शोषण सम्बंधित शिकायत कर सकते है।ये आपको आपकी पहचान गुप्त रखने की सुविधा भी देती है।सबसे जरूरी बात ये है अगर आप स्त्री या बच्चे के शोषण की शिकायत करते है तो ये शिकायत वापिस नहीं ली जा सकती। किसी भी अन्य तरह की शिकायत जब तक एफ़॰आई॰आर॰ में नहीं बदल जाती तब तक आप इसको वापिस ले सकते है।ये एक सरकारी वेबसाइट है, गलत जानकारी देने पर आपको सजा भी हो सकती है।वेबसाइट में आपको विस्तृत जानकारी मिलेगी जैसे शिकायत कैसे करनी है और क्या क्या चीजें शिकायत के लिये साक्ष्य माने जाते है।आपको इस विषय को समझने के लिए एफ़॰ए॰क्यू॰ [2] सेक्शन में अधिक जानकारी मिल जायेगी।साइबर क्राइम हेल्पलाइन नम्बरअनुरोध व अस्वीकरण - नियम कानून में समय-समय पर बदलाव होता रहता है, अतः वेबसाइट ही सूचना का मुख्य स्रोत है। वेबसाइट पर जा कर ही आपको वास्तविक जानकारी मिलेगी।धन्यवाद।

तेलंगाना के किसान ने उगाए बिना पकाए खाने वाले चावल- Magic riceBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबTelangana farmers is growing Magic riceकुछ सालों में खेती लोगों का जनुन बन चुका है। हमारे देश में ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं, जो लाखों की नौकरी छोड़ खेती का मार्ग चुन रहे हैं। आज हम एक ऐसे किसान की बात करेंगे, जिसने अपनी अकलमंदी और अपनी मेहनत से ख़ास किस्म के ‘मैजिक राइस’ (Magic rice) की खोज की है। इसके बारे में जानकार आप भी हैरान हो जाएंगे।मैजिक राइस (Magic rice)Sponsored LinksYou May Also LikeIndian Students: Study in CanadaCanada Scholarshipsby Taboolaकिसान श्रीकांत गरमपल्ली (Srikanth Garampally) करीमनगर के श्रीराममल्लापल्ली गाँव के रहने वाले हैं। उन्होंने एक अलग ख़ास किस्म के चावल की खोज की है। इस चावल की सबसे खास बात यह है कि इसे खाने के लिए पकाने की जरूरत नहीं होती है। इस चावल को केवल 30 मिनट के लिए पानी में भिगो देने के बाद यह खाने के लिए तैयार हो जाता है। अगर आप गरम चावल खाना चाहते हैं, तो इसे गर्म पानी में भी भिगो सकते हैं।Telangana farmers is growing Magic riceअसम से मिली Magic rice की जानकारीआमतौर पर इसे सामान्य पानी में भिगोकर भी आप आसानी से इस चावल को खा सकते हैं। इस चावल को रेडी-टू-ईट भी कहा जाता है। यह चावल बनाने में किसी भी तरह की कोई मेहनत नहीं लगती। श्रीकांत बताते हैं कि 1 साल पहले वह असम (Assam) गए थे। इस दौरान श्रीकांत को ऐसे चावल की जानकारी मिली, जिसे बिना पकाए खाया जा सकता है। उसके बाद श्रीकांत ‘गुवाहाटी विश्वविद्यालय’ से संपर्क करके चावल की इस अनुठी प्रजाति के पूरी जानकारी ली।Telangana farmers is growing Magic riceबाल वनिता महिला आश्रमअसम में पाए जाते हैं Magic riceश्रीकांत बताते हैं कि असम के पहाड़ी इलाक़ों में कुछ जनजातियां एक अलग क़िस्म के धान की खेती करते हैं। यह धान लगभग 145 दिनों में तैयार हो जाता है, जिसे पकाने तक की ज़रूरत नहीं पड़ती। असम के पहाड़ी इलाक़ों में इस चावल को ‘बोकासौल’ कहा जाता है। यह चावल सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इस चावल में 10.73% फ़ाइबर और 6.8% प्रोटीन पाए जाते हैं। इस चावल को असम के पहाड़ी लोग गुड़, केला और दही के साथ खाना ज्यादा पसंद करते हैं।Telangana farmers is growing Magic riceअसम से लाए चावल की बीजश्रीकांत बताते हैं कि जब वह असम गए थे, तब वही से इस ख़ास क़िस्म के चावल के बीज लेकर आए थे।ज्ञअहम राजवंश (Aham Raajavansh), जो 12वीं शताब्दी में असम के राजा हुआ करते थे। उन्हें ‘बोकासौल’ चावल बहुत पसंद था, लेकिन बाद में चावल की दूसरी प्रजातियों का मांग बढ़ने के चलते यह प्रजाति लगभग खतम ही हो गई थी। इसके बाद उन्होंने इस चावल को विकसित करने का फ़ैसला किया।Magic rice से हो रहा अधिक लाभश्रीकांत पिछले 30 सालों से खेती कर रहे हैं। Magic rice के साथ-साथ उनके पास और भी 120 किस्म के चावल का संग्रह हैं। उन चावलों का नाम नवारा, मप्पीलै, सांबा और कुस्का है। इसके अलावा श्रीकांत 60 अन्य प्रकार के जैविक सब्जियों की भी खेती करते हैं। श्रीकांत असम से धान के बीज लाने के बाद अपने आधा एकड़ खेत में बो दिए। केवल आधे एकड़ जमीन में उन्हें क़रीब 5 बोरी चावल का उत्पादन हुआ। धान की अन्य प्रजातियों के बराबर ही इसकी फ़सल भी 145 दिनों में तैयार हो जाती है।

मोक्ष का अनुभव शीघ्र कैसे हो?By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबवर्षो बीत गए। युग बीत गए। पर तुम्हारा प्रश्न अभी तक पूरा नही हुआ। यह प्रश्न हर किसी के मन में है। हर व्यक्ति जानना चाहता है।मैं कौन हूँ?बस, इस प्रश्न को लेकर सब इधर उधर घूम रहे है। कोई कहता है आत्मा हूँ, कोई कहता है परमात्मा हूँ लेकिन ये बताओ अनुभव कितने लोग किये?अगर इसी प्रश्न को लेके बैठे रहे तो फिर से जीवन चला जायेगा। फिर से युग बीत जाएंगे। इसलिए अब यह जानना आवश्यक है कि शीघ्र कल्याण कैसे हो?देखो, अब जो विधि मैं साझा करूँगा उससे शीघ्र लाभ होगा। अनुभव होगा। बिना अनुभव की बात नही करेंगे। अनुभव की बात होगी। इतने दिन तुम सोच में थे कि मैं कौन हूँ? लेकिन अब इस प्रश्न को घुमा दो तो जल्दी ही कल्याण हो जाये। शीघ्र ही सब अनुभव हो जाये। इस प्रश्न को "मैं कौन हूँ" कि जगह "मैं कौन नही हूँ" कर दो।इतनी सी बात है। यहाँ निषेध का विज्ञान लग जायेगा। तुम कौन हूँ को ढूंढ रहे हो लेकिन कुछ नही हुआ। अब तुम यह ढूंढो की कौन नही हूँ।तुम पाओगे की तुम शरीर नही हो। तुम पाओगे की तुम मन नही हो। तुम पाओगे की तूम यह भी नही हो। तुम पाओगे की तुम वह भी नही हो। तुम पाओगे की तुम हो ही नही। तुम पाओगे की तुम कुछ नही हो। और जब तुम यह सब जान लोगे की तुम क्या क्या नही हो तो शेष बचा हुआ ही तुम हो। तुमने शरीर का तो अनुभव किया ही है। तुमने मन का अनुभव भी किया ही है। तुमने संसार का अनुभव भी किया है। तो अपने अनुभव को काम में लो। लेकिन तुम तो अनुभव को काम मे लेते ही नही। तुम तो सीधा कहते हो कि मैं आत्मा हूँ। जबकि तुमने भले अनुभव ही नही किया हो। इसलिए अनुभव को काम मे लो। काम मे लो।अब देखो, अनुभव हो जाये तो उसका आदर करो। वैसे भी आपको अनुभव तो हो रखा है। लेकिन आपने आदर नही किया उस अनुभव का।देखो, तुम रात को सोते हो। तुम्हारा अहंकार और मन भी सो जाते है। तुम्हारा शरीर भी सो जाता है। तुम्हारा मस्तिष्क भी सो जाता है। तुम्हे कुछ याद नही रहता। तुम कुछ नही जानते नींद में। तुम तर्क नही कर सकते उस समय। लेकिन तुम सुबह उठकर कहते हो कि रात को बड़ी अच्छी नींद आयी। बड़ी प्यारी नींद आयी।अब मैं यही तो कह रहा हूँ। जब तुम्हारा शरीर सो रहा था, जब तुम्हारा मन और मस्तिष्क सो रहा था तो तुम्हे कैसे पता कि तुम्हे अच्छी नींद आयी?तुम उठकर यह भी तो कह सकते थे कि रात को पता नही कैसी नींद आयी। लेकिन तुम कह रहे हो कि अच्छी नींद आयी। यानी कोई तो था उस समय जो जाग्रत था। जो दृष्टा था। वही कह रहा है कि अच्छी नींद आयी। यह ज्ञान योग में तीन प्रकार के अनुभवों में से एक अनुभव है। इसका पूरा विस्तार लिखूं तो एक मोटी सारी पुस्तक हो जाएगी। अब देखो, यह अनुभव तुम्हे रोज होता है। परन्तु तुमने ध्यान दिया? नही न। तुमने उस अनुभव का आदर किया ही नही। इसलिए तो तुम आगे नही बढ़ते।तुम उस अनुभव का आदर करने लगो तो तुम्हे बहुत से अनुभव का पता लग जायेगा।नींद में तुम शरीर नही थे। तुम मन नही थे। तुम कुछ भी नही थे उस समय। तभी तो तुम्हे दृष्टा का अनुभव हुआ। उसी प्रकार इस मायाजाल में तुम उल्टा कार्य करना शुरू करो।यह मत ढूंढो की मैं कौन हूँ?बल्कि ये जानो की मैं कौन नही हूँ। अगर यह जानना शुरू किया तो तुम पाओगे की न तो शरीर हो तुम, न मन हो। बाकी बचा हुआ हो तुम। और ये बचा हुआ ही आत्मा है।लेकिन तुम्हारी आदत खराब है। तुम सीधे आत्मा पर भागते हो। युग और जीवन दोनो जा रहे है।अब आज से रोज सुबह शाम एक काम करो। 15 मिनट निकालो। सीधा लेट जाओ। अपने शरीर को पूर्ण शिथिल करलो। धीरे धीरे शांत हो जाओ। स्वास ओर ध्यान दो। एक बात और है। तुम्हे अपनी आँखों के हीरे को भी हिलाना नही है। तुम अब धीरे धीरे यह बोलते रहो-मैं शरीर नही हूँ। मैं मन नही हूँ। मैं शरीर नही हूँ।इसे बार बार दोहराओ। दो महीने काफी है। तुम्हे जो अनुभव सालो से नही हो रहा वो अब 60 दिन में हो जाएगा। किसी गुरु की जरूरत नही। प्रकृति से बड़ा गुरु नही है। वह तुम को कई बार अनुभव करा चुकी। मैंने तुम्हारे सारे अनुभव बताना शुरू किए तो फिर से एक और मोटी पुस्तक बन जायेगी। शीघ्र करो।और जानो की मैं कौन नही हूँ?वरना ये जीवन भी चला जाएगा।चित्र स्त्रोत- गूगल5.9 हज़ार बार देखा गया23 अपवोट17 शेयर2 टिप्पणियाँ

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